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देहरादून
दैनिक हिन्दुस्तान की अच्छी पहल : उत्तराखंड के बीस पानी के लोगों का सम्मान
Posted on 18 Sep, 2024 09:21 PMदेहरादून में मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने राष्ट्रीय दैनिक हिन्दुस्तान द्वारा आयोजित 'हिन्दुस्तान' शिखर समागम के दौरान उत्तराखंड में जल संरक्षण के क्षेत्र में: अहम भूमिका निभा रहे बीस लोगों को सम्मानित किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने पानी-पर्यावरण के क्षेत्र में सबके योगदान को सराहा।
जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के विरुद्ध संवैधानिक अधिकार पर चर्चा
Posted on 14 Sep, 2024 04:53 PMदेहरादून, 14 सितम्बर 2024। "जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के विरुद्ध संवैधानिक अधिकार" पर आज एक पैनल चर्चा को देहरादून में स्थित दून लाइब्रेरी और रिसर्च सेंटर में सफलतापूर्वक आयोजित किया गया । यह चर्चा 'उत्तराखंड आइडिया एक्सचेंज ऑन क्लाइमेट एंड कॉन्स्टिट्यूशन' के हिस्से के रूप में आयोजित की गई थी। इस कार्यक्रम का आयोजन सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज (एसडीसी) फाउंडेशन के सहयोग से किया गया,
यूसर्क द्वारा विद्यार्थियों के लिए दो दिवसीय 'वॉटर साइंस एंड टेक्नोलॉजी' कार्यशाला प्रारंभ
Posted on 24 May, 2024 06:34 PMउत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) देहरादून द्वारा दिनांक 24 मई 2024 को स्कूल के विद्यार्थियों के लिए दो दिवसीय "वॉटर साइंस एंड टेक्नोलॉजी" कार्यशाला प्रारंभ की गयी। कार्यक्रम में यूसर्क की निदेशक प्रो (डॉ) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि आज समय आ गया है कि हमको अपने परम्परागत जल विज्ञान को समझना होगा। उन्होंने कहा कि जल स्रोतों का संरक्षण हमारी भविष्य की जरूरतों को पूरा
देहरादून के निजी स्कूलों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य
Posted on 13 Apr, 2024 04:18 PMदैनिक जागरण संवाददाता, देहरादून। दून में बढ़ती आबादी के साथ भूजल पर निर्भरता 90 प्रतिशत पर पहुंच गई है। दैनिक जरूरतों की पूर्ति के लिए हम भूजल का जमकर दोहन तो कर रहे हैं, लेकिन भूजल रीचार्ज कैसे होगा, इसको लेकर चिंता कम ही है। ऐसे में कल के लिए जल को बचाने की दिशा में मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने बड़ा कदम बढ़ाया है।
सूख चुके है सदियों से प्यास बुझाने वाले तालाब
Posted on 03 Apr, 2023 03:10 PMसैकड़ों-हजारों तालाब अचानक शून्य से प्रकट नहीं हुए थे। इनके पीछे एक इकाई थी बनवाने वालों की, तो दहाई थी बनाने वालों की। यह इकाई, दहाई मिलकर सैकड़ा, हजार बनती थी। पिछले दो सौ बरसों में नए किस्म की थोड़ी सी पढ़ाई पढ़ गए समाज ने इस इकाई, दहाई, सैकड़ा, हजार को शून्य ही बना दिया।" जल पुरुष अनुपम मिश्र की पुस्तक 'खरे हैं तालाब' में लिखी ये पंक्तियां आज के मनुष्य पर चोट करती हैं, जो आधुनिकता की अंधी द
हिमालय में सूख रहे प्राकृतिक जल स्रोत
Posted on 14 Mar, 2023 12:10 PMहिमालय अपने जल संसाधनों, वन विविधता, अद्वितीय वन्य जीवन, समृद्ध संस्कृति और पवित्र हिंदू तीर्थस्थल के लिए प्रसिद्ध रहा है। विभिन्न बारहमासी नदियों का निवास स्थान होने के कारण हिमालय को एशिया का जल मीनार माना जाता है। गंगा और यमुना देश की दो सबसे पवित्र नदियाँ हैं इन प्रमुख नदियों के स्रोत गढ़वाल हिमालय (उत्तराखंड) में हैं और इस क्षेत्र को बहुत प्राचीन काल से तीर्थ यात्रा का केंद्र बनाते हैं। इ