कच्छ जिला (गुजरात)

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આપણું વિશ્વ અને પાણી
Posted on 05 Nov, 2013 11:40 AM

વિશ્વમાં પાણીની સમસ્યા અંગે આપણે વારંવાર સાંભળતા હોઇએ છીએ. ભવિષ્યમાં વિશ્વ પાણીની અછતથી પીડાતું હશે એવું આપણે સમાચારપત્રોમાં વાંચીએ છીએ પણ આવા સમાચારોની ગંભીરતાને આપણે સમજતાં નથી. આ વાત જયારે યુનાઇટેડ નેશન્સ(યુ. એન.) કહી ત્યારે વાતને ગંભીરતાથી લેવાનું વિશ્વના દેશોએ શરૂ કર્યુ છે.

गुजरात भूकंप : कुछ सुझाव
Posted on 29 Apr, 2013 10:12 AM राष्ट्रीय तथा आंचलिक स्तर पर प्राकृतिक आपदाओं के स्वरूप तथा उसके
भीषण सूखे की चपेट में हैं सौराष्ट्र और कच्छ इलाके
Posted on 15 Apr, 2013 09:14 AM उल्लेखनीय है कि सौराष्ट्र, कच्छ और उत्तरी गुजरात में वर्ष 1998 और
बच्चन का आना ठीक नहीं रहा साहब....
Posted on 21 Mar, 2013 03:03 PM गीर एशियाई शेरों का एक मात्र ठिकाना है। 1412 वर्ग किलोमीटर का ये गीर भांति-भांति के पेड़ पौधों और जानवरों से भी भरा पड़ा है। फिर भी गीर फॉरेस्ट नेशनल पार्क के समर्पित गाइड और जंगल के आशिक भावेश भाई की बात सुन कर हम भी अचरज में पड़ गए। या यूं कहिए कि इन्होंने गुजरात में टूरिज़्म को बढ़ाने के लिए बनाए गए और सुपर स्टार अमिताभ बच्चन द्वारा किए गए विज्ञापनों को परखने का नज़रिया ही बदल डाला। अब बच्चन
पारंपरिक जल संचय प्रणालियों का इतिहास
Posted on 06 Aug, 2010 10:11 AM
सदियों से जारी है जद्दोजहद
ईसा पूर्व तीसरी सहस्त्राब्दी में ही बलूचिस्तान के किसानों ने बरसाती पानी को घेरना और सिंचाई में उसका प्रयोग करना शुरू कर दिया था। कंकड़-पत्थर से बने ऐसे बांध बलूचिस्तान और कच्छ में मिले हैं।
Traditional water harvesting
खेत का पानी खेत में
Posted on 19 Jan, 2010 01:30 PM

देश में मध्यवर्ती भाग विशेष कर मध्यप्रदेश के मालवा, निमाड़, बुन्देलखण्ड, ग्वालियर, राजस्थान का कोटा, उदयपुर, गुजरात का सौराष्ट्र, कच्छ, व महाराष्ट्र के मराठवाड़ा, विदर्भ व खानदेश में वर्ष 2000-2001 से 2002-2003 में सामान्य से 40-60 प्रतिशत वर्षा हुई है। सामान्य से कम वर्षा व अगस्त सितंबर माह से अवर्षा के कारण, क्षेत्र की कई नदियों में सामान्य से कम जल प्रवाह देखने में आया तथा अधिकतर कुएं और ट्य

irrigation
गांधीग्राम के जल प्रबंधक
Posted on 31 Dec, 2009 07:21 PM पानी का बंटवारा और वो भी भारत के जल संकटग्रस्त क्षेत्र में- एक विफोस्टक मुद्दा है, जिससे खेत युद्ध का मैदान बन जाता है। परन्तु गुजरात के कच्छ जिले के सूखे प्रांत में स्थित गांधी ग्राम के लोगों ने पानी वितरण समिति (पाविस) के जरिए इसका समाधान तलाश लिया है। इस सफलता के पीछे क्या फार्मूला है?
ड्यू वाटर हार्वेस्टिंग
Posted on 16 Sep, 2008 05:24 PM

भुज [कच्छ], [आशुतोष शुक्ल]। आईआईएम अहमदाबाद के प्रो. गिरजा शरण, कोठारा गांव के हारुन व रफीक बकाल, सात सौ साल से भी अधिक पुराने जैन तीर्थ सुथरी के प्राण जीवन गोर और सायरा प्रायमरी स्कूल के हेडमास्टर सोढ़ा प्रताप सिंह में भला क्या समानता हो सकती है?

ओस की बूंद
जल प्रशासन में गुजरात और भारत की जलयात्रा
गुजरात और भारत की जल यात्रा बहुत दिलचस्प है, जिसने दुनिया को दिखाया है कि जल को संधारणीय बनाने और पर्यावरण संरक्षण को बहाल करने के लिए जल प्रबंधन में कैसे नयापन लाया जा सकता है। संधारणीयता के उद्देश्य से, लोगों की भागीदारी प्रौद्योगिकी पर केंद्रित ये पहल, पूरी दुनिया के लिए किफायती, प्रेरक और विश्वसनीय मॉडल का मार्ग प्रशस्त करती है। The water journey of Gujarat and India is very interesting, which has shown the world how to innovate in water management to make water sustainability and restore environmental protection. These initiatives, focused on people-participatory technology with the aim of sustainability, pave the way for affordable, inspiring and reliable models for the entire world. Posted on 05 May, 2024 06:08 PM

आज भारत के विकास का वाहक माना जाने वाला गुजरात राज्य, 21वीं सदी के पहले दशक में पानी की कमी वाले राज्यों में था लेकिन अब यह जल-सुरक्षा वाला राज्य बन गया है। पर्यावरण के अनुकूल नीतियों, जलवायु स्थिति स्थापक इंजीनियरिंग को अपनाने और ज़मीनी स्तर पर नेतृत्व को मजबूत करने से परिवर्तित हुआ यह राज्य, सतत विकास का अनुकरणीय उदाहरण है। इस लेख में राज्य में राष्ट्रीय स्तर पर उठाए गए कदमों और सतत विकास लक्

जल प्रशासन में गुजरात की भूमिका प्रभावी
ગ્લોબલ વોર્મિંગ અને ગ્લોબલ કૂલિંગ-માનવે નોંતરેલી આપત્તિઓ
Posted on 14 Dec, 2014 07:38 AM આપત્તિ (હોનારત) એટલે કોઈક એવી ઘટના કે જે ખૂબ પીડા કે દુઃક દેનારી, લોકોના જોખમ કરનારી અને મોટાભાગના લોકોને ઈજા કરનારી, ઉપરાંત તેમને ધન-દોલત અને માલમિલકતથી પણ ખુવાર કરનારી હોય છે. આપત્તિ એવી પરિસ્થિતિ છે કે જે ચેતવણી આપ્યા વગર કે ખૂબ ટૂંકાગાળાની ચેતવણી આપીને એકદમ ત્રાટકે છે. જાનમાલની ખુવારી સર્જી જાય છે. અને જે સમાજ જીવનને છિન્નભિન્ન કરી નાખે છે.
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