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बदली है चाल मेघों की या...
Posted on 06 Jul, 2014 11:02 AM मेघों की चाल से धरती पर जिंदगी की नियति तय होती है। इसी नाते इधर कुछ वर्षों में मौसम के उलटफेर के चलते धरती की आबोहवा में भी कुछ बदलाव दिखने शुरू हुए, तो कहा जाने लगा कि मेघों ने अपनी चाल बदल ली है। लेकिन क्या सचमुच मेघों की चाल बदली है या माजरा कुछ और है? प्रसिद्ध गांधीवादी विचारक और ‘आज भी खरे हैं तालाब’ के चर्चित लेखक के विचार दिलचस्प हैं।

बहुत से नेता आपको यह कहते हुए मिलेंगे कि हमारी खेती भगवान भरोसे है, इसलिए हम पिट जाते हैं। वे कहते हैं कि यह हमारे भरोसे होनी चाहिए और हम विज्ञान से उसको करके दिखा सकते हैं। इसीलिए बड़े-बड़े बांध बनते हैं, फिर उनकी सैकड़ों किलोमीटर की नहरें बनती हैं। वे यह मानते हैं कि मेघ अपनी चाल बदल देंगे, तो हमारे पास उनको अंगूठा दिखाने का एक तरीका है कि हमने भी अपनी चाल इतनी आधुनिक कर ली है कि हम तुमको याद भी नहीं करने वाले और हमारे खेतों में पानी पहुंच जाएगा। अकसर यह कहा जाता है कि अब मेघों ने अपनी चाल बदल दी है। असल में मेघों की चाल बदली या नहीं बदली, यह पक्के तौर पर कहना कठिन है। उससे ज्यादा भरोसे के साथ यह कहा जा सकता है कि हमारी चाल जरूर बदल गई है।

पिछले सौ-सवा सौ साल में मौसम विभाग-जैसा कोई विभाग हमारे समाज में, हमारे देश में और दुनिया के विभिन्न देशों में अस्तित्व में आया है। दो- पांच वर्ष का अंतर होगा, लेकिन ऐसी चीजें बहुत पुरानी नहीं हैं। वर्षा, मेघ, पानी का गिरना, आषाढ़ का आना, सावन-भादों- ये सब हजारों साल के अनुभव हैं समाज के, उसके सदस्यों के, विशेषकर किसानों के-जिनका पूरा जीवन इस पर टिका रहता है।

उन्होंने कभी अपनी चाल नहीं बदली, बल्कि मेघों की चाल देखकर अपना व्यवहार तय किया था।
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गंगा पर ये करें पहल
Posted on 05 Jul, 2014 09:45 AM गंगा में मिलते कचरा एवं गंदे नालेगंगा समग्र यात्रा के दौरान कानपुर में उमा भारती ने कहा था कि उनकी पार्टी की सरकार बनने पर दो काम उनकी प्राथमिकता में होंगे। एक यह कि कानपुर के गंगा-जल को आचमन के योग्य बनाएंगे। और दूसरा, गौ हत्या पर काफी सख्त कानून बनाया जाएगा। लेकिन यहां हम बात केवल गंगा की कर रहे हैं।
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शहरीकरण की मुश्किलें
Posted on 04 Jul, 2014 01:29 PM भीड़, प्रदूषण और बिजली-पानी जैसी समस्याओं ने भारत के शहरों पर सवालिया निशान लगा दिया है। शहरीकरण की यह अनियोजित रफ्तार कब और कैसे ठीक होगी? पड़ताल कर रहे हैं पंकज चतुर्वेदी।
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मौसम की भविष्यवाणी
Posted on 04 Jul, 2014 12:22 PM

हमारे यहां जलस्रोत, जल संरचनाएं बहुत हैं। बारिश भी कमोबेश ठीक होती है,लेकिन हम पानी को भूगर्भ म

weather prediction
घरों का दूषित जल बना सिंचाई योग्य
Posted on 04 Jul, 2014 11:54 AM केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने बुधवार को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र का उद्घाटन किया। संस्थान के जल प्रौद्योगिकी केंद्र ने इस संयंत्र को तैयार किया है।

संस्थान की कृषि कुंज कॉलोनी के लगभग 1200 आवासीय इकाइयों का दूषित जल इस संयंत्र में जमा होता है जिससे बिना किसी रासायनिक प्रक्रिया के शुद्ध किया जाता है और फिर इससे फसलों की सिंचाई की जाती है।
कमजोर मानसून के खिलाफ कसी कमर
Posted on 04 Jul, 2014 11:23 AM मौसम विभाग ने कहा कि इस साल मानसून लंबी अवधि के औसत के हिसाब से साम
जल संरक्षण व संग्रहण सबसे जरूरी
Posted on 04 Jul, 2014 09:58 AM परंपरागत जल संग्रहण प्रणालीसामान्यतः कृषि लगभग पूरी तरह वर्षा पर निर्भर है। देश की जनसंख्या का बड़ा हिस्सा खेती पर आश्रित है। अर्थव्यवस्था की रीढ़ खेती की पैदावार है इसलिए जरूरी है कि संतुलित और समुचित रूप से मॉनसून की कृपा बनी रहे। लेकिन इस वर्ष बारिश औसत से कम है। यह जरूरी है कि भविष्य के लिए जलस्रोतों के बेहतर प्रबंधन के प्रयास किए जाएं।
यमुना के प्रदूषण को दूर करने के लिए सरकार की व्यापक योजना
Posted on 03 Jul, 2014 01:55 PM दिल्ली शहर के तेजी से बढ़ने के कारण 1600 अनधिकृत कॉलोनियां, 189 शह
विकास में है संतुलन की जरूरत
Posted on 03 Jul, 2014 10:29 AM

देशभर की नदियां तिल-तिल कर मर रही हैं। इनके किनारे बसे शहर इनका पानी ले रहे हैं और गंदा पानी इन

गंगा मैली करने वाले प्रतिष्ठानों पर नरमी क्यों
Posted on 01 Jul, 2014 10:32 AM गंगा में बढ़ते प्रदूषण को लेकर न्यायालय ने भी कई बार चिंता जताई है
Polluted Ganga
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