भारत

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सोशल ऑडिट
Posted on 29 Oct, 2010 09:42 AM

खास बात

• साल १९९३ के ७३ वें संविधान संशोधन के अनुसार सोशल ऑडिट करना अनिवार्य है। इसके माध्यम से ग्रामीण समुदाय को अधिकार दिया गया है कि वे अपने इलाके में सभी विकास कार्यों का सोशल ऑडिट करें। इस काम में अधिकारियों को ग्राम-समुदाय का सहयोग करना अनिवार्य माना गया है।*
नरेगा
Posted on 29 Oct, 2010 09:13 AM

खास बात



• अर्जी देने के १५ दिनों के अंदर न्यूनतम निर्धारित मजदूरी की दर पर प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी ग्रामीण परिवार के एक व्यस्क सदस्य को(बशर्ते वह हाथ के काम करने को तैयार हो) १०० दिनों तक रोजगार मुहैया कराने के लिए राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम को भारत की संसद ने साल २००५ में लागू किया किया।*
वीडियो वालंटियर्स को सिटीजन जर्नलिज्म फैलोशिप
Posted on 29 Oct, 2010 09:04 AM

अंतर्राष्ट्रीय कम्युनिटी मीडिया पोर्टल की गोवा केंद्रित एक शाखा वीडियो वॉलंटियर्स ने अपने इंडिया अन्हर्ड नाम के कार्यक्रम के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। कार्यक्रम का यह दूसरा दौर है। इस दौर में चयनित उम्मीदवारों को विभिन्न समुदायों के सरोकार, मुद्दे, आविष्कारी काम, परंपरा आदि से संबंधित वीडियो रिपोर्ट बनाने के बारे में प्रशिक्षण दिया जाएगा।सिटीजन जर्नलिज्म के तहत फैलोशिप देने का की यह परियोजना

Video Volunteers
इको फ्रैंडली तरीके से मनाएं त्योहार
Posted on 28 Oct, 2010 11:23 AM

हमारा देश अपनी सनातन सभ्यता व संस्कृति के लिए पहचाना जाता है।


वेदों, उपनिषदों व महाकाव्य और तमाम ग्रंथों से हमें पर्यावरण सुरक्षा व पर्यावरण के प्रति प्रेम की सीख मिलता है। नीम, पीपल, तुलसी आदि कई वृक्ष व पौधे हैं जिन्हें हिन्दू मान्यता में पूजा जाता है। प्राचीन राजव्यवस्था में तो प्रकृति व पर्यावरण को क्षति पहुंचाने को अपराध माने जाने का प्रमाण भी मिलता है। स्वयं कौटिल्य ने इसके लिए कठोर दंड व्यवस्था संबंधी विस्तृत विवरण दिया है।

ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है पानी
Posted on 27 Oct, 2010 08:58 AM वॉशिंगटन।। पानी पीने के फायदों को जानते हुए भी अगर आपने अभी तक रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी पीने की आदत नहीं डाली है तो अब जरा पानी को लेकर सीरियस हो जाइए। एक स्टडी में पता लगा है कि पानी हमें ज्यादा अलर्ट रखता है। यही नहीं हमारे ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करता है।
दुनिया की सबसे बडी झील हो रही है सबसे गर्म
Posted on 25 Oct, 2010 01:01 PM यदि एक शोध पर यकीन किया जाए तो दुनिया की सबसे बडी झील लेक सुपीरियर इस बार हाल के वर्षों की अपेक्षा अधिक गर्म रहने वाली है। यह इंसानों के लिए खुशी की बात हो सकती है कि अब इस झील के किनारे वे अधिक समय बिता पाएंगे परंतु इससे पर्यावरण का संतुलन बिगडने का खतरा उत्पन्न हो गया है।

