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क्या है किसानी के संकट का समाधान
Posted on 17 Aug, 2015 10:53 AM

इन दिनों खेती- संकट और किसान आत्महत्या का मुद्दा गरम है। किसानों की मुसीबतें कम होने की बजाय बढ़ती जा रही हैं। बेमौसम बारिश ने गेहूँ की फसल चौपट कर दी थी। किसान अपनी जान देने पर मजबूर हैं। एक के बाद एक किसानों की खुदकुशी की घटनाएँ सामने आ रही हैं। दो दशकों में अब तक 3 लाख किसान आत्महत्या कर चुके हैं। इस बीच खेती के संकट के समाधान के रूप में कई छोटे-छोटे र

Subhash palekar
सन्तुलन बिगाड़ती, असन्तुलित आबादी
Posted on 16 Aug, 2015 04:25 PM जनसंख्या दबाव के कारण नदियों के बौखलाने अथवा पगलाने के उदाहरणों से
population growth
अल्पकालिक रिसर्च ग्रांट के लिये आवेदन आमंत्रित : अर्घ्यम
Posted on 16 Aug, 2015 12:28 PM अर्घ्यम संस्था; ग्राउंड वाटर और सेनिटेशन के क्षेत्र में अल्पकालिक (6-12 माह) शोध अध्ययन के लिये कंसेप्ट पेपर आमंत्रित कर रही है।

ग्राउंड वाटर- सेनिटेशन के अन्तर्सम्बन्ध पर शोध कार्यक्रम
यह शोध कार्यक्रम भारत में भूजल और सेनिटेशन के अन्तर्सम्बन्ध पर समझ बेहतर बनाने के लिये बनाया गया है ताकि इस क्षेत्र में समेकित दृष्टिकोण के साथ हल ढ़ूँढ़ने के लिये आगे बढ़ा जा सके। फिलहाल भूजल और सेनिटेशन के अन्तर्सम्बन्धों के बारे में जानकारी या सबूत बहुत सीमित हैं। यह शोध कार्यक्रम इसी ज्ञान के अधूरेपन को पूरा करने की एक कोशिश है जोकि शोध के प्रयोगात्मक पहलू और इस सम्बन्ध में उपलब्ध ज्ञान तथा अनुभवों को एकत्रित करके किया जाएगा।
मृदा एवं जल संरक्षण
Posted on 16 Aug, 2015 10:09 AM पाठ -5

अभियान्त्रिक एवं वानस्पतिक उपाय



मृदा एवं जल संरक्षण (समस्या, सिद्धान्त एवं तकनीक)


मिट्टी का महत्व
1. पोषक पदार्थ 2. हवा 3. पानी 4. सहारा

चट्टानों के टूटने के मुख्य कारक
1. तापमान 2. पानी 3. हवा 4. जैविक पदार्थ 5. रासायनिक प्रक्रियाएँ
मौजूदा दौर में जैविक खेती
Posted on 14 Aug, 2015 02:19 PM

खेती में रासायनिक खादों और कीटनाशकों के निरन्तर इस्तेमाल से आज अनाज, फल, सब्जी जैसी सभी खाद्य वस्तुएँ जहरीली होती जा रही हैं। इसका तोड़ अगर कुछ है तो जैविक या गैर-रासायनिक खेती। भारत के कई राज्यों में इस दिशा में सक्रिय पहल हो चुकी है। लेकिन ज़मीनी स्तर पर अब भी बहुत कुछ करने की जरूरत है। इस बारे में बता रही हैं अनीता सहरावत।

.ज्यादा अरसा नहीं हुआ, जब आन्ध्र प्रदेश में रामचन्द्रपुरम गाँव के किसानों की खेती की ज़मीन गिरवी रखी जा चुकी थी। महँगी खाद-बीज तो दूर, दो जून की रोटी मयस्सर होनी मुश्किल हो गई थी। तब हारकर उन्होंने हर तरह के रासायनिक खादों और कीटनाशकों को अपनी खेती से निकाल फेंका और परम्परागत जुताई-बुआई की टेक ले ली। जैविक खेती उनके लिये रामबाण साबित हुई।

तीन साल के भीतर उन्होंने न केवल अपना पूरा कर्जा पाट दिया बल्कि अपनी जमीनें भी छुड़ा लीं।

कृषि
खेती से पलायन
Posted on 14 Aug, 2015 01:53 PM खेती करने वाले किसान ही खेतिहर मजदूर बन रहे हैं। सेज के नाम पर कृषि
जलागम विकास परियोजनाओं के लिए समान मार्गदर्शी सिद्धान्त 2008
Posted on 14 Aug, 2015 12:51 PM पाठ - 4
भारत सरकार 2008

सामुदायिक पहल- समुदाय द्वारा- समुदाय के लिए


.ग्राम पंचायतों की भूमिका
1. जल एवं जलागम समिति का सहयोग करना व सुझाव देना।
जलागम संरक्षण एवं विकास एक परिचय
Posted on 14 Aug, 2015 10:08 AM पाठ - 3
लोक विज्ञान संस्थान देहरादूर
जलागम क्या है?
जलागम विकास क्यों?
जलागम विकास के मूल सिद्धान्त।
जलागत विकास के सफल परिणाम।
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