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मुजफ्फरपुर जिला
एस्बेस्टस का सवाल
Posted on 24 May, 2012 11:19 AMबिहार के मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री वहां की परिस्थितियों से पूर्णतः परिचित हैं। फिर भी लोगों को नहीं सुना जा
22 अप्रैल को बागमती की व्यथा-कथा : एक संवाद
Posted on 17 Apr, 2012 11:41 AMमित्रों,बिहार शोध संवाद के बैनर तले मुजफ्फरपुर स्थित बिहार विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में 22 अप्रैल को सुबह 10 बजे से संध्या 5 बजे तक 'बागमती की व्यथा-कथा : एक संवाद' कार्यक्रम आयोजित होगा। इस कार्यक्रम में बिहार के कई जिलों से एवं उत्तर प्रदेश व दिल्ली से कलाकार, पत्रकार, लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता, किसान व बागमती क्षेत्र के लोग सैकड़ों की संख्या में शामिल हो रहे हैं। कार्यक्रम में बागमती पर चल रहबागमती को बांधे जाने के खिलाफ खड़े हुए किसान
Posted on 11 Apr, 2012 06:02 PMनदी व बाढ़ विशेषज्ञ डॉ. दिनेश कुमार मिश्र ने कहा-तटबंध बांध कर नदियों को नियंत्रित करने के बदले सरकार इसके पानी को निर्बाध रूप से निकासी की व्यवस्था करे। तटबंध पानी की निकासी को प्रभावित करता है। टूटने पर जान-माल की व्यापक क्षति होती है। सीतामढ़ी जिले में बागमती पर सबसे पहला तटबंध बनने से मसहा आलम गाँव प्रभावित हुआ था। उस गाँव के 400 परिवारों को अब तक पुनर्वास का लाभ नहीं मिला है और रुन्नीसैदपुर से शिवनगर तक के 1600 परिवार पुनर्वास के लाभ के लिए भटक रहे हैं।
नेपाल से निकलने वाली बागमती नदी को कई दशकों से बांधा जा रहा है। यह वह बागमती है जिसकी बाढ़ का इंतजार होता रहा है बिहार में वह भी बहुत बेसब्री से। जिस साल समय पर बाढ़ न आए उस साल पूजा पाठ किया जाता एक नहीं कई जिलों में। मुजफ्फरपुर से लेकर दरभंगा, सीतामढ़ी तक। वहां इस बागमती को लेकर भोजपुरी में कहावत है, बाढ़े जियली-सुखाड़े मरली। इसका अर्थ है बाढ़ से जीवन मिलेगा तो सूखे से मौत।नए ज़माने के भस्मासुर
Posted on 25 Jul, 2011 02:01 PMबात मुजफ्फरपुर की है और 8 मार्च की है यानी जापान की त्रासदी शुरु होने के ठीक तीन दिन पहले। मुजफ्फरपुर जिले में प्रस्तावित एस्बेस्टस कारखाने के विरुद्ध चल रहे गांववासियों के संघर्ष के संदर्भ में ‘बिहार के विकास’ पर गोष्ठी चल रही थी। औद्योगीकरण के नाम पर कैसे दुनिया के अमीर देश प्रदूषण और पर्यावरण - खतरों का आउटसोर्सिंग कर रहे हैं तथा गरीब देशों को दुनिया का कूड़ाघर बना रहे हैं, इस बात का खुलासा करते हुए मैंने भारत में परमाणु बिजली के विस्तार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम तथा उसके खतरों की चर्चा की। गोष्ठी की अध्यक्षता एक सेवानिवृत्त प्राध्यापक कर रहे थे। उन्होंने इस का तुरंत प्रतिवाद किया और अणुबिजली की टकनॉलॉजी को ‘फुलप्रूफ’ बताया। मुझे अंदाज नहीं था कि टकनॉलॉजी में उनके इस अगाध विश्वास का खंडन तीन दिन बाद ही आधुनिक इतिहास की इतनी बड़ी त्रासदी से हो जाएगा।
बिहार की बाढ़
Posted on 21 Sep, 2008 05:20 PMबाढ़ से पूर्ण मुक्ति के लिये ''नदी मुक्ति आंदोलन'' शुरु किया है, परंतु राजनेता व तटबंध ठेकेदारों द्वारा निरंतर रोढ़े डाले जाने की वजह से यह बहुत अधिक सफल नहीं हो पाया है। नदी मुक्ति आंदोलन सभी तटबंधों को हटाने व नदी को 1954 पूर्व की अवस्था पर लाने की माँग करता है। हम शोधकर्ता, नीति निर्माता व सरकार को इस मुद्दे से अवगत कराते हैं और आम जनता को शिक्षित करते हैं कि तटबंध बाढ़ समस्या का समाधान नहीं
