दिल्ली

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लूट पानी की
Posted on 30 Jul, 2012 01:24 PM

कार्पोरेट्स की रुचि निजी पानी के व्यापार से अधिकाधिक लाभ कमाने की होने से पानी के उपयोग का प्राथमिकता क्रम और मा

पानी के प्रति उदासीन समाज
Posted on 28 Jul, 2012 03:42 PM पानी के बिना प्राणी जगत के बारे में सोचना गलत है। लोगों को अगर पानी भरपूर मिले तो उसे बर्बाद करने में कोई गुरेज नहीं करते। हम अपने नदियों, तालाबों, कुओं और बावड़ियों को मारकर बोतलबंद पानी के सहारे जीने की आदत डाल रहे हैं। हमारा समाज ग्रामीण परिवेश का आदि रहा है लेकिन औद्योगिकीकरण तथा शहरीकरण ने हमसे हमारा पानी छीन रहा है। पानी को यूं ही बर्बादकर हम घटते जा रहे इस बेशकीमती संसाधन के प्रति अनादर
गोदामों में सड़ रहा अनाज
Posted on 28 Jul, 2012 11:54 AM भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने अपनी भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए कोई सार्थक पहल नहीं की है। नतीजा, न तो हम अतिरिक्त उत्पादन को गोदामों में सुरक्षित रख पा रहे हैं और न वक्त-जरूरत जनसामान्य को उपलब्ध करा भूख से होने वाली मौतों को रोक पा रहे हैं। ऐसे में रिकॉर्ड उत्पादन का सार्थक उपयोग नहीं हो पा रहा है और खुले में, गोदामों में करोड़ों टन अनाज सड़ने और खबरों की सुर्खियों में रहने को अभिशप्त है। अनाज
प्यासा भारत पड़ोसियों को पानी बांट रहा है
Posted on 27 Jul, 2012 12:06 PM भारत अपने पड़ोसियों से संबंध ठीक रखने के लिए हदें पार करता रहा है। कई-कई बार पड़ोसियों ने भारत की जमीन कब्जा ली है। यह सहनशीलता भारत के उदारता के रूप में प्रचारित होती रही है। लेकिन शायद ही किसी को पता होगा कि पड़ोसियों के प्रति भूमि की उदारता भारत की जल सुरक्षा को खतरे में डाल रही है। अब पाकिस्तान की मांग है कि भारत सियाचिन ग्लेशियर से पीछे हटे। ग्लेशियरों से अपना कब्जा हटाना नदियों को सूखाना
गरीब और गांवों के हाथ से छीनकर जल का बाजारीकरण
Posted on 27 Jul, 2012 11:12 AM गोपाल कृष्ण अग्रवाल जल के निजीकरण और बाजारीकरण पर काम करते हैं। नई जलनीति 2012 की पुरजोर कोशिश है कि जल वितरण के क्षेत्र में कंपनियों को बढ़ावा दिया जाय। गोपाल कृष्ण का मानना है कि भारत सरकार द्वारा पेश की गई, विश्व बैंक द्वारा समर्थित राष्ट्रीय जल नीति 2012 के मसौदे में उल्लिखित जल के निजीकरण को हर हाल में रोका जाना चाहिए। जल का निजीकरण पूरी तरह गरीब और गांव विरोधी है। गोपाल कृष्ण कहते हैं कि
वर्षाजल संचयन के साथ ही जलस्रोतों का भी बचाया जाना जरूरी है
Posted on 27 Jul, 2012 10:41 AM अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पर्यावरणविद् सुनीता नारायण ‘सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरनमेंट’ (सीएसई) की मुखिया हैं। लगभग चालीस सालों से सीएसई जल संचय के परंपरागत तरीकों और लगभग 30 सालों से वाटर हार्वेस्टिंग के नये तरीकों पर काम कर रहा है। 1980 में ही सीएसई ने रूफ टॉप रेनवाटर हार्वेस्टिंग की संकल्पना रखी, जिसकी तरफ सरकारों का भी ध्यान गया। देश के कई शहरों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य किया गया।
वर्षाजल संचय से ही समाज का उद्धार
Posted on 27 Jul, 2012 10:08 AM फोर्स नाम के एक गैर सरकारी संगठन की अध्यक्षा हैं ज्योति शर्मा। दिल्ली आधारित उनका संगठन जल संरक्षण के लिए काम करता है। उनका मानना है कि शहरी पानी को बचाने के लिए तीन सूत्री कार्यक्रम पर ध्यान देना होगा। पहला, शहरों के तालाबों को पुनः जीवनदान देना होगा; दूसरा, शहर के साफ पानी के नालों पर चेकडैम बनाना; तीसरा, सभी घरों में वर्षाजल संचयन की व्यवस्था करना।
दिल्ली के पानी के समाधान के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति चाहिए
Posted on 27 Jul, 2012 09:42 AM दिल्ली में पानी के समाधान के लिए लोगों को दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत है। दिल्लीवासीयों को पानी के समस्या से निबटने के लिए अपने घरों के छतों पर रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना होगा। जिससे पानी की कुछ चिंता खत्म हो सके। वीके जैन तपस संगठन से जुड़े हुए हैं। यमुना जो दिल्ली की लाइफलाइन है साथ ही दिल्ली की झीलों तालाबों को बचाने के लिए वीके जैन और उनका संगठन न्यायालय से लेकर सड़क तक संघर्ष कर रहा है
सूखा : अब सरकार भी लाचार
Posted on 26 Jul, 2012 03:32 PM देश में मानसून की तानाशाही के कारण सूखे का संकट मंडराने लगा है। बारिश का मौसम आधा बीतने के बाद ऐसा लग रहा है कि मानसून की समाप्ति सूखे के साथ होगी। भारत के कई राज्यों में सूखे की आशंका होने लगी है। नतीजा यह कि इससे आजीविका के संकट से लेकर भुखमरी, पलायन और कृषि समस्या बुरी तरह प्रभावित होगा। इस मानसून में बारिश कम होने से खरीफ ही नहीं, रबी फसलें भी प्रभावित होंगी। मानसूनी बारिश से खेतों में नमी
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