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बादलों में प्लास्टिक के कण
वैज्ञानिकों को पहली बार बादलों में सूक्ष्म प्लास्टिक (माइक्रोप्लास्टिक) की मौजूदगी के सबूत मिले हैं। शोधकर्ताओं का भी मानना है कि इसका जलवायु और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
Posted on 04 Oct, 2023 01:02 PM

एक शोध के अनुसार, प्लास्टिक के अत्यंत महीन कणों को जिनका आकार पांच मिलीमीटर या उससे कम होता है, ‘माइक्रोप्लास्टिक’ कहा जाता है। शोध के अनुसार, हर साल प्लास्टिक के करीब एक करोड़ टन टुकड़े जमीन से समुद्र में पहुंच रहे हैं, जहां से वो वायुमंडल में अपना रास्ता खोज लेते हैं। देखा जाए तो बादलों में इनकी मौजूदगी एक बड़े खतरे की ओर इशारा करती है। एक बार बादलों में पहुंचने के बाद यह कण वापस ‘प्लास्टिक व

बादलों में प्लास्टिक के कण
हरियाली से है प्रकृति का श्रृंगार
प्रकृति का विषय जब आता है तो हरी-भरी धरती, गहरा- गहरा विशाल समुद्र, सफेद चमकते पर्वतआदि की कल्पना मन में आ जाती है, जो आज सफेद कागजों पर लिखी नीली स्याही के समान समय के साथ धीरे- धीरे विलीन होता जा रहा है। मिट्टी की उपजाऊ शक्ति और मिट्टी की बनावट का संरक्षण किए बिना सघन खेती करते रहे तो हरी- भरी जमीनें रेगिस्तानों में बदल जाएंगी। पानी के निकास का प्रबंध किए बिना सिंचाई करते रहे तो मिट्टियां कल्लर या रेतीली हो जाएंगी। Posted on 15 Sep, 2023 05:06 PM

प्रकृति का नाम आते ही भूपटल के वृहद पक्षों पर अपने चारों ओर फैले नीले आकाश, हरी-भरी धरती, गहरा- गहरा विशाल समुद्र, सफेद चमकते पर्वत, लहलहाती फसलें, फूलों से लदे वृक्ष, पक्षियों का कलरव, झरनों की मधुर ध्वनि, जंगलों की गहरी गूंज तथा विशाल क्षेत्र में फैले मरुस्थल आदि की कल्पना 'मन में आ जाती है।

हरियाली से है प्रकृति का श्रृंगार
जलवायु परिवर्तन का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव एवं वर्तमान प्रदूषण रहित, चुनौतियों
जलवायु परिवर्तन से मिट्टी पर पड़े प्रभाव का सीधा असर मानव स्वास्थ्य पर पड़ता है। जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में वृद्धि होती है और वाष्पीकरण का संतुलन खराब हो जाता है व हमारी मिट्टी की आर्द्रता असंतुलित हो जाती है। इसके परिणाम स्वरूप हमें सूखे की मार झेलनी पड़ सकती है। अगर यह स्थिति लगातार बनी रही तो मिट्टी मरूस्थल में तब्दील हो जाती है। Posted on 14 Sep, 2023 01:41 PM

जलवायु परिवर्तन से मिट्टी पर पड़े प्रभाव का सीधा असर मानव स्वास्थ्य पर पड़ता है। जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में वृद्धि होती है और वाष्पीकरण का संतुलन खराब हो जाता है व हमारी मिट्टी की आर्द्रता असंतुलित हो जाती है। इसके परिणाम स्वरूप हमें सूखे की मार झेलनी पड़ सकती है। अगर यह स्थिति लगातार बनी रही तो मिट्टी मरूस्थल में तब्दील हो जाती है। मिट्टी एक समय में ऊसर व बंजर हो जाती है। अर्थात हमारे

जलवायु परिवर्तन का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव एवं वर्तमान प्रदूषण रहित, चुनौतियों
महासागर एवं जलवायु परिवर्तन (Oceans and Climate Change in Hindi)
महासागर पानी के वो अथाह समूह हैं जो धरती के सातों महाद्वीपों को अलग-अलग करते हैं अंतरिक्ष से पृथ्वी नीले रंग की दिखाई देती है जिसका कारण ये महासागर ही हैं। सूर्य के प्रकाश के प्रकीर्णन जैसी अद्भुत प्राकृतिक घटना के कारण नीले रंग का प्रतीत होता समुद्री जल पृथ्वी को 'नीले ग्रह' की संज्ञा दिलाता है। Posted on 13 Sep, 2023 02:26 PM