झोपड़ियों के बीच बने शौचालय कह रहे स्वच्छता की कहानी
Posted on 07 Jun, 2018 06:35 PM
बिहार की इस इकलौती पंचायत को पिछले दिनों नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्रामसभा पुरस्कार मिला। मुजफ्फरपुर जिले के सकरा प्रखंड की सबसे गरीब पंचायत भरथीपुर में भले ही अधिकांश लोग झोपड़ियों मेें रहते हों, लेकिन वे खुले में शौच को नहीं जाते। घर की जगह झोपड़ी ही सही, लेकिन हर घर के लिये शौचालय बन चुका है।
घर की जरूरतों ने गाँव का हुलिया बदल दिया
Posted on 07 Jun, 2018 06:16 PMमैं अपनी मेहनत से अपने परिवार की दशा बदलना चाहती थी। और इसके लिये मेरे पास जरिया सिजैविक खेती का गुरू बना गोविंदपुर
Posted on 07 Nov, 2013 10:12 AMअन्न संकट दूर करने के लिए 60 के दशक में हरित क्रांति लाई गई। अधिक अन्न का उत्पादन तो जरूर हुआ, पर मिट्टी ऊसर होती गई। मिट्टी, जल व वायु प्रदूषित होती गई और मनुष्य व पशुओं की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ने लगा। कृषि विज्ञान केंद्र सरैया के मृदा वैज्ञानिक के.के. सिंह रासायनिक खेती के दुष्परिणामों को गिनाते हुए कहते हैं कि पेड़-पौधे काटे जा रहे हैं। पेस्टीसाइड्स और नाइट्रोजन के अधिक प्रयोग करने से वायुमंडल के साथ-साथ जल प्रदूषण भी हो रहा है। फसल की पैदावार बढ़ाने के चक्कर खेतों में रासायनिक खाद व कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल भी धड़ल्ले से हो रहा है, जिससे मिट्टी ऊसर होती जा रही है। पहले खेतों में नाइट्रोजन की मात्रा 3-5 किलो प्रति कट्ठा के हिसाब होती थी जो आज रासायनिक खाद और कीटनाशक दवाओं के इस्तेमाल से 10-20 लौकी प्रति कट्ठा हो गई है। वजह साफ है किसानों का अत्यधिक मात्रा में रासायनिक खाद व कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल करना। रासायनिक खाद और कीटनाशक दवाओं के इस्तेमाल से धरती दिनों दिन दूषित होती जा रही है और इससे जलवायु प्रदूषण का खतरा बढ़ रहा है। यह प्रकृति के साथ-साथ फसल चक्र को भी प्रभावित कर रहा है।मुजफ्फरपुर के मतलूपुर में 85 एकड़ में बने 30 तालाब
Posted on 25 Nov, 2012 01:16 AMमछलीपालन की दिशा में बड़ा प्रयास मुजफ्फरपुर में बंदरा प्रखंड के मतलूपुर के किसानों ने किया है। यहां 85 एकड़ भूमि पर एक साथ मछलीपालन किया जायेगा। इसमें 24 किसानों की भूमि शामिल है। इसकी शुरुआत हो गयी है। तालाब बन गये हैं। दो तालाबों में मछलीपालन का काम शुरू हो चुका है। बाकी में फरवरी तक मछलीपालन शुरू हो जायेगा। यह बिहार का अभी तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट माना जा रहा है, जब यहां से पूरी तरह से मछलीमत कहो मुझे निर्मल ग्राम
Posted on 26 Aug, 2010 03:45 PMमुजफ्फरपुर [राजीव रंजन]। जी हा, मैं ही हूं लदौरा पंचायत। सूबे के सबसे बड़े कुढ़नी प्रखंड का एक हिस्सा। बिल्कुल सही सुना है आपने। भारत के बहुचर्चित राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने मुझे ही वर्ष 2008 में 'निर्मल ग्राम पुरस्कार' से नवाजा था। क्योंकि उस समय मैं स्वच्छता के मानक पर पूरी तरह खरी थी, लेकिन अब मुझे यह कहने में कोई गुरेज या शर्म नहीं है, कि अब मैं निर्मल नहीं रही हूं।