भारत

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देश की जलकुंडली
Posted on 09 Feb, 2010 12:21 PM हालत दिन-ब-दिन ज्यादा-से-ज्यादा बिगड़ती जा रही है, फिर भी हम अपने जल संसाधनों के उपयोग इतनी लापरवाही से कर रहे हैं मानो वे कभी खत्म ही नहीं होने वाले हैं। दामोदर घाटी प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष श्री सुधीर सेन इसे नेतृत्व का संसाधनों के बारे में ‘अज्ञान’ कहते हैं।
जल
Posted on 09 Feb, 2010 12:11 PM जल संपदा के मामले में कुछेक संपन्नतम देशों में गिने जाने के बाद भी हमारे यहां जल संकट बढ़ता जा रहा है। आज गांवों की बात तो छोड़िए, बड़े शहर और राज्यों की राजधानियां तक इससे जूझ रही हैं। अब यह संकट केवल गर्मी के दिनों तक सीमित नहीं है। पानी की कमी अब ठंड में भी सिर उठा लेती है। दिसंबर 86 में जोधपुर शहर में रेलगाड़ी से पानी पहुंचाया गया है।

देश की भूमिगत जल संपदा प्रति वर्ष होने वाली वर्षा से दस गुना ज्यादा है। लेकिन सन् 70 से हर वर्ष करीब एक लाख 70 हजार पंप लगते जाने से कई इलाकों में जल स्तर घटता जा रहा है।

वैदिक वाङ्मय में नदी-भौतिक रूप या प्रतीकात्मक
Posted on 08 Feb, 2010 12:38 PM ऋग्वेद और अथर्ववेद में अनेक नदियों का उल्लेख है। दोनों में ‘सप्त सिंधवः’ अर्थात साथ नदियों का अनेक बार उल्लेख है। अथर्ववेद में तो कहा गया है कि सात नदियाँ हिमालय से निकलती हैं और सिंधु में मिलती है। इन्हें सिंधु की पत्नी और सिंधु की रानी भी कहा गया है। इन सात नदियों में पाँच तो पंजाब की ही है- शुतुद्री, विपाशा, इरावती, चन्द्रभागा तथा बितस्ता, जिन्हें आज क्रमशः सतलज, व्यास, रावी, चिनाब और झेलम कहा
चरागाह
Posted on 05 Feb, 2010 01:11 PM पशुधन के मामले में हमारा देश सचमुच बहुत धनी है। मस्तचाल से चलने वाली भैंसों से लेकर हर क्षण छलांग भरने वाले हिरनों तक के जानवरों के आकार-प्रकार अनगिनत हैं और उनकी संख्या भी करोड़ो में है। कुल धरती के रकबे के हिसाब से दुनिया में चालीसवें नम्बर पर आने वाले हमारे देश में कुल दुनिया की 50 प्रतिशत से ज्यादा भैंसें, 15 प्रतिशत गाय-बैल, 15 प्रतिशत बकरी और 4 प्रतिशत भेड़ हैं। देश के जीवन में इन पशुओं की ब
भूमि
Posted on 05 Feb, 2010 01:09 PM कवि जिस माटी के गुण गाते थकते नहीं थे, आज वह माटी ही थक चली है। सुजला, सुफला, शस्य श्यामला धरती बंजर बनती जा रही है।
चारागाहों की खस्ता हालत
Posted on 30 Jan, 2010 02:40 PM

चारे के उत्पादन अथवा चारागाहों की सुरक्षा की ओर बहुत कम ध्यान दिया गया है। अधिकांश चारागाह आज पूर्णतया उपेक्षित बंजर भूमि के क्षेत्र बनकर रह गए हैं।

meadow
पानी के मंदिर
Posted on 09 Jan, 2010 07:06 PM

बीस साल पहले 23 साल का एक नौजवान इन्दौर से अपनी जेब में सेंधवा के सरकारी कॉलेज में प्रोफेसर का नियुक्ति पत्र लेकर रवाना होता है।

नाम है – श्री तपन भट्टाचार्य।

pond
बाहुदा के पानी का गुण
Posted on 09 Jan, 2010 03:16 PM

बाहुदा जीवनं पथ्यं शीतज्वरविनाशनम्।सुस्वादु पाकं हृद्यं च वातपित्त निबर्हणम्।।
बाहुदा (नदी) का पानी स्वास्थ्यवर्धक, मलेरिया नष्ट करने वाला, स्वादिष्ट, पकाने योग्य, मनोरम औऱ वात-पित्त का विनाशक होता है।

यमुना नदी के जल का गुण
Posted on 09 Jan, 2010 02:19 PM

कालिन्दीतोयमच्छं सकलविषहरं दीपनं पापहारिस्वर्ग्यं वर्ण्यं च हृद्यं वितरति सुतरामात्मचित्तप्रसादम्।मेधाबुद्धिप्रदं च तमहरमनिशं रोचनं दोषहारिस्वादुर्नेत्रेन्द्र नीलद्युति जलदनिभं पेयमेतन्निदाद्ये।।

निन्द्य पानी का गुण
Posted on 09 Jan, 2010 12:13 PM

विण्मूत्रं विषपर्णनीकलविषं तप्तं घनं फेनिलं दन्तग्राह्यमनार्तवं सलवणं शैवालकैस्संभृतम्।लूतातन्तुविमिश्रितं गुरुतरं पर्णोध क्वाथान्वितंचन्द्रार्कांशुवगोपितं न च पिबेन्नीरं सदा दोषदम्।।

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