धरती ग्रह पर जीवन का उद्भव महासागरों में ही हुआ। महासागर पृथ्वी के लगभग तीन-चौथाई क्षेत्रफल में विस्तृत हैं और ये अथाह जल का विशालकाय भंडार हैं। धरती पर उपलब्ध कुल जल - राशि का 97% हिस्सा इसके 71% भाग पर फैले इन्हीं महासागरों में समाहित है और इन महासागरों में समाया संपूर्ण जल सोडियम क्लोराइड, मैग्नीशियम क्लोराइड जैसे लवणों की मौजूदगी के कारण खारा है। 

महासागर,असीम जैवविविधता पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
ध्रुवीय समुद्र और उनकी जैवविविधता
दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र, जिसे अंटार्कटिका कहा जाता है, में अंटार्कटिका महाद्वीप और उसके आस-पास का दक्षिणी महासागर शामिल है। अंटार्कटिका महाद्वीप पर भी दुनिया के किसी एक देश का अधिकार नहीं है। बल्कि यहाँ दुनिया के विभिन्न देश मिल-जुलकर केवल वैज्ञानिक अनुसंधान करते हैं। Posted on 12 Sep, 2023 04:29 PM

पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव के आस-पास के क्षेत्र 'ध्रुवीय क्षेत्र' कहलाते हैं। उत्तर ध्रुवीय क्षेत्र, जिसे 'आर्कटिक' कहा जाता है, जिसमें पृथ्वी का उत्तरी ध्रुव, ध्रुव के आस-पास का उत्तरी ध्रुवीय महासागर और इससे जुड़े आठ आर्कटिक देश कनाडा, ग्रीनलैंड, रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका ( अलास्का), आइसलैंड, नार्वे, स्वीडन और फिनलैंड के भूखंड शामिल हैं। अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत वर्तमान में

ध्रुवीय समुद्र और उनकी जैवविविधता
जलवायु परिवर्तन के कारण समंदर हरे हो रहे हैं
ये बदलाव जलवायु परिवर्तन के कारण हुए हैं, यह जानने के लिए शोधकर्ताओं ने अपने अवलोकनों की तुलना एक ऐसे जलवायु मॉडल से की जो बताता है कि ग्रीनहाउस गैस बढ़ने पर समुद्र पारिस्थितिकी तंत्र में किस तरह के बदलाव आएंगे। तुलना में उन्होंने पाया कि मॉडल के नतीजे और उनके अवलोकन मेल खाते हैं।वास्तविक कारण पता लगाना बाकी है। शोधकर्ताओं का कहना है कि संभवतः यह समुद्र की सतह के तापमान में वृद्धि का सीधा प्रभाव नहीं है Posted on 09 Sep, 2023 03:12 PM

पिछले दिनों नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक रिपोर्ट बताती है कि पिछले 20 सालों में दुनिया के आधे से अधिक समंदर पहले से अधिक 'हरे' हो गए हैं और इसका कारण संभवतः बढ़ता तापमान है । समंदरों का रंग कई कारणों से बदल सकता है। जैसे जब पोषक तत्व गहराई से ऊपर आते हैं तो इनके पोषण से पादप प्लवक (फाइटोप्लांकटन) फलते-फूलते हैं । इन फाइटोप्लांकटन में हरा रंजक क्लोरोफिल होता है। तो, सागरों की सतह से परावर्तित सू

जलवायु परिवर्तन के कारण समंदर हरे हो रहे हैं
संसाधन संरक्षण की सामान्य विवेचना की झाँकी में जल संरक्षण की उपयोगिता एवं उपाय
देश काल क्षेत्र एवं परिस्थितियों के अनुसार संसाधनों की उपलब्धता वहाँ की जनसंख्या, उसकी मांग एवं जीवन स्तर, विदोहन, उपयोग की दिशा तथा परिमाण पर निर्भर है तथा इसका अविवेकपूर्ण दोहन तथा अनियंत्रित उपयोग अनेक प्रकार की समस्याओं को जन्म दे सकता है। या तो वे सम्पूर्ण रूप से समाप्त हो जायेंगे अथवा रूप परिवर्तन अथवा प्रदूषण के फलस्वरूप निष्प्रभावी हो जायेंगे और नहीं तो पर्यावरणीय समस्या पैदा कर देंगे। Posted on 07 Sep, 2023 11:25 AM

