खंडवा (पूर्व निमाड़) जिला

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अस्तित्त्व के लिये विरोध
Posted on 04 May, 2015 04:11 PM जब प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी गंगा के बेहतरीन उपयोग पर दिल्ली में अहम बैठक कर रहे थे, ठीक उसी समय मालवा क्षेत्र के 30 लोग अपने जीवन का सबसे अहम निर्णय लेने जा रहे थे। इस बात को तीन हफ्ते हो रहे हैं।
Jal satyagrah
फिर जल-सत्याग्रह
Posted on 01 May, 2015 02:30 PM मध्य प्रदेश के घोघलगाँव में जल सत्याग्रह को आज लेख लिखने तक 20 दिन हो गए। सत्याग्रहियों के पैर गल रहे हैं, लगातार खुजली हो रही है। बुखार की शिकायत लगातार बनी हुई है। खून पैरों से रिसने लगा है। किन्तु ओंकारेश्वर बाँध प्रभावितों में अपने अधिकारों के लिये उत्साह में कमी नहीं हुई। सत्याग्रह स्थल पर एकदा, गोल सैलानी, सकतापुर, टोकी, केलवा, खुर्द, केलवा बुजर्ग, कामनाखेड़ा आदि डूब प्रभावित गाँवों के लोग लगातार पहुँच कर अपना समर्थन व्यक्त कर रहे हैं।

घोघलगाँव के जल सत्याग्रहियों को देखने जब सरकारी डॉक्टर्स की टीम पहुँची और उन्होंनेे जल सत्याग्रहियों के स्वास्थ्य की जाँच की। उन्होंने देखा कि जल सत्याग्रहियों के पैर गल गए हैं और खून आ रहा है। सरकारी डॉक्टर्स ने इलाज का आग्रह किया तो सत्यग्रहियों ने कहा कि हमारा इलाज सरकार के पास है वो हमारी माँगे पूरी करे। हमारा इलाज हो जाएगा इसके अलावा हम कोई इलाज नहीं लेंगे। बात सही है। न्यायपूर्ण है।
खंडवा में पानी का निजीकरण विरोधी अभियान
Posted on 14 Jan, 2014 01:25 PM

छटनाक्रम का संक्षिप्त ब्यौरा

खंडवा की नर्मदा पेयजल योजना
Posted on 10 Jan, 2014 03:30 PM 1897 में 4 लाख रूपए की लागत से निर्मित नागचून तालाब नगर से 5 किमी द
जल सत्याग्रह: हमने भंवर बांध लिए पाँवों में
Posted on 21 Sep, 2013 04:06 PM न कोई ख्वाब हमारे हैं न ताबीरें हैं,
हम तो पानी पर बनाई हुई तस्वीर हैं!

.कतील शिफाई
नर्मदा का नरमदा प्रसाद
Posted on 14 Sep, 2013 03:34 PM वर्ष 2012 में नर्मदा बचाओ आंदोलन ने ओंकारेश्वर बांध और इंदिरा सागर बांध के विस्थापितों के सवालों पर जल सत्याग्रह किया था। ओंकारेश्वर में सरकार ने मांगे मानी और दूसरी तरफ इंदिरा सागर में आंदोलनकारियों पर दमन किया गया। दसियों दिनों से पानी में खड़े लोगों को जेल में डाला गया। ओंकारेश्वर में जो मांगे मानी गर्इ, पूरा उन्हें भी नहीं किया। 1 सिंतबर, 2013 को पूरा जल सत्याग्रह का इलाक़ा पुलिस छावनी में बदल दिया गया था। पुनर्वास नहीं, ज़मीन नहीं, जो पैसा दिया भी गया वो भी इतना कम की स्वयं से शर्म आ जाए।पानी गरम था और पैर के नीचे चिकनी, मुलायम, धंसती, सरकती मिट्टी। इसी में से चलकर अंदर गंदे भारी पानी में लगभग 20 गाँवों के प्रतिनिधियों के रूप में महिला पुरूष बैठे थे। पीछे बैनर था नर्मदा बचाओ आंदोलन, ज़मीन नहीं तो बांध खाली करो। जोश के साथ नारे लग रहे थे, लड़ेंगे-जीतेंगे, वगैरह-वगैरह। जो नारे नर्मदा से निकले और देश के आंदोलनों पर छा गए थे ये जगह अजनाल नदी के किनारे नहीं बल्कि अजनाल के रास्ते इंदिरा सागर बांध में रुके नर्मदा के पानी की है। अजनाल के किनारे का टप्पर अब इंदिरा सागर बांध के जलाशय के किनारे आ गया है खेती-पेड़ सब डूबे हैं। यहां नर्मदा बचाओ आंदोलन के नेतृत्व में जल सत्याग्रह चालू है।
ओंकारेश्वर बांध पुनर्वास: सरकार को नोटिस
Posted on 03 Sep, 2013 10:07 AM नर्मदा बचाओ आंदोलन द्वारा जारी विज्ञप्ति में आलोक अग्रवाल ने बताया कि नर्मदा बचाओ आंदोलन द्वारा ओंकारेश्वर परियोजना प्रभावितों के विषय में राज्य सरकार द्वारा घोषित पुनर्वास पैकेज के विषय में दायर अवमानना याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर दिया है और आदेश देते हुए इस याचिका की सुनवाई धाराजी सहित 5 गाँवों के संबंध में दायर अवमानना याचिका के साथ करना नियत किया है।
निगम विश्वा को लगा झटका
Posted on 17 Jun, 2013 03:25 PM जिला पंचायत में स्वतंत्र समिति ने आपत्तियों पर इस तरह सुनवाई की थीखण्डवा में पानी के निजीकरण संबंधी स्थानीय नागरिकों की शि
मैं गरीब हूं..
Posted on 03 Jun, 2013 11:16 AM यह कहानी मध्यप्रदेश के खंडवा जिले की है, जहां पिछले दिनों जिला प्र
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