Posted on 20 Mar, 2010 03:27 PM सावन कृष्ण एकादसी, गर्जि मेघ घहरात। तुम जाओ प्रिय मालवै, हम जाबै गुजरात।।
भावार्थ- यदि सावन के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मेघ गरज कर घहरायें (गंभीर ध्वनि करें) तो निश्चय ही अकाल पड़ने वाला है। अतः हे प्रिय! तुम, मालवा जाओ और मैं गुजरात जाऊँगी।
Posted on 20 Mar, 2010 02:50 PM सावन कृष्ण पक्ष में देखौ। तुल को मंगल होय बिसेखौ।। कर्क रासि पर गुरु जो आवै। सिंह रासि में सुक्र सुहावै।। ताल सो सोखै बरसै धूर। कहूँ न उपजै सातो तूर।।