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गोबर से विद्युत उत्पादन की संभावना
Posted on 23 Sep, 2010 11:10 AM
दुनिया की बड़ी आईटी कंपनियां बिजली संकट के समाधान गाय के गोबर में भी तलाश रही हैं।
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ग्रेफीन जल से आर्सेनिक हटाता है
Posted on 16 Sep, 2010 01:03 PM
ग्रेफीन कार्बन का एक द्वि-आयामी अपरूप है जिसकी खोज सन् 2004 में हुई थी। ग्रेफीन एक-परमाणु मोटाई की, द्वि-आयामी, विस्तृत, कार्बन परमाणुओं की समतल शीट होती है। ग्रेफीन कार्बन परमाणुओं की समतल, षट्भुजाकार संरचनाएं होती हैं जिनको ऐसा माना जा सकता है कि जैसे त्रि-आयामी ग्रेफाइट क्रिस्टल की एकल परत को उतार लिया गया हो। ग्रेफीन की यह एकल परत संरचना, जो मधुमक्खी के छत्ते जैसी दिखाई पड़ती है, सभी कार
संकट में खेती का मित्र मेढक
Posted on 13 Sep, 2010 02:04 PM
मेढ़क एक ऐसा जन्तु है जो प्रतिदिन अपने वजन के बराबर नुकसानदेह कीटों को खा जाता है। यह खेती और मनुष्य का बड़ा अच्छा मित्र है।
कैसे बचे रूस की वन संपदा
Posted on 13 Sep, 2010 01:49 PM
हाइड्रो कार्बन के बाद रूस की सबसे बड़ी पूंजी जंगल हैं। यहां दो तिहाई भूमि वनों से ढकी है लेकिन इस वर्ष भारी गर्मी के कारण वहां तापमान काफी ऊंचा रहा और सूखे की मार भी।
एक बाली में छिपी क्रांति
Posted on 26 Aug, 2010 11:09 AM
कोई 250 बरस पहले अंग्रेजी लेखक जॉनाथन स्विफ्ट ने एक कहानी लिखी थी ‘गुलिवर्स ट्रेवल्स’। तब से अब तक इसके अनगिनत अनुवाद हुए हैं। इस सुंदर कथा के एक प्रसंग में एक ऐसे साधारण आदमी को बड़े से बड़े राजा, महाराजा से भी बड़ा बताया गया है जो फसल की एक बाली को, घास के एक तिनके को दो बालियों, दो तिनकों में बदल दे। लगता है बाद में कृषि वैज्ञानिकों ने इसी कहानी को पढ़कर सभी तरह की फसलें दुगुनी करने के
जलवायु परिवर्तन की चुनौतियां-2
Posted on 07 Aug, 2010 01:59 PM

आज हमारे जीवन का हर पहलू जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हो रहा है, चाहे वो पानी की सप्लाई हो या कृषि, प्रकृति में मौजूद पेड़ पौधे हो या फिर पक्षी और जानवर। यहाँ तक कि हमारी खाद्य सुरक्षा और स्वास्थय भी इससे प्रभावित हो रहे हैं। हर किसी को जलवायु परिवर्तन से नुकसान पहुंचा है।

climate change
श्रीलंका में सूझबूझ का सबूत
Posted on 06 Aug, 2010 09:18 AM 1933 में प्रकाशित ए.एल. ब्रोहियर की पुस्तक ‘एन्सिएंट इरिगेशन वर्क्स इन सिलोन’ की प्रस्तावना में डी.एस. सेनानायके ने लिखा था।
पारसियों का बांध
आइये इस ब्लॉग में हम जानेंगे पारसी बांध के बारे में | Let us learn about Parsi Dam in this blog. Posted on 05 Aug, 2010 09:31 AM

गबरबंध के नाम से ही पता लगता है कि ये पारसियों या अग्निपूजकों का बांध था। पत्थर के इन बांधों का आकार और मजबूती ढलान के हिसाब से होती थी। दर्रों में ऊंचे और मजबूत बांध बनाए गए, तो सामान्य ढलानों पर संकरे और कम ऊंचे बांध बनाए गए। इन गबरबंधों का मकसद था- “शुष्क, बंजर पत्थरों पर कछारी मिट्टी की सतह बैठाना और बाढ़ के पानी को फायदेमंद उपयोग के लिए जमा करना।” कहीं-कहीं इसका मकसद जलाशयों में पानी जमा र

पारसियों का बांध
भगवान बचाएं परमाणु ऊर्जा से !
Posted on 01 Aug, 2010 09:00 AM
जिस पदार्थ की राख या बचा हुआ हिस्सा रेडियोधर्मी होकर अगले ढाई लाख वर्षों तक जहरीला बना रहे, ऐसे पदार्थ के जहरीलेपन की सीमा की कल्पना भी नहीं की जा सकती। भारत में पिछले कुछ वर्षों से ऊर्जा के क्षेत्र में परमाणु ऊर्जा को लेकर सुनहरे सपने दिखाए जा रहे हैं। यह आलेख परमाणु ऊर्जा के खतरों के बारे में है। पानी-पर्यावरण पर होने वाले प्रभावों को सामने लाने का प्रयास यहां किया गया है।
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