Posted on 23 Mar, 2010 09:48 AM कातिक बोवै अगहन भरै। ताको हाकिम फिर का करै।
भावार्थ- जो किसान कार्तिक में रबी की फसल ठीक समय पर बोता है और अगहन में उसकी सिंचाई करता है तो अफसर उसका क्या कर सकता है? उसकी मालगुजारी का भुगतान हो जाएगा क्योंकि पैदावार अच्छी होगी।
Posted on 23 Mar, 2010 09:23 AM ऊख सरवती दिवला धान। इन्हें छाड़ि जनि बोओ आन।।
शब्दार्थ- सरवती-सरौती नामक ईख।
भावार्थ- घाघ का कहना है कि ईख में सरौती ईख और धान में देहुला नामक धान बोना चाहिए क्योंकि इनमें पैदावार अधिक होती है। अतः इन्हीं की बुआई करनी चाहिए अन्य की नहीं।
Posted on 23 Mar, 2010 09:19 AM अगहन बवा। कहूँ मन कहूँ सवा।।
भावार्थ- यदि अगहन मास में गेहूँ, जौ की बोवाई होती है तो कहीं बीघा पीछे मन भर और कहीं सवा मन की उपज होती है अर्थात् अगहन में बोवाई से पैदावार कम हो जाती है।