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पर्यावरण विनाश : आजादी की असफलता
Posted on 04 May, 2014 08:59 AM

जीवन का सच्चा सुख उसके ही साथ है, जो आज भी इस आजादी को आजादी बनाए रखने के लिए अपने-अपने ढंग से

क्यों जरूरी है- हरित मंच
Posted on 03 May, 2014 03:22 PM दुनिया के समस्त जीव हमारे साथी हैं, तथा उन्हें भी इस दुनिया में रहन
ई-वेस्ट का सफाया करेंगे युवा उद्योगपति
Posted on 03 May, 2014 11:31 AM मैनेजमेंट एंड हैंडलिंग नियम लागू, फिर भी कबाड़ियों के पास जा रहा ई-वेस्ट
कूड़े का रोना
Posted on 03 May, 2014 11:23 AM आज हमारे जीवन को सजाने वाली जिन चीजों से जीवन की सजावट होनी थी, शा
आखातीज से कीजे सूखे की अगवानी की तैयारी
Posted on 02 May, 2014 12:12 PM

2 मई-अक्षय तृतीया पर विशेष


यदि मौसम विभाग ने सूखे की चेतावनी दी है, तो उसका आना तय मानकर उसकी अगवानी की तैयारी करें। तैयारी सात मोर्चों पर करनी है: पानी, अनाज, चारा, ईंधन, खेती, बाजार और सेहत। यदि हमारे पास प्रथम चार का अगले साल का पर्याप्त भंडारण है तो न किसी की ओर ताकने की जरूरत पड़ेगी और न ही आत्महत्या के हादसे होंगे। खेती, बाजार और सेहत ऐसे मोर्चे हैं, जिन पर महज् कुछ एहतियात की काफी होंगे।

इन्द्र देवता ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी है। अगले आषाढ़-सावन-भादों में वे कहीं देर से आएंगे; कहीं नहीं आएंगे; कहीं उनके आने की आवृति, चमक और धमक वैसी नहीं रहेगी, जिसके लिए वे जाने जाते हैं। हो सकता है कि वह किसी जगह इतनी देर ठहर जाएं कि 2005 की मुंबई और 2006 का सूरत बाढ़ प्रकरण याद दिला दें। इस विज्ञप्ति के एक हिस्से पर मौसम विभाग ने अपनी मोहर लगा दी है; कहा है कि वर्ष-2014 का मानसून औसत से पांच फीसदी कमजोर रहेगा। शेष हिस्से पर मोहर लगाने का काम अमेरिका की स्टेनफार्ड यूनिवर्सिटी ने कर दिया है।

पिछले 60 साल के आंकड़ों के आधार पर प्रस्तुत शोध के मुताबिक दक्षिण एशिया में अत्यधिक बाढ़ और सूखे की तीव्रता लगातार बढ़ रही है। ताप और नमी में बदलाव के कारण ऐसा हो रहा है। यह बदलाव ठोस और स्थाई है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव भारत के मध्य क्षेत्र में होने की आशंका व्यक्त की गई है। बुनियादी प्रश्न यह है कि हम क्या करें? इन्द्र देवता की विज्ञप्ति सुनें, तद्नुसार कुछ गुनें, उनकी अगवानी की तैयारी करें या फिर इंतजार करें?
agriculture
नदी तंत्र और मानवीय हस्तक्षेप
Posted on 02 May, 2014 10:45 AM

विकास गतिविधियों के बढ़ने के कारण नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में मौजूद जंगल कम हो रहे हैं। अतिवृष्टि तथा जंगल घटन

नदी तंत्र
गंगा शुद्धिकरण प्रयासों का लेखा जोखा
Posted on 02 May, 2014 10:23 AM
गंगा नदी के प्रारंभिक जलमार्ग में अनेक बाँधों के निर्माण के कारण जलग्रहण क्षेत्र से परिवहित मलबा, आर्गनिक कचरा तथा पानी में घुले रसायन बाँधों में जमा होने लगा है जिसके कारण बाँधों के पानी के प्रदूषित होने तथा जलीय जीव-जंतुओं और वनस्पतियों पर पर्यावरणीय खतरों के बढ़ने की संभावना बढ़ रही है। बाढ़ के गाद युक्त पानी के साथ बह कर आने वाले कार्बनिक पदार्थों और बाँधों के पानी में पनपने वाली वनस्पतियों के आक्सीजनविहीन वातावरण में सड़ने के कारण मीथेन गैस बन रही है। गंगा, अनादिकाल से स्वच्छ जल का अमूल्य स्रोत और प्राकृतिक जलचक्र का अभिन्न अंग रही है। उसने अपनी उत्पत्ति से लेकर आज तक, अपने जलग्रहण क्षेत्र पर बरसे पानी की सहायता से कछारी मिट्टी को काट कर भूआकृतियों का निर्माण कर रही है तथा मुक्त हुई मिट्टी इत्यादि को बंगाल की खाड़ी में जमा कर रही है। उसने लाखों साल से वर्षाजल, ग्लेशियरों के पिघलने से प्राप्त सतही जल तथा भूमिगत जल के घटकों के बीच संतुलन रख, सभ्यता के विकास को सम्बल प्रदान कर सामाजिक तथा आर्थिक कर्तव्यों का पालन किया है। वह, कछार की जीवंत जैविक विविधता का आधार है।

कहा जा सकता है कि भारत में, मानव सभ्यता के विकास की कहानी, काफी हद तक गंगा के पानी के उपयोग की कहानी है।
गंगा
माटी पुत्र की भेंट
Posted on 01 May, 2014 02:23 PM प्याऊभोपाल-इंदौर मार्ग पर सड़क के किनारे सीहोर से आष्टा और देवास तक के बीच दो-तीन प्याऊ दिख जाएंगे। खजूर के पत्तों और पुरानी चटाइयों के टुकड़ों से बनी छोटी-सी झोपड़ी में रखे मटकों
पानी के लिए सड़क पर उतरे लोग
Posted on 01 May, 2014 01:54 PM हल्की सी गर्मी बढ़ते ही शहर जल संकट से जूझने लगा है। परेशान होकर लोग स्थानीय नेताओं के दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। सोमवार को डबुआ कालोनी के वार्ड नंबर नौ की दर्जनों महिला-पुरुष पानी के लिए सड़क पर उतर आए। सर्वप्रथम लोगों ने स्थानीय विधायक व श्रम मंत्री पंडित शिवचरण शर्मा के मस्जिद स्थित कार्यालय पर गुहार लगाई, लेकिन वहां उन्हें कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। इसके बाद प्रदर्शनकारी निगम मुख्यालय पह
अग्रसेन की बावड़ी में फिर भरेगा पानी
Posted on 01 May, 2014 10:37 AM जल संरक्षण के जरिए परियोजना को मूर्त रूप देगा एएसआई
कनॉट प्लेस में भूमिगत पार्किंग की वजह से सूख गई बावड़ी

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