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पेयजल एवं स्वास्थ्य (Drinking Water And Health)
Posted on 30 May, 2015 04:28 PM रोगाणुओं, जहरीले पदार्थों एवं अनावश्यक मात्रा में लवणों से युक्त पानी अनेक रोगों को जन्म देता है। बीमारियों में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रदूषित पानी का ही हाथ होता है। प्रति घंटे 1000 बच्चों की मृत्यु मात्र अतिसार के कारण हो जाती है जो प्रदूषित जल के कारण होता है। यही वजह है कि केन्द्र सरकार की ओर से लोगों का जीवन बचाने की दिशा में निरन्तर कार्य किया जा रहा है। चूँकि पेयजल ही जीवन का आधार
वृक्षों की रक्षा हेतु जनचेतना की बेहद जरूरत
Posted on 30 May, 2015 03:59 PM

विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष

world environment day
पर्यावरण: चहुँ ओर फैला अन्धकार
Posted on 30 May, 2015 12:14 PM हम उड़तें हैं पश्चिम की ओर:
पश्चिम, ठीक वैसा ही है, एक कसाईघर
हम उड़ते हैं पूर्व की ओर
पूर्व है, ठीक वैसी ही, एक कैद,
कुओ मो-जो (चीनी कवि)

उम्मीदों के जलाशय
Posted on 29 May, 2015 12:13 PM

मानसून का बढ़ती अनिश्चितता के साथ ही जल संग्रह का महत्त्व बढ़ता जा रहा है। इसका अहसास केन्द्र क

मानसून की मोहताज अर्थव्यवस्था
Posted on 29 May, 2015 10:21 AM प्रसिद्ध पर्यावरणविद सुनीता नारायण ठीक कहती हैं कि मानसून ही देश का ‘वित्त मन्त्री’ है। आज भी देश के 14 करोड़ से अधिक परिवार खेती पर निर्भर हैं। ज्यादा या कम बारिश की स्थिति इस देश के 60-70 करोड़ लोगों के जीवन को प्रभावित करती है। कमजोर मानसून या अति वर्षा दोनों में फसल का उत्पादन प्रभावित होता है। दोनों ही स्थितियों में किसान की आय घटती है। 60-70 करोड़ लोगों की आय घटने से पुरी अर्थव्यवस्था की
पैसा नहीं, प्रवाह देकर कहें ‘नमामि गंगे’
Posted on 28 May, 2015 03:49 PM

गंगा में मिलते कचरा एवं गंदे नालेगंगा के संकट, संघर्ष और ‘नमामि गंगे’ को सामने रखें, तो कह सकते हैं गंगा की बीमारी सदी से अधिक पुरानी है; एक साल

Ganga
ताकि गंगा भी न मांग ले इच्छा मृत्यु
Posted on 28 May, 2015 10:35 AM

आज गंगा दशहरा है। 28 मई, दिन गुरुवार, पंचाग के हिसाब से ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि ! श्री काशीविश्वनाथ की कलशयात्रा का पवित्र दिन। कभी इसी दिन बिन्दुसर के तट पर राजा भगीरथ का तप सफल हुआ। पृथ्वी पर गंगा अवतरित हुई। ‘‘ग अव्ययं गमयति इति गंगा’’ - जो स्वर्ग ले जाये, वह गंगा है।

river ganga
आस्था और गंगा स्वच्छता के बीच नए रास्ते की खोज
Posted on 26 May, 2015 12:36 PM गंगा में प्रदूषण का एक बड़ा हिस्सा अन्तिम संस्कार भी है। उत्तर प्रदेश और बिहार के वे गाँव जो गंगा के किनारे या आस-पास बसे हैं उनके द्वारा किये जाने वाले प्रदूषण का बड़ा हिस्सा अन्तिम संस्कार से होता है। हिन्दू धर्म में अन्तिम संस्कार की अपनी रीति और नीति है। उसमें उन लोगों के साथ मिलजुल कर कुछ बदलाव ज़रूर किया जा सकता है। सिर्फ यह कह देने से कि गंगा में अन्तिम
यमुना के स्वाभाविक प्रवाह को बनाए रखना होगा : मनोज मिश्र
Posted on 26 May, 2015 11:53 AM मनोज मिश्र पर्यावरण से सम्बन्धित मामलों के विशेषज्ञ हैं। वे भारतीय वन सेवा से भी जुड़े रहे। वर्तमान में यमुना जिये अभियान चला रहे हैं। यमुना के मौजुदा हाल पर ‘मनोज मिश्र’ से यथावत के संवाददाता ‘जितेन्द्र चतुर्वेदी’ ने बातचीत की। उसके प्रमुख अंश :

‘यमुना बचाओ अभियान’ आप बहुत दिनों से चला रहे हैं। इस दौरान आपका क्या अनुभव रहा है?

दिल्ली में बेहाल यमुना
Posted on 26 May, 2015 10:46 AM शहरी सभ्यता से नदियों के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। भारत में गंगा एवं यमुना नदी की उपयोगिता को देखते हुए इसे माँ की संज्ञा दी गई है। गंगा-यमुना को यदि अलग कर दिया जाए तो उत्तर भारत की कृषि और संस्कृति निष्प्राण हो जाएगी। करोड़ों लोगों के जीवन और आस्था की प्रतीक गंगा एवं यमुना इस समय प्रदूषण से जूझ रही है। केन्द्र सरकार गंगा एवं यमुना की सफाई के लिए दशकों
polluted yamuna
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