कोलकाता जिला

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कामयाब रहा पोखरों का सामुदायिक प्रबन्धन
Posted on 31 Aug, 2015 04:16 PM कोलकाता के अलाभकारी वसुन्धरा फ़ाउंडेशन के संयोजक मोहित कुमार राय का कहना है कि पिछले दो दशकों में शहर 200 पोखर सालाना खो रहा है। उन्होंने कहा कि बंगाली भाषा में पुकुर कहे जाने वाले यह पोखर शहर का पारिस्थितिकी के लिये अहम हैं। मोहित कुमार राय से सुष्मिता सेनगुप्ता की बातचीत पर आधारित साक्षात्कार
जलवायु परिवर्तन से सर्वाधिक प्रभावित होंगे सुन्दरबन के लोग
Posted on 08 Aug, 2015 11:45 AM बंगाल की खाड़ी के डेल्टा क्षेत्र में आलिया, सिड्र, नरगिस और हुदहुद
बंगाल के भूजल में आर्सेनिक मानव इतिहास की गंभीरतम त्रासदी (Arsenic in Bengal groundwater gravest tragedy of human history)
Posted on 02 Jul, 2015 12:24 PM आर्सेनिकयुक्त जल का नियमित सेवन चर्मरोग, पेट के रोग और फेफड़ा एवं
बीमारियों का घर बनता कोलकाता
Posted on 02 Nov, 2014 09:55 AM

एक अध्ययन में कहा गया है कि कोलकाता देश में सबसे अधिक प्रदूषित महानगर है और उसका प्रदूषण स्तर आठ उष्णकटिबंधीय एशियाई देशों में सर्वाधिक रिकॉर्ड किया गया। परसिसटेंट ऑर्गेनिक पाल्यूटेंट (पीओपी) स्नेत के प्रसार एवं पहचान पर आठ देशों- लाओस, कंबोडिया, वियतनाम, थाईलैंड, फिलीपिन, इंडोनेशिया, मलेशिया, भारत और जापान में अध्ययन किया गया। अध्ययन के मुताबिक अन्य देश

Polluted water
प्रदूषण से रुक रही हैं सुंदरबन के मैंग्रोव की सांसें
Posted on 07 Aug, 2014 04:34 PM मैंग्रोव वनबड़े क्षेत्र में फैले सुंदरबन में गरान (मैंग्रोव) के पेड़ों की ग्रीन हाउस गैसों में प्रमुख कार्बन डाइऑक्साइड को वातावरण से सोखने की क्षमता तेजी से घट रही है। ऐसा पान
एक निर्मल कथा
Posted on 04 Mar, 2013 10:41 AM
हमारे दूसरे शहरों की तरह कोलकाता अपना मैला सीधे किसी नदी में नहीं उंडेलता। शहर के पूर्व में कोई 30 हजार एकड़ में फैले कुछ उथले तालाब और खेत इसे ग्रहण करते हैं और इसके मैल से मछली, धान और सब्जी उगाते हैं। यह वापस शहर में बिकती है। इस तरह साफ हो चुका पानी एक छोटी नदी से होता हुआ बंगाल की खाड़ी में विसर्जित हो जाता है। हुगली नदी के साथ कोलकाता वह नहीं करता जो दिल्ली शहर यमुना के साथ करता है या कानपुर और बनारस गंगा के साथ। इस अद्भुत कहानी को समझने का किस्सा बता रहे हैं एक सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी, जिनके कई सालों के प्रयास से यह व्यवस्था आज भी बची हुई है।

