छत्तीसगढ़

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महानदी के पानी का अध्ययन करने के लिए प्रोजेक्ट तैयार
Posted on 29 Jul, 2011 03:17 PM

रायपुर।29 अप्रैल।न्यूज़ आज: छत्तीसगढ़ व उड़ीसा के लाखों लोगों की प्यास बुझाने वाली महानदी के पानी की विषाक्तता का अध्ययन करने के लिए केंद्र सरकार एक प्रोजेक्ट तैयार कर रही है। राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार महानदी के पानी पर अध्ययन करने के लिए इतना बड़ा प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है। कृषि और अन्य क्षेत्रों में नाइट्रोजन युक्त फर्टिलाइजर के उपयोग के कारण भूमि जल में नाइट्रेट की मात्रा बढ़ गई है। यह

महानदी
महानदी की संस्कृति
Posted on 29 Jul, 2011 01:27 PM इस तरह से महानदी एक ओर देव संस्कृति को तो दूसरी ओर कृषि-संस्कृति को भी विकसित करने में सहायक है। जल ही जीवन का पर्याय है और महानदी में जल नहीं, बल्कि लोगों की जीवन धारा प्रवाहित हो रही है और सलिला के रूप में बिना किसी भेदभाव के एक माँ की तरह समस्त जीवधारियों को अपना तरल ममत्व लुटा रही है।
बस्तर के ग्रीन कमांडो
Posted on 19 Jul, 2011 11:22 AM छत्तीसगढ़ के बस्तर का नाम आते ही एक ऐसे क्षेत्र की छवि उभरकर सामने आती है जो पिछले कई वर्षों से हिंसा, संघर्ष और रक्तपात से जूझता आ रहा है। विकास की वास्तविक परिभाषा और राजनीतिक परिपेक्ष्य की सीमा में बंधा मीडिया भी इन सवालों के घेरे में उलझ कर रह गया है। इस गहन वैचारिक संघर्ष और उससे जुड़ी बहस में जो बात कहीं खो गई है, वह है बस्तर की अपनी पहचान। यह क्षेत्र कैसा है, यहां के लोग कैसे रहते हैं और वह
एक पहाड़ी मैना की मौत
Posted on 15 Jul, 2011 02:56 PM

विलुप्ति के कगार पर पहुंच गई पहाड़ी मैना को लेकर प्रसिद्ध लेखक कांतिकुमार जैन का संस्महरणात्म क आलेख-

बारिश का पानी बचाइए और बिजली का कनेक्शन पाइए
Posted on 15 Jul, 2011 08:45 AM

अगर आप छत्तीसगढ़ में नया मकान बनाना चाहते हैं, तो उसमें वर्षा जल संचयन प्रणाली भी लगवाएं क्योंकि हो सकता है कि इसके बिना आपको बिजली कनेक्शन न मिले। राज्य सरकार इससे संबंधित एक प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है। यह प्रस्ताव केवल नए बनने वाले मकानों के लिए होगा। वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देने का मुख्य उद्देश्य राज्य में तेजी से गिरते भूजल स्तर को रोकना है। बिजली कनेक्शन के लिए इस तरह की शर्त रखना व

रेन वॉटर हार्वेस्टिंग
बह गए बांध!
Posted on 15 Jul, 2011 08:26 AM

शिवनाथ नदी को बचाने के लिए मुख्यमंत्री ने किया श्रमदान, खूंटाघाट जलाशय को बचाने के लिए मुख्यमंत्री ने चलाई कुदाल, सूखे तालाबों को बचाने के लिए मुख्यमंत्री ने की अपील और छत्तीसगढ़ सरकार ने राजेंद्र सिंह को बनाया ब्रांड एंबेसडर! खबरों के ये ऐसे शीर्षक हैं जो संकेत दे रहे हैं कि 'चाउर वाले बाबा' यानी मुख्यमंत्री डॉ। रमन सिंह जल संरक्षण के प्रति कितने अधिक चिंतित और संवेदनशील हैं!

नदी-नालों की नीलामी!
Posted on 22 Jun, 2011 10:30 AM
छत्तीसगढ़ की एक बड़ी आबादी शुद्ध पेयजल और सिंचाई के पानी से महरूम है पर उद्योगों को पानी बेचने का खेल सरेआम चल रहा है। पेयजल और सिंचाई के नाम पर बनाए जा रहे तमाम एनीकट (सिंचाई बांध) और बैराज ऐसी स्थिति में शायद ही आम लोगों को लाभ दे पाएं।
उद्योग संस्थानों के लिए महानदी के जल का दोहन कर रहा है कई सवाल खड़े
यहां होता है तालाब का विवाह!
Posted on 16 Jun, 2011 05:25 PM

• 80 बरस बाद दोहराई गई परंपरा
• केरा गांव के लोगों का अनूठा कार्य
• तालाबों के अस्तित्व को बचाने की मुहिम
• जल संरक्षण की दिशा में ग्रामीणों का अहम योगदान
• ‘जल ही जीवन है’, ‘जल है तो कल है’ का संदेश
 

पॉलिथीन से पिंड छुड़ाने की पहल
Posted on 13 Jun, 2011 12:27 PM

पृथ्वीतल पर जमा पॉलिथीन जमीन की जल सोखने की क्षमता खत्म कर रहा है। इससे भूजल स्तर गिरा। सुविधा

दफन हुए ताल-तलैये
Posted on 16 May, 2011 11:19 AM

कभी रायपुर में करीब 181 तालाब थे और इसे तालाबों का शहर कहा जाता था लेकिन आज यहां अंगुलियों पर गिनने लायक तालाब बचे हैं और वे भी बेहद खस्ताहाल हैं।

रायपुर, छत्तीसगढ़ में 'बिन पानी सब सून' को ध्यान में रखते हुए बड़ी संख्या में ताल-तलैये खुदवाए गए, जो गर्मी के दिनों में भी लबालब रहते थे। राजधानी रायपुर तो 'तालाबों का शहर' कहलाता रहा है। लेकिन आज यहां के ताल-तलैयों पर उपेक्षा का ग्रहण लग गया है। आज स्थिति यह है कि जिस बूढ़े तालाब की खूबसूरती और उसके स्वच्छ जल के आमंत्रण को शहर में निजी काम से आए पृथ्वीराज कपूर ठुकरा नहीं सके थे उसमें आज डुबकी लगाने का मतलब त्वचा रोगों को आमंत्रित करना साबित होगा।

कभी बूढ़े तालाब का फैलाव समंदर जैसा लगता था। जब तेज हवा चलती तो इसके स्वच्छ पानी में लहरें उठने लगतीं। तालाब जीवन का अभिन्न हिस्सा थे और इन्हें पूरी योजना के साथ बनाया गया था।
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