बाण गंगा नदी सूखने के कगार पर पहुंची


कटरा (जम्मू और कश्मीर) ।। वैष्णो देवी की यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए बुरी खबर है। यहां सालों से बह रही बाण गंगा नदी इस साल

लगभग सूख चुकी है। यह नदी वैष्णो देवी मंदिर के पास ही बहती है। वैष्णो देवी जाने वाले श्रद्धालु बाण गंगा में जरूर डुबकी लगाते हैं।

कुछ लोग जल स्तर में कमी की वजह अंधाधुध विकास गतिविधियों को बताते हैं तो कुछ का कहना है कि अच्छा मानसून होने पर सब सही हो जाएगा। यह नदी समाखल क्षेत्र के 200 फुट ऊंचे पहाड़ के बीच से निकलती है। श्री माता वैष्णो देवी मंदिर बोर्ड (एसएमवीडीएसबी) के सहायक सीईओ पी. बी. गुप्ता ने कहा,'पिछले कुछ सालों में बारिश की कमी के चलते समाखल तलाब लगभग सूख गया है और यही वजह है कि बाण गंगा नदी भी सूख गई है।'

हालांकि गुप्ता अच्छे मानसून की उम्मीद करते हैं और कहते हैं, 'हम उम्मीद करते हैं कि इस साल अच्छी बारिश होगी और स्थितियों में सुधार आएगा।' कटरा शहर में एक होटल चला रहे मांगर सिंह कहते हैं, 'मैं बहुत भारी मन से कह रहा हूं कि बाण गंगा लगभग मर चुकी है। मैं पिछले 30 सालों से यहां रह रहा हूं और नदी का जल स्तर पहली बार कम नहीं हुआ है।'

उन्होंने कहा, 'पहले नदी में सितम्बर से अप्रैल तक बहुत अधिक पानी बहता था लेकिन अब स्थिति निराशाजनक है। बाण गंगा में मुश्किल से ही जल बहता हुआ दिखता है।' समाखल क्षेत्र अर्ध कुंवारी से पांच किलोमीटर दूर कटरा शहर और वैष्णो देवी मंदिर के मध्य में है।

हिंदू पौराणिक कथाओं के मुताबिक जब दानव भैरो नाथ देवी वैष्णवी का पीछा कर रहा था, तब वह त्रिकुटा पहाड़ की ओर भागीं और रास्ते में उन्हें प्यास लगी। प्यास लगने पर उन्होंने जमीन पर एक तीर छोड़ा और यह नदी बन गई।

वैष्णो देवी श्रद्धालुओं की अत्यधिक संख्या और पेड़ों की कथित कटाई के कारण त्रिकुटा पहाड़ी क्षेत्र के पारिस्थितिकीय क्षरण की ओर चिंताएं जताई जाती हैं। इस क्षेत्र के पारिस्थितिकीय क्षरण से बाण गंगा नदी सीधे प्रभावित होती है।

जम्मू में वैष्णो धाम में एसएमवीडीएस के एक अधिकारी ने कहा,'कटरा आधार शिविर से गुफा मंदिर तक के 13 किलोमीटर क्षेत्र में चलने वाली विकासात्मक गतिविधियां त्रिकुटा पहाड़ों के लिए खतरा पैदा कर रही हैं और बोर्ड के लिए सबसे बड़ी चुनौती यहां पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखना है।
 
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