कोलकाता शहर को इतनी सेवाएं मुफ्त मिल रही हैं। अगर शहर ढेर-सा रुपया खर्च कर यह सब करने के आधुनिक संयंत्र लगा भी ले तो उनका क्या हश्र होगा? जानना हो तो राजधानी दिल्ली के सीवर ट्रीटमेंट संयंत्रों को देख लें। बेहद खर्चीले यंत्रों का कुछ लाभ है, प्रभाव है- इसे समझना हो तो यमुना नदी का पानी जांच लें।
कराह रहा गंगा डेल्टा, बेअसर होती हर पहल
Posted on 03 Nov, 2012 11:04 AM बंगाल में 520 किलमीटर तक बहती बड़े भूभाग का जीवन चलाती गंगा जब सागर से मिलने को होती है तो गति थामकर डेल्टा का रूप अख्तियार कर लेती है पर उत्तराखंड से निकलते ही उपेक्षा और दुर्व्यवहार झेलती गंगा का दर्द यहां बालू, पत्थर और वन माफिया और बढ़ा जाते हैं। राजनीतिक कारणों से उमा भारती की हालिया पहल भी बेअसर दिख रही है। अभी भारतीय जनता पार्टी की नेता उमा भारती ने बगाल के गंगासागर से अपने ‘गंगा समग्र अभियान’ की शुरुआत की। इस अभियान का विषय गंगा नदी के प्रदूषण और अस्तित्व के संकट की ओर ध्यान दिलाना भले था लेकिन बंगाल के राजनीतिक समीकरणों के चलते प्रभाव नहीं के बराबर रहा। शुरुआती चरण में ही बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने इस अभियान का विरोध कर दिया था। सरकार ने गंगासागर में जनसभा करने की अनुमति रद्द कर दी थी जिससे विवाद का जिन्न अभियान पर हावी हो गया। यह छुपा नहीं रह गया है कि उमा भारती ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अपनी यह यात्रा शुरू की है। बंगाल के संदर्भ में भी उनके इस अभियान के राजनीतिक निहितार्थ थे लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि गंगा के डेल्टा और डेल्टा के सैकड़ों किलोमीटर क्षेत्र में प्रदूषण और गंगा के अन्य संकटों का सवाल पहली बार उठाया गया। वैसे, गंगोत्री से वाराणसी और पटना तक कई संस्थाएं सवाल उठाती मिल जाएगी।
जिंदगी चूर-चूर करते क्रशर
Posted on 19 Oct, 2012 10:41 AM बंगाल के चार जिलों में चल रहे छह सौ से अधिक क्रशर्स से 50 हजार की
राख और जहरीली गैस से बदरंग होती जिंदगी
Posted on 17 Oct, 2012 01:02 PM अतीत में यह जगह हवाखोरी के लिए उत्तम मानी जाती थी। यहां कई धनवानों
मनरेगा योजना में नदी को मिला नया जीवन
Posted on 23 Aug, 2012 10:53 AM 23 अगस्त 2012, कोलकाता। महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना को ढंग से लागू करने पर उसका एक सकारात्मक असर भी सामने आया है। सौ दिन काम देने की केंद्र सरकार की रोजगार गारंटी योजना के तहत न सिर्फ एक छोटी नदी को जीवन दान मिला है। बल्कि, बांध निर्माण होने से एक बड़े इलाके में हर साल आने वाली बाढ़ का संकट इस बार टल गया है। हावड़ा के उदयनारायनपुर इलाके में दामोदर वैली कारपोरेशन का अतिरिक्त जल अब कैचमेंट इलाके से बाहर निकल कर लोगों को तबाह नहीं कर रहा।

उदयनारायनपुर और आमता ब्लॉकों के अधिकांश हिस्से दामोदर नदी के पश्चिमी छोर से निकलने वाली शाखा नदी के किनारे पड़ते हैं। सिंचाई विभाग की भाषा में यह इलाका स्पिल कहा जाता है। जमींदारी के दिनों का एक जर्जर बांध बाढ़ की तेजी को नहीं झेल पा रहा था। हर साल ये इलाके जलमग्न हो जाते थे और लोगों के सामने विस्थापन का संकट होता था 2007 में जमींदारी बांध के पास से चार सौ मीटर का इलाका घंसक कर नदी में समा गया। तब से हालात और भी खराब हो चले थे। तब से पिछले साल तक सिंचाई विभाग, स्थानीय पंचायत, नगर विकास विभाग और ग्रामीण विकास विभागों के बीच यहां मरम्मत का खर्च वहन करने को लेकर खींचतान चल रही थी।

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