Posted on 17 Mar, 2010 03:11 PM एक मास ऋतु आगे धावै। आधा जेठ असाढ़ कहावै।।
भावार्थ – ऋतु या मौसम एक महीने पहले ही अपना प्रभाव व्यक्त करने लगता है। आधे जेठ को ही आषाढ़ कहा जाता है क्योंकि उस समय तक आसमान में बादल दिखाई पड़ने लगते हैं। अर्थात् वर्षा ऋतु आरम्भ हो जाएगी, इसका पता चल जाता है।
Posted on 17 Mar, 2010 03:00 PM एक पानी जो बरसै स्वाती। कुनबिन पहिरै सोने के पाती।।
भावार्थ – यदि स्वाती नक्षत्र में एक बार वर्षा हो जाये तो निःसंदेह किसान की स्त्री सोने का पत्तर अर्थात् हाथ में पहनने का जहाँगीरी नामक गहने पहनेगी क्योंकि फसल अच्छी होगी।
Posted on 17 Mar, 2010 01:57 PM उत्तर चमकै बीजली, पूरब बहै जु बाव। घाघ कहै सुनु घाघिनी, बरधा भीतर लाव।।
भावार्थ – यदि उत्तर दिशा में बिजली चमकती हो और पुरवा हवा बह रही हो तो घाघ अपनी स्त्री से कहते हैं कि बैलों को घर के अन्दर बाँध लो, वर्षा शीघ्र होने वाली है।
Posted on 17 Mar, 2010 01:52 PM उलटा बादर जो चढ़ै, विधवा खड़ी नहाय।
घाघ कहै सुन भड्डरी, वह बरसै वह जाय।।
भावार्थ – यदि बादल हवा की दिशा के विपरीत चढ़ते हुए दिखाई पड़े और विधवा स्त्री खड़ी होकर स्नान करे तो घाघ कवि कहते हैं कि भड्डरी! सुनो, वह बादल अवश्य बरसेगा और वह विधवा भी किसी न किसी पुरुष के साथ भाग जायेगी।