समस्या, सुझाव और समाधान


एक लोकतांत्रिक देश का नागरिक होने के फायदे तो हैं, लेकिन इस व्यवस्था की अपनी कुछ समस्याएं भी हैं। बावजूद इसके घबराने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि समस्या है तो समाधान भी है। पिछले कुछ दिनों में हमें अपने पाठकों के ढेर सारे पत्र मिले हैं, जो इस बात के सबूत हैं कि हमारे पाठक न स़िर्फ आरटीआई क़ानून का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं, बल्कि वे अपनी समस्या का समाधान भी इस क़ानून के ज़रिए चाहते हैं। इसके अलावा आरटीआई क़ानून से जुड़े अनुभव भी उन्होंने हमारे साथ बांटे हैं। इस अंक में हम उन्हीं पत्रों को प्रकाशित कर रहे हैं। इसके पीछे हमारा मक़सद अपने सभी पाठकों को विभिन्न तरह की समस्याओं और उनके समाधान से रूबरू कराना है। उम्मीद है, इस अंक में प्रकाशित पत्रों को पढ़कर हमारे पाठकगण लाभांवित होंगे।

 

ग्रामीण बैंक 25 हज़ार रुपये मांग रहा है


मैंने आरटीआई के तहत उत्तर बिहार क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक मुज़फ़़्फरपुर से केसीसी से संबंधित सूचनाएं मांगी थीं। 30 दिनों के भीतर जवाब न मिलने पर प्रथम अपील की। फिर भी कोई सूचना नहीं मिली। बाद में एक दिन बैंक की तऱफ से एक पत्र मिला, जिसमें सूचना उपलब्ध कराने के लिए 25 हज़ार रुपये की मांग की गई। ऐसी स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए।

- उमाशंकर सिंह, औराई, मुज़फ्फरपुर।

आरटीआई क़ानून में ऐसे लोक सूचना अधिकारियों को रास्ते पर लाने के लिए कई उपाय हैं। जैसे जब कभी आपको किसी फाइल से कोई सूचना मांगनी हो तो अपने आरटीआई आवेदन में एक सवाल फाइल निरीक्षण को लेकर भी जोड़ें। आरटीआई एक्ट की धारा 2 (जे)(1) के तहत आप इसकी मांग कर सकते हैं। आप अपने आवेदन में यह लाइन जोड़ें, महोदय, मैं सूचना का अधिकार क़ानून 2005 की धारा 2 (जे) (1) के तहत अमुक फाइल……………।। का निरीक्षण करना चाहता हूं। इस संबंध में आप मुझे एक तय समय, जगह और तिथि के बारे में सूचित करें, ताकि मैं आकर उक्त फाइल का निरीक्षण कर सकूं। साथ ही इस बात की भी व्य्वस्था करें कि मुझे उक्त फाइल का जो भी हिस्सा चाहिए, उसकी फोटोकॉपी उपलब्ध कराई जा सके। इसके लिए नियत शुल्क का भुगतान मैं कर दूंगा। इसके अलावा अगर लोक सूचना अधिकारी तीस दिनों के भीतर सूचना नहीं देता तो बाद में वह सूचना मुफ्त देनी पड़ती है। आप राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील/शिक़ायत भी कर सकते हैं या फिर से एक आवेदन फाइल निरीक्षण के लिए भी दे सकते हैं।

 

पंजीयन संख्या नहीं मिली


मेरे भतीजे इंद्रजीत कुमार के दसवीं कक्षा के अंक पत्र पर पंजीयन संख्या का उल्लेख नहीं है। इस संबंध में मैंने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को आरटीआई के तहत एक आवेदन देकर पूछा। काफी मशक्कत के बाद मुझे एक संक्षिप्त और अधूरी सूचना मिली कि जांच का काम चल रहा है। फिलहाल यह मामला राज्य सूचना आयोग में है। ऐसी स्थिति में मेरे भतीजे का नामांकन कहीं नहीं हो पाया।

