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जलवायु परिवर्तन और परचून की दुकानें
Posted on 01 Jan, 2017 11:25 AM

जलवायु परिवर्तन की सालाना बैठक हमारे सिर आ खड़ी हुई है। भारत सरकार ने पेरिस संधि की पुष्टि

भूख घट तो रही है, मगर...
Posted on 30 Dec, 2016 11:40 AM
सन 2010 में आये तूफान ने हैती द्वारा अब तक किये गए विकास को त
cyclone
जलमग्न जकार्ता
Posted on 01 Dec, 2016 03:54 PM
अगर आपसे कहा जाए कि आने वाले दिनों में एक भरा पूरा शहर डूब जाएगा तो शायद आपको यकीन नहीं होगा। पर यह बात शत प्रतिशत सच है। दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाले द्वीप जावा का एक शहर है जकार्ता। इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता। एक करोड़ से ज्यादा आबादी वाला यह शहर समुद्र से घिरा हुआ है लिहाजा इसके अस्तित्व पर दोहरा संकट खड़ा हो चुका है।
भारत-चीन पर नई जिम्मेदारी
Posted on 25 Nov, 2016 04:03 PM

प्रदूषण की मार झेलने वाले देशों को कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज-22 से कोई राहत नहीं मिली है। हाल

किशनगंगा विवाद पर विश्व बैंक का दखल
Posted on 15 Nov, 2016 03:02 PM
भारत ने इस परियोजना की शुरुआत 2007 में 3642.04 करोड़ की लागत
Pramod Bhargava
जलवायु (अ)न्याय : पेरिस जलवायु सम्मेलन का महत्त्व
Posted on 04 Nov, 2016 11:02 AM
संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) के अन्तर्गत हुआ पेरिस समझौता ऐसा पहला अन्तरराष्ट्रीय दस्तावेज है जिसमें जलवायु न्याय शब्द को शामिल किया गया है। इसकी धारणा में उन तमाम सन्दर्भों को खोजा गया है, जिन्हें शुद्धतः कानूनी, आर्थिक एवं सामाजिक क्षेत्रों में बाँटा जा सकता है।
जलवायु परिवर्तन सम्मेलन 2016
सिंधु जल संधि में भारतीय हितों की अनदेखी
Posted on 01 Nov, 2016 10:18 AM


भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि को लेकर छिड़ा विवाद सुलझता नहीं दिख रहा है। भारत ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि इस संधि को जारी रखने के लिये आपसी विश्वास और सहयोग अहम है। यह जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच दो बड़े युद्धों और खराब रिश्तों के बीच भी बनी रही है।

सिंधु नदी बेसिन
सिंधु जल समझौते की पृष्ठभूमि
Posted on 27 Oct, 2016 12:10 PM


‘सिंधु के मैदानों ने मनुष्य को वो परिस्थितियाँ सौंपी जिससे मनुष्य दुनिया का सबसे विशाल संलग्न सिंचाई नेटवर्क बना सका। कुदरत ने पृथ्वी पर कहीं भी पानी की ऐसी भारी-भरकम मात्रा नहीं दी है जिसे बगैर जलाशय में इकट्ठा किये केवल गुरुत्वाकर्षण के जरिए उपयोग में लाया जा सके।’ -एलॉयस आर्थर मिशेल ने अपनी पुस्तक ‘द इंडस रिवर्स: ए स्टडी ऑफ इफेक्ट ऑफ पार्टिशन में यही लिखा है। इस पुस्तक से उन परिस्थितियों की जानकारी मिलती है जिसमें भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु और सिंधु घाटी की नदियों के जल के बँटवारे के लिये समझौता की जरूरत पड़ी।

दरअसल, भारत-विभाजन के वक्त जब सिंधु घाटी की नदियों पर बने अनेक सैलाबी नहरों में जलप्रवाह बन्द हो गया और नदी, नहर तथा सिंचित क्षेत्र अलग-अलग देशों में चले गए तब विश्व बैंक की मध्यस्थता में यह समझौता हो सका। 1948 से 1960 के बीच कई दौर में वार्ताएँ हुईं, दस्तावेजों और सूचनाओं का आदान-प्रदान हुआ।

सिंधु नदी बेसिन
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