यूनिवर्सिटी ऑफ माइनसोटा के जै ऑस्टिन की शोध के अनुसार यह झील पिछले 30 वर्षों में सबसे अधिक गर्म रहने वाली है। इस बार इस क्षैत्र में कम ठंड पड़ी और इससे बर्फ की चादर ने इस झील को पूरी तरह से नहीं ढका।
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राष्ट्री य नदी संरक्षण निदेशालय (एनआरसीडी)
Posted on 22 Oct, 2010 12:14 PM मंत्रालय के अधीन कार्यरत राष्ट्रीय नदी संरक्षण निदेशालय राज्यर सरकारों को सहायता देकर राष्ट्री य झील संरक्षण योजना (एनएलसीपी) एवं राष्ट्री य नदी संरक्षण योजना (एनआरसीपी) के तहत नदी एवं झील कार्य योजनाओं के क्रियान्वसयन में लगा है।
ग्लेशियरों के नहीं पिघलने का झूठ
Posted on 16 Oct, 2010 09:00 AM
पर्यावरण और वन मंत्री जयराम रमेश द्वारा जारी की गई रिपोर्ट हिमालयन ग्लेशियर्स के अनुसार इस बात का कोई पुख्ता साक्ष्य नहीं है कि जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय में ग्लेशियर पिघल रहे हैं. इस अध्ययन की कोई जिम्मेदारी न लेते हुए जयराम रमेश ने बड़ी तत्परता से इसमें जोड़ा कि इसका मतलब इस विषय पर चर्चा को आगे बढ़ाना था.

मुझे इस चर्चा को आगे बढ़ाने में कोई तुक नजर नहीं आता, जबकि इंटरनेशनल पैनल आन क्लाइमेट चेंज पहले ही स्वीकार कर चुकी है कि ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं. मुझे हैरानी नहीं होगी, अगर बाद में यह पता चले कि यह नदियों को जोड़ने के लिए माहौल बनाने का प्रयास था. आखिरकार, इस संभाव्य परियोजना पर अरबों डालर का दारोमदार है और लाबी अभी भी काम में जुटी
सिर पर सवार है मैला उतरने का नाम नहीं लेता
Posted on 16 Oct, 2010 08:42 AM
सभ्यता के विकास में मल निस्तारण समस्या रही हो या न रही हो, लेकिन भारत में कुछ लोगों के सिर पर आज भी मैला सवार है. तमाम कोशिशों के बावजूद भारत सरकार उनके सिर से मैला नहीं उतार पायी है जो लंबे समय से इस काम से निजात पाना चाहते हैं. हालांकि सरकार द्वारा सिर से मैला हटा देने की तय आखिरी तारीख कल बीत गयी लेकिन कल ही 31 मार्च को दिल्ली में जो 200 लोग इकट्ठा हुए थे वे आज वापस अपने घरों को लौट गये हैं. तय है, आज से उन्हें फिर वही सब काम करना पड़ेगा जिसे हटाने की मंशा लिये वे दिल्ली आये थे. उमाशंकर मिश्र की रिपोर्ट-

भारत सरकार द्वारा 31 मार्च 2009 तक सिर पर मैला ढोने की प्रथा को समाप्त करने की घोषणा की वास्तविकता को उजागर करने के लिए आज छह राज्यों के 200 लोग नई दिल्ली में एकत्रित हुए। मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान, उत्तरप्रदेश,
सिर पर मैला ढ़ोना बंद हो
Posted on 16 Oct, 2010 08:27 AM
भारतीय समाज में अनेक कुप्रथाएं व्याप्त हैं. इनमें से कई ऐसी हैं, जो समाज के दलित-वंचित वर्गों पर अत्याचार का स्त्रोत व कारण हैं. इन्हीं में एक है सिर पर मैला ढ़ोने की कुप्रथा. मानव मल को मानवों द्वारा झाड़ू, रांपी जैसे खुरचने वाले औजारों और बाल्टी की सहायता से साफ किया जाता है.

आधिकारिक तौर पर भारत में सिर पर मैला ढ़ोने की प्रथा अस्तित्व में नहीं है. उसका तो भारत सरकार ने सन् 1993 में ही उन्मूलन कर दिया था.इसे सरकार की अक्षमता कहें या लापरवाही परंतु सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए सर्वेक्षणों से यह तथ्य सामने आया है कि आज भी देश में लगभग 14 लाख लोग इस काम में लगे हैं और इनमें से 95 प्रतिशत महिलाएं हैं.

सफाईकर्मी, दलितों के अछूत वर्ग से आते हैं. अपनी आजीविका के लिए यह अमानवीय कार्य करना उनकी मजबूरी है. उन्हें यह काम विरासत में मिलता है.
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