- लालदेव कामत, मधुबनी।

जब मामला आयोग में हो तो सिवाय इंतज़ार के क्या किया जा सकता है, लेकिन अगर आपके भतीजे ने पूर्व में अपने पंजीयन संख्या के संबंध में कोई साधारण आवेदन समिति में जमा किया है और उसकी एक प्रति उसके पास है तो एक बार फिर उसी आवेदन के संबंध में आपका भतीजा अपने नाम से एक नया आरटीआई आवेदन परीक्षा समिति के पास भेज कर स़िर्फ यह पूछे कि उसके आवेदन पर अब तक क्या कार्रवाई हुई है और ऐसे मामलों के निपटारे के लिए समिति ने क्या समय सीमा तय की है। अगर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है तो इसके लिए कौन-कौन से अधिकारी ज़िम्मेदार हैं, उनके नाम और पदनाम बताएं।

 

कोयला खदानों में कुछ गड़बड़ है


ग़ौरतलब है कि एसईसीएल कमांड एरिया में अब तक 51 कोयला ब्लॉक कोयला मंत्रालय द्वारा आवंटित किए गए हैं। मैंने सूचना के अधिकार के तहत एसईसीएल, सीएमडी मुख्यालय, बिलासपुर से 51 कोल ब्लॉकों में हो रहे कोयला उत्पादन के बारे में जानकारी मांगी थी। एसईसीएल के अधिकारियों ने जो जवाब दिए हैं, वे चौंकाने वाले हैं। एसईसीएल का कहना है कि सीएमडी के मुख्यालय में उक्त सभी 51 कोल ब्लॉकों से संबंधित कोयला उत्पादन की जानकारी उपलब्ध नहीं है। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि केंद्रीय कोयला मंत्रालय द्वारा एसईसीएल कमांड एरिया में आवंटित 51 कोल ब्लॉकों में कोयले का घोटाला हो रहा है।

- एस एल सलूजा, बिलासपुर।

घोटाले की बात साबित करने के लिए इस मामले में आरटीआई के ज़रिए और तहक़ीक़ात की जा सकती है। मंत्रालय से उक्त ब्लॉकों में कोयला उत्पादन की मात्रा, आपूर्ति एवं ग्राहक इत्यादि के संबंध में सवाल पूछे जा सकते हैं।

 

विज्ञापन का भुगतान कैसे होगा?


मैं एक स्थानीय समाचारपत्र में बतौर संवाददाता काम कर रहा हूं। हमारे समाचारपत्र में छपे विज्ञापनों का बकाया कई नगर पंचायतों एवं नगरपालिकाओं पर है, जो लंबे समय से नहीं मिला है। क्या आरटीआई के तहत उक्त बकाए का भुगतान हो सकता है।

- शिबली रामपुरी, सहारनपुर।

विज्ञापन के संबंध में आपके समाचार पत्र और नगरपालिकाओं एवं पंचायतों के बीच काग़ज़ी अनुबंध यदि हो तो आप भुगतान के लिए पंचायत और नगरपालिकाओं के अधिकारियों को आवेदन दे सकते हैं। आवेदन देने पर भी यदि भुगतान नहीं होता है तो उसी आवेदन की एक कॉपी के साथ आप एक आरटीआई आवेदन उक्त जगहों पर भेज सकते हैं। अपने आरटीआई आवेदन में आप उक्त संस्थाओं द्वारा विज्ञापन भुगतान के संबंध में निर्धारित नियम-क़ानून के बारे में सवाल पूछ सकते हैं। साथ ही भुगतान न करने के लिए ज़िम्मेदार अधिकारी के नाम और पदनाम के बारे में जानकारी मांग सकते हैं। भुगतान के लिए पूर्व में दिए गए साधारण आवेदन पर अब तक की गई कार्रवाई के बारे में भी सवाल पूछ सकते हैं।

 

 

Path Alias

/articles/samasayaa-saujhaava-aura-samaadhaana

Post By: Hindi
Topic
Regions
×