Posted on 05 Dec, 2012 01:29 PMहिमयुग को लेकर कई सिद्धांत और परिकल्पनाएं हैं। लेकिन नासा की हाल की रिपोर्ट ने इसे लेकर एक नई बहस शुरू कर दी है। दरअसल ग्लोबल वार्मिंग के चलते ध्रुवीय क्षेत्रों की बर्फ तेजी से पिघल रही है जिससे ग्लोबल वार्मिंग का खतरा अब ग्लोबल कूलिंग की ओर बढ़ रहा है।
Posted on 03 Dec, 2012 10:59 AMनिर्मल भारत यात्रा। यह लगभग 500 लोगों द्वारा पूरी की गई 2000 किलोमीटर की एक रोमांचक यात्रा थी। यह यात्रा. पाँच राज्यों- वर्धा (महाराष्ट्र), इंदौर (मध्य प्रदेश), कोटा (राजस्थान), ग्वालियर (मध्य प्रदेश), गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) और बेतिया (बिहार) के छह बड़े कस्बों से होकर गुजरी। प्रत्येक कस्बे में यात्रा के पड़ाव के दौरान एक काफी बड़े मैदान में
पर्याप्त साफ-सफाई का अभाव भारत में एक बड़ी समस्या है। 67 करोड़ भारतीयों को अभी भी खुले में शौच जाना पड़ता है। खुले में शौच की वजह से ही प्रतिदिन 1000 बच्चों को जान गंवानी पड़ती है। इस बात को आप ऐसे समझ सकते हैं कि भारत सरकार को देश के कुल बजट में से काफी धन स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करना पड़ रहा है।
Posted on 20 Sep, 2012 05:02 PMआज के समय में प्लास्टिक कचरा एक गहरी चिंता का विषय बना हुआ है। बढ़ते प्लास्टिक कचरे की वजह से पर्यावरण को काफी नुकसान हुआ है। प्लास्टिक कचरे में मौजूद रासायनिक अवयव धरती की उर्वरा शक्ति को खत्म कर देता है। ऐसे में प्लास्टिक कचरे से निपटने के लिए त्यागराज अभियांत्रिकी महाविद्यालय मदुरै के रसायनशास्त्र के प्रोफेसर आर माधवन ने लगभग एक दशक पूर्व बेकार प्लास्टिक से डेढ़ किलोमीटर सड़क बनवाकर भविष्य में बड़े खतरे के खिलाफ लोगों को आश्वस्त किया। केके प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट नामक कंपनी ने अपने नेटवर्क के जरिये देश भर में लगभग आठ हजार किलोमीटर प्लास्टिक की सड़कें बनवायी हैं, बता रहे हैं घनश्याम श्रीवास्तव।
प्लास्टिक कचरे की समस्या से जूझते देश में सड़क निर्माण की इस तकनीक से कई राज्यों को एक नयी राह दिखी है। नगालैंड जैसे छोटे राज्य में लगभग 150 किलोमीटर लंबी सड़क इसी तकनीक से बनायी जा चुकी है। अब ओडिशा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश और पांडिचेरी में भी बेकार प्लास्टिक और बिटुमेन मिश्रित सड़कें जल्द ही बननी शुरू हो जायेंगी। विशेषज्ञों के अनुसार, तकनीकी भाषा में कहें तो इस तकनीक से बनी सड़कों की 'मार्शल स्टैबिलिटी वैल्यू' (सड़क की गुणवत्ता का मानक) बढ़ जाती है। हाल के वर्षों में विश्व बिरादरी के लिए प्लास्टिक कचरा गहरी चिंता का सबब बना है। बेकार का प्लास्टिक काफी समय तक नष्ट नहीं होता। इसमें मौजूद रासायनिक अवयव धरती की उर्वरा शक्ति नष्ट कर देते हैं और कई सूक्ष्म जीवों का अस्तित्व ही इसके कारण खत्म हो चुका है। बेकार प्लास्टिक से बने पॉलिथिन के पैकेट खाकर मर रही गायें और कई शहरों में जल निकास प्रणाली का संकट इसी की देन हैं। लेकिन अब बेकार प्लास्टिक का उपयोग एक उपयोगी काम में हो रहा है।