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मध्य प्रदेश
सागर झील को बचाने की कवायद
Posted on 28 Aug, 2015 12:39 PMयह शर्म की बात है, क्योंकि इस तालाब के किनारे कई मन्दिर और पूजा स्थल हैं जो इसी जल का उपयोग करते हैं। आज भी बहुत सारे निवासी इसके जल से आचमन करते हैं।मिट्टी की मूर्तियाँ ही बचा सकती हैं नदियों को
Posted on 27 Aug, 2015 01:13 PMश्रद्धा का प्रदर्शन? अब मिट्टी की मूर्तियाँ ही हमारे पर्यावरण और नदियों को बचा सकती है। बीते सालों में प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों ने जिस तरह से हमारी नदियों के पानी को दूषित ही नहीं बल्कि उसे जहरीला तक किया है, उसने अब सरकारों को भी चिन्ता में डाल दिया है। अब तक पर्यावरण के क्षेत्र मे
![श्रद्धा का प्रदर्शन?](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/statue%20immersion_3.gif?itok=bM_pMiaa)
नागधम्मन नदी की आत्मकथा
Posted on 22 Aug, 2015 10:10 AMमैं आज बहुत उदास और दुखी हूँ। कभी अपनी किस्मत को कोसती हूँ तो कभी इस नए जमाने के लोगों को। पर क्या होता है इससे भी। कुछ भी तो नहीं बदलता कभी इससे। सौ साल पहले तक इस इलाके में मेरा बड़ा नाम हुआ करता था। दर्जनों गाँवों के लोग मेरे किनारे पानी पी-पीकर बड़े हुए हैं। हजारों एकड़ जमीन को मैंने सींचा है अपने पानी से। मैं बारिश के पानी को वापस बारिश आने तक पूरे साल सहेजकर अपने आंचल में सहेज रखती ताकि किसी
![river](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/river_11_7.jpg?itok=7uguiG5e)
जलवायु परिवर्तन : पहले लम्बी खींच फिर एकमुश्त पानी
Posted on 21 Aug, 2015 03:14 PMपिछले कई सालों से बदल रहा है मानसून का ट्रेंड
धार। किसान से लेकर आम आदमी मानसून के मिजाज से परेशान है। एक तरफ 24 जून से लेकर 17 जुलाई तक पानी ही नहीं बरसा। करीब 23 दिन तक लगातार पानी की खींच हो जाना इस बात का संकेत है कि जलवायु परिवर्तन की कठिन चुनौतियों का दौर शुरू हो चुका है।
![Monsoon](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/Monsoon_13.jpg?itok=YNaa9QUE)
फ्लोरोसिस के हजारों मरीज ढूँढे, कंफर्म एक भी नहीं
Posted on 21 Aug, 2015 02:00 PM1. जाँच करने के लिये लैब टेक्निशियन के अभाव में बनी यह स्थिति
2. 3 हजार 842 मरीजों में केवल सम्भावना, पुष्टि के लिये नहीं है कोई विकल्प
![Fluorosis](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/Fluorosis_18.jpg?itok=uyCPTm88)
फ्लोराइड : जागरूकता ही इलाज है
Posted on 21 Aug, 2015 12:19 PMइस बीमारी का भले ही कोई इलाज नहीं हो पर जन जागरूकता बढ़ाकर आम लोगों तक इसकी पूरी जानकारी देकर इ
![dental fluorosis](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/dental%20fluorosis_13.jpg?itok=bAod82L6)
चन्द्रकेशर बाँध लबालब तो खिले किसानों के चेहरे
Posted on 21 Aug, 2015 11:05 AMजलस्रोत अपने इलाके की तकदीर रचते हैं। यह बात एक बार फिर साबित हुई है। करीब पाँच साल बाद इस बार अच्छी बारिश से चन्द्रकेशर बाँध लबालब भर गया है। इससे आस-पास के गाँवों के करीब साढे तीन हजार से ज्यादा किसानों के चेहरे पर चमक आ गई है। बाँध में इतना पानी आ जाने से अब यह पक्का हो गया है कि यहाँ की जमीनें अब रबी की फसलों के रूप में सोना उगलेंगी। इस बाँध के आसपास से करीब 10 हजार एकड़ से ज्यादा जमीन में र
![chandrakeshar dam](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/chandrakeshar%20dam_3.jpg?itok=7oFQsqyT)
बेहतर जल निकासी थी प्राचीनकाल के जलमहल में
Posted on 20 Aug, 2015 01:28 PMधार। जिले के ग्राम सादलपुर स्थित जलमहल में हर साल बाढ़ का पानी भर रहा है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन आने वाली इस इमारत को विभाग के कर्मचारियों द्वारा संरक्षित तो किया जा रहा है किन्तु पानी के कारण इसकी स्थिति खराब हो सकती है।
![Jal mahal](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/Jal%20mahal_4.jpg?itok=U-l-3yfV)
फ्लोराइड मुक्ति योजना का बुरा हाल
Posted on 20 Aug, 2015 12:56 PMधार। जिले में फ्लोराइडमुक्ति के लिये जो योजना बनाई गई है उनकी बुरी दशा है। बारिश शुरू हो चुकी है लेकिन गाँव की महिलाओं व बच्चियों को पीने के पानी के लिये संघर्ष करना पड़ रहा है। ग्राम मोहनपुरा क्षेत्र में यह स्थिति है कि फ्लोराइडमुक्ति के लिये जो योजना बनाई गई थी उससे कुछ भी लाभ नहीं मिल पाया है।
![Fluorosis](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/Fluorosis_0_9.jpg?itok=rtem4OS4)
600 करोड़ खर्च करने के बाद भी पानी नहीं, अब सहेजेंगे कुएँ-बावड़ियाँ
Posted on 18 Aug, 2015 10:12 AMमध्यप्रदेश के महानगर इन्दौर की तेजी से बढ़ती हुई आबादी को पानी देने में नगर निगम के हाथ–पाँव फूल रहे हैं। बीते साल 600 करोड़ की भारी भरकम राशि खर्चकर करीब 50 कि.मी.
![well](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/well_5_4.jpg?itok=1j1S3C2y)