प्रस्तावना

'संसाधन' अथवा 'रिसोर्स' का दृष्टिकोण वास्तव में बहुत व्यापक है। इसका अर्थ है - लंबी अवधि का साधन । परन्तु सही अर्थों में इस अर्थ के पीछे मनुष्य मात्र की आवश्यकता की पूर्ति का दृष्टिकोण समाहित है । यह कहीं दृष्टव्य है तो कहीं अदृश्य। समय के साथ-साथ यह परिवर्तनशील है। किसी समय यदि कोई वस्तु मानव आवश्यकता की पूर्ति में सक्षम है तो अन्य किसी समय में कोई

प्राकृतिक संसाधन
पुरा- बाढ़ अध्ययन की आकल्पन में उपयोगिता
वर्तमान युग संगणक युग माना जाता है। जलविज्ञान ने इसकी सहायता से पिछले कुछ दशकों में अच्छी प्रगति की है। पुरा - बाढ़ तकनीक के माध्यम से ऐसी बाढ़ जो सौ दौ सौ अथवा हजारों साल पहले कभी किसी नदी में आई थी उनके परिणाम काफी हद तक शुद्ध रूप से मापे जा सकते हैं। Posted on 07 Sep, 2023 10:17 AM

सामान्य अर्थों में बाढ़ एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है जिसकी मानव चिरकाल से अनुभूति करता आ रहा है और इसके मापन के तरह-तरह के वैज्ञानिक तरीके विकसित करने के प्रयास होते रहे हैं। वर्तमान युग संगणक युग माना जाता है। जलविज्ञान ने इसकी सहायता से पिछले कुछ दशकों में अच्छी प्रगति की है। पुरा - बाढ़ तकनीक के माध्यम से ऐसी बाढ़ जो सौ दौ सौ अथवा हजारों साल पहले कभी किसी नदी में आई थी उनके परिणाम काफी हद तक शुद्

पुरा- बाढ़
महासागरों का प्रबंधन जल जगत
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को देखते हुए यह कहना गलत न होगा कि भविष्य में हमारा विकास और समृद्धि समंदरों पर निर्भर रहेगी। इनके महत्व को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 2012 में टिकाऊ विकास सम्बंधी सम्मेलन में हरित अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाकर नीली अर्थव्यवस्था तक ले जाने पर ज़ोर दिया था। संयुक्त राष्ट्र ने महासागरों, सागरों और समुद्री संसाधनों के संरक्षण को निर्वहनीय विकास लक्ष्यों (एसडीजी) में शामिल किया है। Posted on 06 Sep, 2023 04:29 PM

जीवन की उत्पत्ति समंदर में हुई थी। यह अकेला सबसे प्रमुख कारण है कि क्यों समुद्री पर्यावरण की रक्षा की जानी चाहिए। समंदर हमें भोजन, ऊर्जा, खनिज संसाधन तो प्रदान करते ही हैं साथ ही ये जैव विविधता के भंडार भी हैं। ये मौसम और जलवायु को प्रभावित करते हैं और पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करते हैं। इसके अलावा यही समंदर जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा के मुख्य स्रोत हैं और विश्

महासागरों का प्रबंधन जल जगत
उरुग्वे में जल आपातकाल हमारा भूमण्डल
लंबे समय से सूखे के कारण पानी की आपूर्ति करने वाले विभाग को पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा था। यह सब तब हुआ जबकि उरुग्वे दुनिया के सबसे स्वच्छ, सबसे प्रचुर जलस्रोतों वाले देशों में से एक है। वर्ष 2004 में उरुग्वे ने पानी को निजीकरण से बचाने के लिए संविधान में संशोधन किया था और देश में पानी एक मौलिक मानव अधिकार के रूप में चिन्हित किया गया था । Posted on 06 Sep, 2023 04:16 PM

अपनी बेहतरीन फुटबॉल टीम के कारण दुनिया भर में पहचाना जाने वाला दक्षिण अमेरिका का साढे चौंतीस लाख आबादी वाला छोटा सा देश उरुग्वे अब पानी के भीषण संकट से दो-चार है। पानी की यह बदहाली उस देश में हो रही है जहां अभी दो दशक पहले बाकायदा कानून बनाकर पानी के निजीकरण को रोका और उसे मौलिक मानवाधिकार बनाया गया था।

उरुग्वे में जल आपातकाल हमारा भूमण्डल,Pc-पर्यावरण डाइजेस्ट
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