कालिन्दीतोयमच्छं सकलविषहरं दीपनं पापहारिस्वर्ग्यं वर्ण्यं च हृद्यं वितरति सुतरामात्मचित्तप्रसादम्।मेधाबुद्धिप्रदं च तमहरमनिशं रोचनं दोषहारिस्वादुर्नेत्रेन्द्र नीलद्युति जलदनिभं पेयमेतन्निदाद्ये।।
यमुना का अच्छा पानी समस्त विषों को दूर करता है, उत्तेजक है, पाप हरण करता और स्वर्ग प्रदान करता है। वह प्रशंसनीय, रमणीय है और अपने चित्त को सर्वथा प्रसन्नता देता है। मेधा और बुद्धि देता है। तमोगुण दूर करता है। निरंतर रोचक और दोष हरण करने वाला, स्वादिष्ट, आँखों को नीलम की कांति देने वाला, मेघों जैसा यह (यमुना का पानी) ग्रीष्म में पीने योग्य होता है।
नर्मदा के पानी का गुण
नर्मदा सलिलं स्वच्छं सवादु वृष्यं मनोहरम्।।
नर्मदा का पानी स्वच्छ, स्वादिष्ट, शक्ति देने वाला और मनोहर होता है।
पर्वत के ऊपर के पानी का गुण
पानीयं खलु पर्वतोपरिगतं तच्छलेष्मवातप्रदम्।हृद्य स्वादु च रक्तपित्तहरणं दुर्गन्धिकं पिच्छिलम्।।
पर्वत के ऊपर का पानी कफ और वात करता है। वह मनोरम, स्वादिष्ट, रक्त-पित्त दूर करने वाला, दुर्गन्ध वाला और चिकना होता है।
श्रीपर्वतोदकगुणः (श्रीपर्वत के पानी का गुण)
श्री पर्वतसमुदभूतं पानीयं तत्त्रिदोषहृत्। वर्ण्यं पापहरं कण्डू क्रिमिज्वरहरं परम्।।
श्री पर्वत से प्रकट पानी तीनों दोष दूर करता है। वह प्रशंसनीय (वर्ष्य पाठ हो तो शक्ति या स्फूर्ति दायक), पाप हरने वाला तथा खुजली, कीड़े तथा बुखार को बिल्कुल दूर करने वाला होता है।
केदार पर्वत या खेत में भरे पानी का गुण
केदारवज्जलं कंपं श्रितमारुतकोपकृत्। आयुष्यं स्वल्पमप्यत्र न पेयं कुब्जाकरम्।।
केदार के समान यह जल भी कांपता रहता है। वात से युक्त होने से वात बढ़ाता है। थोड़ा सा भी पानी आयुवर्धक है, परन्तु इसे पीना नहीं चाहिए क्योंकि यह कुबड़ापन लाता है।
तुंगभद्रा के पानी का गुण
तुङ्गभद्रोदकं पुण्यं स्वच्छं वृष्यं च शीतलम्।त्रिदोषशमनं सौम्यं सर्वपापहरं शुभम्।।
तुंगभद्रा नदी का पानी पवित्र, स्वच्छ, शीतल और स्फूर्ति देने वाला होता है। यह सौम्य जल तीनों दोष शांत करता है, समस्त पाप का हरण करता है और शुभ है।
पिनाकिनी का जल-गुण
वारि पित्तहरं स्वादु श्लेष्मकारि च शीतलम्।ब्रह्महत्यादिपापघ्नं पैनाकं नाम जीवनम्।।
पैनाक नामक जल पित्त दूर करता है, स्वादिष्ट है, कफ करता है, शीतल है और ब्रह्महत्यादि पापों को नष्ट करता है।
वज्जरा के पानी का गुण
वञ्जरासंभवं वारि शीतलं श्लेष्मकारि च।वातपित्तहरं स्वादु तृष्णाघ्नं पापहृत्परम्।।त्रिदोषशमनं पथ्यं भिषग्भिरिति चोदितम्।।
वंजरा नदी का पानी शीतल और कफ करने वाला होता है। वात और पित्त हरता है, स्वादिष्ट है, प्यास मिटाता है और वह इतना श्रेष्ठ या पवित्र है कि अत्यन्त पाप भी दूर करता है। तीनों दोष शान्त करता है, स्वास्थ्यवर्धक है- ऐसा वैद्यों का कहना है।
पश्चिम की ओर बहती नदी का जलगुण
पश्चिमोदधिगा शीघ्रवहाश्च विमलोदकाः। प्राच्याः समस्ता वा नद्यो विपरीतास्ततोSन्यथा।।
पश्चिम (अरब) सागर की ओर बहने वाली नदियाँ स्वच्छ जल वाली और तेज बहाव वाली होती हैं। पूर्व की ओर बहने वाली समस्त नदियाँ इससे विपरीत (गुण वाली) होती हैं।
गोदावरी नदी के पानी का गुण
गोदावरीवारि निहन्ति पित्तं श्लेष्मापहं वातकरं विशेषात्।शिरोरुजं पाण्डुगरं च कुर्यात्तद्वत्प्रणीता जलमप्युशन्ति।।
उपयोग करने से गोदावरी का पानी पित्त नष्ट करता है, कफ नष्ट करता है और वात विशेष रुप से करता है। यह सिरदर्द करता और पांडुरोग को (नष्ट) करता है।
कावेरी और कृष्णा नदियों का जलगुण
कावेरीकृष्णवेण्योः सलिलमनिलहृत् पित्तहृच्छालेष्मलञ्चस्वादु वृष्यं मनोज्ञं सकलमलहरं प्राणदं प्रीणदं च।शीतं पुष्टिप्रदं तत्प्रियहृदय (सदा?) ह्लादि सर्वेन्द्रियाणां पेयं सारस्वतं तत्तदिति च पिबतां नित्यमारोगयदायि।।
