झीलें और आर्द्रभूमि

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राजसमन्द का पानी?
Posted on 11 Sep, 2009 09:37 PM

अब से लगभग 25 साल पहले तक भीषणतम अकाल में भी सघन वनों से आच्छादित और पानी से लबालब रहने वाला उदयपुर के समीप स्थित राजसमन्द क्षेत्र पिछले आठ साल से पानी के लिए त्राहि-त्राहि कर रहा है। इस बार राज्य में औसत से अधिक वर्षा के बावजूद यह जिला इस समय राज्य का सर्वाधिक पेयजल संकट वाला जिला है।
सांभर में पसेरी भर अन्याय
Posted on 10 Sep, 2009 09:55 AM
कोई सात महीने पहले सांभर झील के पास बसे उलाना, गुड़ा और बंबली गांव के सैकडों लोगों ने जमीन की खुदाई करने वाली मशीनों को गांव में घुसने से रोक दिया था। ये लोग गावों की सार्वजनिक जमीन के अधिग्रहण का विरोध कर रहे थे। जैसी कि पहले से आशंका थी, ग्रामीणों के इस विरोध का सामना करने के लिए सरकारी मशीनरी भी तुरंत हरकत में आ गई। पुलिस ने ग्रामीणों को ऐसे विरोध की भारी कीमत चुकाने की धमकी भी दे डाली थी
बुंदेलखंड के तालाबों का इतिहास
Posted on 06 Sep, 2009 12:54 PM

बुंदेलखंड में सूखे के कारण मची तबाही के पीछे तालाबों की उपेक्षा भी खास कारण है। तालाब खुदवाना, उनकी मरम्मत कराना यहां की महान परंपराओं में शुमार रहा। बुंदेलखंड नरेश छत्रसाल के पुत्र जगतराज ने एक बीजक के मुताबिक खुदाई करवाकर गड़ा धन प्राप्त किया तो छत्रसाल नाराज हुए। उन्होंने कहा,'मृतक द्रव्य चंदेल को, तुम क्यों लिया उखार '। अगर उखाड़ ही लिया है तो उससे चंदेलों के बने तालाबों की मरम्मत की

इलाहाबाद : मर रहा है रानी का तालाब!
Posted on 04 Sep, 2009 09:25 AM

देश में जल संरक्षण के नाम पर तमाम योजनाएं चल रही हैं। इन योजनाओं को चलाने में करोड़ों रुपये खर्च भी किए जा रहे हैं। इसी में वॉटर बॉडीज यानि जल संचय के केंद्रों को भी संरक्षित करने का ढिढोरा पीटा जा रहा है। उनके नाम पर करोड़ों रुपये डकारे जा रहे हैं। ये हाल राजधानी से लेकर दूर-दराज इलाके तक में भी देखा जा सकता है।
भोपाल: उपेक्षित बावडिय़ां
Posted on 03 Sep, 2009 09:51 AM

भोपाल। भोपाल की ऐतिहासिक विरासत, बावड़ियां बदहाल हो रही हैं। इन जलस्त्रोतों की सुध लेने वाला कोई नहीं। सरकार और स्थानीय प्रशासन राजधानी में पेयजल के लिए इधर-उधर हाथ-पैर मार रहे हैं लेकिन नाक के नीचे इन धरोहरों को अनदेखा किया जा रहा है।

झिलमिल झील : झिलमिलाती रहे
Posted on 10 Mar, 2009 08:38 AM उत्तराखंड के झिलमिल झील आरक्षित वन क्षेत्र में प्राकृतिक वन संपदा के अन्वेषण के दौरान विभिन्न प्राकृतिक वानस्पतिक प्रजातियां चिह्नित की गई हैं। यह क्षेत्र एक नवसृजित संरक्षित क्षेत्र है और इसके बारे में अभी कोई अभिलेख उपलब्ध नहीं है। रचना तिवारी अपने इस लेख में राज्य के तराई क्षेत्र की जैव-विविधता के संरक्षण और संवर्धन की आवश्यकता बता रही हैं
ताल नहीं सूख रहा है भोपाल
Posted on 08 Mar, 2009 07:39 AM
उमाशंकर मिश्र/भोपाल

`जब तक भोपाल ताल में पानी है, तब तक जियो।´ आशीर्वाद देते समय इन शब्दों का प्रयोग बड़े-बूढे करते रहे हैं। क़रीब एक हज़ार साल पुराने `भोपाल ताल´ का जिक्र लोगों की इस मान्यता का गवाह है कि बूढ़ा तालाब कभी सूख नहीं सकता। लेकिन शहर की गंदगी, कचरे और मिट्टी जमाव के कारण बूढ़ा तालाब 31 वर्ग किलोमीटर के विशाल दायरे से सिमटकर महज 7 वर्ग किलोमीटर में रह गया है। आज भोपाल ताल के सूखने से मानों हर भोपाली सूख रहा है।

पढ़ने या सुन भर लेने से किसी बात के मर्म तक नहीं पहुंचा जा सकता, जब तक कि वस्तुस्थिति से स्वयं साक्षात्कार न हो जाये। `ताल तो भोपाल ताल, और सब तलैया।´ भोपाल ताल के बारे में यह कहावत तो बचपन से
भोपाल का ताल
Posted on 09 Jan, 2009 09:51 AM

आत्मदीप, जनसत्ता
भोपाल, 3 जनवरी।‘ताल तो भोपाल का और सब तलैया‘ की देश भर में मशहूर कहावत जिस झील की शान में रची गई, वह अब बेआब और बेनूर हो गई है। भोपाल की जीवनरेखा और पहचान है यहाँ की बड़ी झील। खासी हरियाली और झमाझम बरसात के लिए मशहूर भोपाल में अबकी इतनी कम बारिश हुई है कि इस विशाल झील का करीब 65 फीसदी हिस्सा सूख गया है।

Bhopal tal
सागर झील
Posted on 05 Jan, 2009 05:32 PM

संजय करीर, डेली हिंदी न्‍यूज़ डॉट कॉम

फोटो साभार -डेली हिन्दी न्यूज.कॉम
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