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न्यू टिहरी
दर्द की दरिया बनी टिहरी झील
Posted on 19 Sep, 2011 05:50 PMदशकों पहले विस्थापित किए गए ग्रामीण भी विस्थापन के दर्द से अब तक उबर नहीं पाए हैं। देहरादून और
धसक रहे हैं टिहरी के गाँव
Posted on 19 Aug, 2011 10:15 AMसर्वोच्च न्यायालय के फरवरी 2006 के आदेश में 840 मीटर पर पुनर्वास करने का निर्देश था लेकिन केन्द
कटाल्डी खनन प्रकरण: खनन माफियाओं के साथ न्यायपालिका से भी संघर्ष
Posted on 14 Jul, 2011 04:06 PMटिहरी गढ़वाल के कटाल्डी खनन विरोधी आन्दोलन से जुड़े वन पंचायत सरपंच कलम सिंह खड़का, स्व. कुँवर प्रसून व मेरे सिर पर पाँच साल से न्यायालय की कथित अवमानना के जुर्म की सिविल जेल की सजा लटकती रही, जिसे जिला न्यायाधीश टिहरी गढ़वाल ने अन्ततः 25 अक्टूबर 2009 को निरस्त कर दिया।पानी का शहर बेपानी
Posted on 09 Jun, 2011 10:55 AMहम क्यों भूल जाते हैं कि उत्तराखंड सिर्फ ऊर्जा प्रदेश के नाम पर उजड़ने के लिए ही नहीं है। अभी उसमें बहुत ताकत है और वो ताकत है, उसके पहाड़ व जल श्रोत।बाँधों के सुनामी मुखाने में है उत्तराखंड
Posted on 21 May, 2011 01:09 PMउत्तराखण्ड के 10 पहाड़ी जनपदों का अधिकांश क्षेत्र भारत के अधिकतम भूकंप के क्षेत्र 5 माप पर आता है। जबकि मैदानी क्षेत्रों के चार जनपद 4 माप पर आते हैं। हिमालय की उम्र अभी बहुत कम है। भूवैज्ञानिकों के अनुसार हिमालय का निर्माण यूरेशियन व एशियन (बर्मीज प्लेटस) की आपसी टक्कर के कारण हुआ था। 100 मिलीयन वर्ष पहले गोडवाना लैंड वर्तमान अफ्रीका व अंटार्कटिका से टूटकर आये, भारतीय उपमहाद्वीप का ऊपरी हिस्सा
अस्तित्व के लिये संघर्षरत जनता होगी लाभान्वित उच्च न्यायालय के फैसले से
Posted on 10 May, 2011 05:22 PMउत्तराखंड उच्च न्यायालय ने टिहरी जिले की घनशाली तहसील में भिलंगना नदी पर ‘स्वाति पावर इंजीनियरिंग लि.’ द्वारा बनाई जा रही जल विद्युत परियोजना की केन्द्र सरकार से पुर्नसमीक्षा कर तीन माह के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। मार्च 2004 में जब स्वाति पावर इंजीनियरिंग अपनी फौजफर्रा व बुल्डोजर लेकर फलिण्डा पहुँची तो तब ग्रामीणों को इस परियोजना की जानकारी मिली। इस परियोजना से फलिण्डा, सरूणा,
कैसे हो नदी का बंटवारा
Posted on 01 Apr, 2011 09:27 AMसंतुलित उपयोग किया जाए, तो हर क्षेत्र में पानी की खपत कम हो सकती है और गृह युद्ध से हम बच सकते हैं…
टिहरी बांध के मामले में सर्वोच्च अदालत के आदेश का उल्लंघन
Posted on 02 Oct, 2010 05:43 PMटिहरी बांध के संबंध में एन. डी. जयाल बनाम भारत सरकार एवं अन्य के मुकदमे में उच्चतम न्यायालय के माननीय न्यायाधीश आर. वी. रविन्द्रन एवं माननीय न्यायाधीश एच. एल. गोखले की पीठ ने उत्तराखंड राज्य सरकार एवं टीएचडीसी को 17 सितंबर 2010 को आदेश दिया कि वे एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप बंद करें और प्रभावित लोगों का पुनर्वास कार्य करें। उन्हें छः सप्ताह के अंदर स्थिति एवं कार्यवाही रिपोर्ट दाखिल करना है। हालांकि उच्चतम न्यायालय का फैसला काबिले तारीफ है लेकिन इसमें टीएचडीसी एवं राज्य सरकार को अपनी जिम्मेदारी पूरा करने की जरूरी गंभीरता का अभाव है।
याचिकाकर्ता एड्वोकेट कोलिन गोंसाल्विस एवं एड्वोकेट संजय पारिख द्वारा उजागर किये गये समस्याओं पर अदालत ने राज्य सरकार एवं टीएचडीसी को कई अहम मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत पर जोर दिया है। सर्वोच्च अदालत का कहना है कि बांध में पानी का स्तर बढ़ने के कारण भागीरथी नदीघाटी में तीन गांवों रौलाकोट, नाकोट, स्यांसु के डूबने की आशंका है। वास्तव में,
सुरंग में गंगा
Posted on 30 Jan, 2009 08:16 AMइस पावन नदी को मीलों तक सुरंग में डालकर हम उसे नहर में ही तो बदल रहे हैंगंगा से उसकी गति छीन रही हैं परियोजनाएं - राजीव नयन बहुगुणा
कई बार हम दुर्घटना से पहले सबक नहीं ले पाते। उत्तरकाशी में गंगा को सुरंगों में कैद करने के विरुद्ध अनशन पर बैठे प्रोफेसर गुरुदास अग्रवाल का कदम भी ऐसा ही सबक है। जब हम पर्वत, सरिता, सघन वन और समुद्र जैसी अलौकिक प्राकृतिक संपदाओं को भौतिक संपत्ति के रूप में देखना और बरताव करना शुरू कर देते हैं, तो हम उनके स्वाभाविक वरदान से वंचित हो जाते हैं। हमें अपनी सभ्यता को कायम रखने और आगे बढ़ाने के लिए सचमुच विद्युत शक्ति की जरूरत है, लेकिन जिस सभ्यता की बुनियाद संस्कृति के शव पर रखी जाती है, उसका ढहना भी तय है।