कावेरी और कृष्णा नदियों का पानी वात, पित्त और कफ दूर करता है। यह स्वादिष्ट, शक्तिप्रद, मनभावन, समस्त गन्दगी दूर करने वाला, प्राण और प्रीति या संतोष प्रदान करता है। यह शीतल पोषक, प्रिय, हृदय और समस्त इन्द्रियों को सदा प्रसन्नता प्रदान करने वाला है। यह सरस जल सदा पीने योग्य है। पीते रहने से यह सदा स्वास्थ्य प्रदान करता है।
जंगली पानी का गुण
कौल्यं वारि कफापहं सुरुचिरं पित्तप्रशान्तिप्रदम्।शुद्धं कान्तिकरं मनोहरमपि तत्प्रायेण तत्प्राणिनाम्।।
कौल्य (जंगली) पानी कफ नष्ट करता है, रोचक होता है, पित्त को शान्त करता है। यह शुद्ध् जल प्राणियों के लिए मनोहर और कान्ति प्रदान करने वाला होता है।
ध्वनि करते बहते जल का गुण
मुखर्या उदकं हृद्यं पापघ्नं सर्वकादम्।त्रिदोषशमनं शैत्यं स्वादु बृंहणमुत्तमम्।।
ध्वनि कर बहती (नदी) का जल मनोहर, पापनाशक, समस्त इच्छा पूर्ति करने वाला, तीनों दोष शान्त करने वाला, शीतलता सम्पन्न, स्वादिष्ट, पोषक (दहड़ने वाला) और उत्तम होता है।
स्वर्ण या सोन नदी के जल का गुण
सुवर्णमुखरीवारि श्लेष्माध्नं वातपैत्यनुत्।स्वादु वृष्यं सुशीतं च स्मरणात्सर्वपापनुत।।
सुवर्ण मुखरी (सोन) का पानी वात, पित्त औऱ कफ दूर करता है। यह अत्यन्त शीतल, सवादिष्ट, शक्तिवर्धक होता है औऱ इसके स्मरण से समस्त पाप दूर हो जाते है।
सरस्वती के पानी का गुण
कपोदकं हिमं स्वादु श्लेष्मलं रक्तपित्तनुत्।वातघ्नमव्यक्तरसं हृद्यं केश्यं च वर्णकृत।।शैलं पापहरं चैव कुष्ठघ्नं वीर्यवर्धनम्।।
कप (देवी-नदी सरस्वती) का जल बर्फीला (शीतल), स्वादिष्ट, वात, पित्त और कफ दूर करने वाला, रक्तपित्त नाशक, अप्रकट रस वाला मनोरम, बाल बढ़ाने वाला और रंग (सुहाना) करने वाला होता है। यह शीतल, पाप हरने वाला, कोढ़नाशक और वीर्य बढ़ाने वाला होता है।
मलहारी जल का गुण
म (प) लापहारि कीलालं सन्निपातहरं परम्।रोचनं दीपनीयं च स्त्रसनं कुष्ठरोगनुत्।।
प (म?) ल हरण करने वाला जल पूरी तरह से सन्निपात दूर करता है, रोचक, उद्दीपक, गिराने या गिरने वाला तथा कुष्ठ रोग नष्ट करने वाला होता है।
नदी जल के सामान्य गुण
सद्यः शीघ्रवहाः लध्व्यः प्रोक्ता याश्चामलोदकाः।गुरुशैवलसंच्छन्नाः कलुषा मन्दगाश्च याः।।प्रायेण नद्यो मरुतः सतिक्ताः लवणान्विताः।ईषत्कषायमधुरा मधुपाकहिते रताः।।
तेज बहने वाली छोटी नदियाँ स्वच्छ जल वाली होती हैं। जो नदियाँ धीरे बहती हैं उनका पानी अस्वच्छ और भारी काई से छाया रहता है। प्रायः नदियाँ वात वाली, तीखेपन और नमकदार होती हैं। थोड़ा कसैलापन होने से मधुर होती हैं। और तरबूज (पकाने) में सहयोगी होती हैं।
अन्तरिक्ष के पानी का गुण
गगनाम्बु त्रिदोषघ्नं निर्मलं मधुरं लघु।बृंहणं शीतलं हृद्यं विषघ्नं वीर्यवर्धनम्।।
आकाश का पानी तीनों दोष नष्ट करता है, निर्मल, मधुर, हल्का, पोषक, शीतल, मनोरम, विषनाशक और वीर्य बढ़ाने वाला होता है।
वह्नि नामक नदी के जल का गुण
वह्नि नाम नदीवारि त्रिदोषघ्नं च दीपनम्।शीतलं स्वादु वृष्यं च हितं केश्यं च बुद्धिमत्।।
वह्नि नाम की नदी का पानी तीनों दोष नष्ट करती और उद्दीपन लाती है। यह शीतल, स्वादिष्ट, शक्तिवर्धक, हितकारी, केश बढ़ाने वाला और बुद्धि से सम्पन्न करता है।
भवनाशिनी नदी के जल का गुण
संसारनाशिनी वारि श्लेष्मलं वातकृत परम्।प्लहिकृत स्वादु शैत्यं च कण्डूयह विनाशनम्।।
भव (संसार) नाशिनी नदी का पानी कफ और वात करता है। तिल्ली करता है, स्वादिष्ट और शीतल होता है और खुजली मिटाता है।
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