Posted on 08 Jan, 2015 05:37 PM21वीं सदी में प्रवेश के साथ भारत को एक बड़े जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। इस संकट की वजह से हमारे नागरिकों के पीने के पानी के बुनियादी अधिकार संकट में पड़ गए हैं; इससे लाखों लोगों की आजीविका भी जोखिम में पड़ गई है। अर्थव्यवस्था के तीव्र औद्योगीकरण की माँग और समाज में शहरीकरण की प्रवृत्ति ऐसे समय उत्पन्न हुई है, जब जलापूर्ति बढ़ाने की क्षमता सीमित है, जलस्तर गिर रहे हैं और जल की गुणवत्ता के मुद
Posted on 08 Jan, 2015 01:07 PMभारत जिस तरह पिछले एक दशक से उच्च वृद्धि दर पाने के लिए आर्थिक मन्दी से बचने में संघर्षरत है उससे यह स्पष्ट होता है कि इससे हमारे आर्थिक भविष्य का एक महत्वपूर्ण आधार भूमि सम्बन्धित समस्याओं से निपटने का रवैया होगा। ऐसा होने के दो बड़े कारण हैं।
Posted on 03 Jan, 2015 11:57 AM6 नवम्बर 2014 श्रद्धेय प्रधानमंत्री जी आप अवगत् हैं कि बिहार राज्य के 81 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। विशेष भौगोलिक स्थिति के कारण, एक तरफ राज्य का उत्तरी भाग देश का सर्वाधिक बाढ़ प्रवण क्षेत्र है और प्रत्येक बर्ष बाढ़ की चपेट में रहता है, तो वहीं दक्षिणी भाग सूखा की मार से त्रस्त रहता है। बिहार में कुल बाढ़ प्रभावित क्षेत्र 6880 लाख हेक्टेयर है जो भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 73 प्रतिशत तथा देश के कुल बाढ़ प्रभावित क्षेत्र (400 लाख हेक्टेयर) का (17.20 प्रतिशत है। उत्तर बिहार के सभी प्रमुख नदियों (बुढ़ी गण्डक का छोड़कर) का उद्गम स्थल नेपाल एवं तिब्बत में स्थित है तथा इन नदियों का तीन चौथई जलग्रहण क्षेत्र नेपाल एवं तिब्बत में ही पड़ता है। बाढ़ के शमन हेतु दीर्घकालीन स्थायी निदान के उपाय में अन्तरराष्ट्रीय पहलू निहित है क्योंकि बाढ़ शमन हेतु जलाशय का निर्माण नेपाल में ही सम्भव है। सूखा प्रवण दक्षिण बिहार क्षेत्र में सिंचाई उपलब्ध कराने एवं बाढ़ प्रवण उत्तर बिहार की जनता को बाढ़ से सुरक्षा प्रदान
Posted on 02 Jan, 2015 09:30 PMआज हम आधुनिक कृषि व्यवस्था में जिन तरीकों को अपना रहे हैं वे टिकाऊ नहीं है, जैसे कि अन्धाधुन्ध रासायनिक उर्वरकों का उपयोग, कीटनाशकों का उपयोग, जरूरत से ज्यादा मशीनीकरण, बाह्य जननद्रव्यों का उपयोग इत्यादि। वास्तव में ये सारे कारक जहाँ हरित क्रान्ति लाने के लिए जिम्मेदार हैं वहीं ये पर्यावरण पर विपरित प्रभाव डाल रहे हैं। इन सबके अलावा मृदा अपक्षरण, बड़े बैमाने पर वनों की कटाई और घटते जल स्तर ने हमार
Posted on 02 Jan, 2015 05:54 PMवन सम्पदा देश की ऐसी निधि है जो पुनरोपयोगी संसाधन उपलब्ध कराकर देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। हमारे देश में कुल भौगोलिक क्षेत्र के 20.84 प्रतिशत भू-भाग पर वन हैं, जिसमें 12 प्रतिशत घने वन, 7.96 प्रतिशत खुले वन, 0.15 प्रतिशत मैनग्रोव वन तथा मात्र 0.53 प्रतिशत मानव निर्मित वन हैं। भारत के लगभग 413 जिलों में से 105 में ही 33 प्रतिशत वन क्षेत्र हैं जबकि 52 जिलों में 25 प्रतिशत तथा
Posted on 31 Dec, 2014 03:20 PMदिनों-दिन मानव की ज्यादा बलवती होती विकास की चाह, अंतरिक्ष तक पहुँचते आदमी के कदम, रोजाना ही नये-नये आविष्कारों की भरमार। यह सब सुनने में कितना अच्छा लगता है, कितना सुखद। पर क्या हमने कभी यह भी जानने की कोशिश की है कि, चारो तरफ होती यह प्रगति किस कीमत पर हो रही है?