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भूकंप
Posted on 17 Sep, 2011 12:40 PM भूकंप प्राकृतिक आपदा का सर्वाधिक विनाशकारी रूप माना जाता है। इसके कारण व्यापक तबाही और मानव जीवन की भारी क्षति होती है। लोग भारी संख्या में हताहत होते हैं। आमतौर पर इसका प्रभाव अत्यंत व्यापक क्षेत्र में महसूस किया जाता है लेकिन इनका परिणाम कितना भी भयावह क्यों न होता हो, साथ ही यह भी सत्य है कि इनके आने की संभावना कम होती है। इसलिए भूकंप आने के बाद उसके प्रभावों का सामना करने की कार्रवाई बिना किसी
भूकंप से टूटे रास्ते
आकाश नीला क्यों है
Posted on 16 Sep, 2011 03:48 PM

जब मुझसे (अपने) भाषण के लिए कोई वैज्ञानिक विषय चुनने को कहा गया तो मुझे यह विषय “आकाश नीला क्यों है” चुनने में कोई दिक्कत नहीं हुई। सौभाग्य से आज प्रकृति कृपालु है। मैं जब निगाहें ऊपर को उठाता हूं तो देखता हूं कि आकाश नीला है, सभी जगह तो नहीं, क्योंकि बादल बहुत हैं। मैंने यह विषय सिर्फ इसलिए चुना कि यह एक ऐसा उदाहरण है जिसे देखने के लिए आपको प्रयोगशाला में जाने की जरूरत नहीं है। बस आप आकाश की ओ

आकाश
समुद्र कृषि की नई प्रगतियाँ
Posted on 16 Sep, 2011 01:44 PM सस्य संघटकों के जैव संपोषण के लिए आजकल घन-अवस्था किण्वन का प्रयोग बढ़ रहा है। यह प्रौद्योगिकी कम लागत की है जिसके जरिए पोषण प्रोफाइल व पाच्यता बढ़ाया जा सकता है। एनजाइम की जलविश्लेषण के लिए भी यह सहायक होता है।
समुद्री शैवाल पैदावार- छोटे मछुआरों के लिए एक और रोजगार
Posted on 16 Sep, 2011 01:10 PM समुद्री शैवाल पृथ्वी के सभी भागों में खाद्य और निर्यात साधन (एगार, अलिजन और कैरागीनन जेस) के लिए संग्रहण किया जाता है। वर्ष 1980 तक संसाधन उद्योग समुद्री शैवालों की प्राकृतिक संपदा पर निर्भर करता था। कई एशियायी देश जैसे फिलिपीन्स चीन कोरिया, जापान और इंडोनेशिया में कुछ हद तक समुद्री शैवालों को पैदावार किया जाता था (ट्रोणो 1990).
मैंग्रोव और तटीय मेखला प्रबंधन
Posted on 16 Sep, 2011 12:15 PM उष्णमेखला वर्षा वनों के समान मैंग्रोव (गरान) मेखलाएं भी हजारों वर्षों से अपने विभवों से लोगों के आर्थिक उन्नयन में योगदान दे रही हैं। यहां के जंगलों से लकड़ी, ईंधन, चारा घास, इकट्ठा करते हैं तो गीले प्रदेश मात्स्यिकी, जलकृषि, नमक उत्पादन के लिए अनुयोज्य है। सिवा इसके यहां के पेड़-पौधे तट-रेखा में रहने के कारण मिट्टी अपरदन और तट में पानी के प्रवाह को भी रोकते हैं।
मैंग्रोव वन
जल ही जीवन है
Posted on 16 Sep, 2011 11:35 AM गगन समीर अनल जल धरनी,
यह सृष्टि इन तत्वों की करनी।
दो तिहाई तन में है जल,
इससे ही सब पातें है बल।

वैंकट जल से पृथ्वी लाए,
जिससे हम नवजीवन पाए।
जल मंथन से अमृत पाया,
इसको कहते हरि की माया।

जल का पूजन हम हैं करते,
सब पापों को जो हैं हरते।
जल ही जीवन का आधार,
जिस पर हो रहे अत्याचार।

उसकी रक्षा का हम पर भार,
विद्यालय स्वच्छता एवं स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम
Posted on 16 Sep, 2011 10:43 AM

गीली मिट्टी को जितना आसानी से आकार दिया जा सकता है, उसी प्रकार कम उम्र के बच्चों में अच्छी आदतों और संस्कारों में ढाला जा सकता है। उनकी ग्रहण शक्ति और जीवन में सीखी गई बातों को उतारने की तत्परता जिस तीव्रता से बच्चों में देखी जाती है, उस तरह से जीवन की किसी अन्य अवस्था में नहीं देखी जाती। बच्चे न सिर्फ अपने परिवार के, बल्कि पूरे समाज और देश की आशा हैं। उनके जीवन में कुछ महत्वपूर्ण चीजें शामिल ह

स्वच्छता से ही खुशिया आए
हम और हमारा स्वास्थ्य (कक्षा -1)
Posted on 15 Sep, 2011 04:29 PM

कक्षा 1 के बच्चों को स्वास्थ्य एवं स्वच्छता संबंधी पूरक पाठ्य सामग्री के रूप में “हम और हमारा स्वास्थ्य” पुस्तिका तैयार की गई है। इस पुस्तक में दिए गए पाठों का कक्षा में केवल पढ़ाया जाना ही पर्याप्त नहीं है। बच्चों में स्वास्थ्य एवं स्वच्छता संबंधी अच्छी आदतें विकसित हो, इसके लिए सदैव प्रयासरत रहें। पाठ में दिए गए बिन्दुओं को विस्तार से समझाने हेतु बच्चों से चर्चा करें। आवश्यक हो तो पाठ में दिए

अपने जीवन में खुशियां लाने के लिए स्वच्छता अपनाएं
हम और हमारा स्वास्थ्य (कक्षा - 4)
Posted on 15 Sep, 2011 03:37 PM

कक्षा 4 के बच्चों के लिए ‘हम और हमारा स्वास्थ्य’ पुस्तिका तैयार की गई है। इसके द्वारा बच्चों में स्वच्छता-संबंधी अच्छी आदतों का विकास होगा। इस पुस्तक में दिए गए पाठों का कक्षा, में केवल पढ़ाया जाना ही पर्याप्त नहीं है, अपितु बच्चों में स्वास्थ्य-संबंधी अच्छी आदतों का विकास किया जाना भी आवश्यक है। पुस्तक में दिए गए बिन्दुओं को विस्तार से समझाने हेतु बच्चों से चर्चा करें।

स्वच्छता अपनाएं, स्वस्थ्य रहें
भूमिगत जल (पोस्टर)
Posted on 15 Sep, 2011 12:46 PM भूजल, जो मृदा, रेत एवं चट्टानों की दरारों और छिद्रों में इकट्ठा रहता है। देश की पेयजल और सिंचाई की तीन चौथाई जरूरतें भूजल से ही पूरी होती है। भूजल, पृथ्वी के कुल मानव उपयोग होने वाले जल का 98 प्रतिशत है। सबसे सहज और सबसे आसानी से उपलब्ध होने वाला जल भूजल ही है।
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