Posted on 24 Feb, 2015 10:25 PM'किसानों का स्थान पहला है चाहे वे भूमिहीन मजदूर हों या मेहनत करनेवाले जमीन मालिक हों। उनके परिश्रम से ही पृथ्वी फलप्रसू और समृद्ध हुई है। मुझे इसमें सन्देह नहीं कि यदि हमें लोकतान्त्रिक स्वराज्य हासिल होता है — और यदि हमने अपनी स्वतन्त्रता अहिंसा से पाई तो जरूर ऐसा ही होगा — तो उसमें किसानों के पास राजनीतिक सत्ता के साथ हर किस्म की सत्ता होनी चाहिए। किसानों को उनकी योग्य स्थिति मिलनी ही चाहिए औ
Posted on 19 Feb, 2015 05:08 PMमशहूर अंग्रेज कवि जॉन कीट्स ने एक बार कहा था ‘‘धरती की कविता कभी खत्म नहीं होगी।’’ कीट्स एकदम सही थे। धरती अपने रूप बदलती रही है। धरती के विभिन्न रूपों के निशान धरती के ही इतिहास के पन्नों में दफन हैं। हिमालय की ऊँची चट्टानों की सतहों के बीच समुद्री जीवाश्म की प्रचुर मात्रा मौजूद हैं, जो बताते हैं कि उत्तुंग पर्वत श्रृंखला की जगह एक समय वहाँ लहराता समुद्र हुआ करता था।