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जम्मू और कश्मीर
बाण गंगा नदी सूखने के कगार पर पहुंची
Posted on 16 Apr, 2010 04:11 PMकटरा (जम्मू और कश्मीर) ।। वैष्णो देवी की यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए बुरी खबर है। यहां सालों से बह रही बाण गंगा नदी इस साल
लगभग सूख चुकी है। यह नदी वैष्णो देवी मंदिर के पास ही बहती है। वैष्णो देवी जाने वाले श्रद्धालु बाण गंगा में जरूर डुबकी लगाते हैं।
चिवांग नोर्फेल
Posted on 22 Dec, 2009 12:57 PMनोर्फेल पेशे से एक इंजीनियर हैं। इन्होंने सन् 1995 में ग्रामीण विकास विभाग से अवकाश प्राप्त कर लेने के उपरांत लोगों को सहयोग करने में रुचि लेना आरंम्भ किया। सरकारी विभाग में काम करते हुए और लेह वासियों के जीवन में कृषि के महत्व को देखते हुए नोर्फेल ने ‘लेह न्यूट्रिशियन प्रोजेक्ट’(एलएनपी) के जरिए लोगों को सहयोग करने का निर्णय लिया। लेह की 98 प्रतिशत आबादी पारंपरिक रूप से कृषि कार्य में जुटी हुई है।हम पी रहे है मीठा जहर
Posted on 08 Oct, 2009 10:26 AMगंगा के मैदानी इलाकों में बसा गंगाजल को अमृत मानने बाला समाज जल मेंव्याप्त इन हानिकारक तत्वों को लेकर बेहद हताश और चिंतित है। गंगा बेसिनके भूगर्भ में 60 से 200 मीटर तक आर्सेनिक की मात्रा थोडी कम है और 220मीटर के बाद आर्सेनिक की मात्रा सबसे कम पायी जा रही है। विशेषज्ञों केअनुसार गंगा के किनारे बसे पटना के हल्दीछपरा गांव में आर्सेनिक की मात्रा1.8 एमजी/एल है। वैशाली के बिदुपूर में विशेषज्ञों ने पानी की जांच की तोनदी से पांच किमी के दायरे के गांवों में पेयजल में आर्सेनिक की मात्रादेखकर वे दंग रह गये। हैंडपंप से प्राप्त जल में आर्सेनिक की मात्रा 7.5एमजी/एल थी ।
तटवर्तीय मैदानी इलाकों में बसे लोगों के लिए गंगा जीवनरेखा रही है। गंगा ने इलाकों की मिट्टी को सींचकर उपजाऊ बनाया। इन इलाकों में कृषक बस्तियां बसीं। धान की खेती आरंभ हुई। गंगा घाटी और छोटानागपुर पठार के पूर्वी किनारे पर धान उत्पादक गांव बसे। बिहार के 85 प्रतिशत हिस्सों को गंगा दो (1.उत्तरी एवं 2. दक्षिणी) हिस्सों में बांटती है। बिहार के चौसा,(बक्सर) में प्रवेश करने वाली गंगा 12 जिलों के 52 प्रखंडों के गांवो से होकर चार सौ किमी की दूरी तय करती है। गंगा के दोनों किनारों पर बसे गांवों के लोग पेयजल एवं कृषि कार्यों में भूमिगत जल का उपयोग करते है।
गंगा बेसिन में 60 मीटर गहराई तक जल आर्सेनिक से पूरी तरह प्रदूषित हो चुका है। गांव के लोग इसी जल को खेती के काम में भी लाते है जिससे उनके शरीर में भोजन के द्वारा आर्सेनिक की मात्रा शरीर में प्रवेश कर जाती है।
डल कैसे हो निर्मल
Posted on 29 Nov, 2008 09:43 AMधरती का स्वर्ग माने जाने वाले कश्मीर की डल झील तिल-तिल कर मर रही है। यह झील इंसानों के साथ-साथ लाखों जलचरों, परिंदों का घरौंदा हुआ करती थी। अपने जीवन की थकान, हताशा और एकाकीपन को दूर करने देश भर के लाखों लोग इसके दीदार को आते थे। मगर अब यह बदबूदार नाबदान और शहर के लिए मौत के जीवाणु पैदा करने का जरिया बन गई है।
