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आएगा बर्फीला युग
Posted on 05 Dec, 2012 01:29 PM हिमयुग को लेकर कई सिद्धांत और परिकल्पनाएं हैं। लेकिन नासा की हाल की रिपोर्ट ने इसे लेकर एक नई बहस शुरू कर दी है। दरअसल ग्लोबल वार्मिंग के चलते ध्रुवीय क्षेत्रों की बर्फ तेजी से पिघल रही है जिससे ग्लोबल वार्मिंग का खतरा अब ग्लोबल कूलिंग की ओर बढ़ रहा है।
महान वाश यात्रा
Posted on 03 Dec, 2012 10:59 AM निर्मल भारत यात्रा। यह लगभग 500 लोगों द्वारा पूरी की गई 2000 किलोमीटर की एक रोमांचक यात्रा थी। यह यात्रा. पाँच राज्यों- वर्धा (महाराष्ट्र), इंदौर (मध्य प्रदेश), कोटा (राजस्थान), ग्वालियर (मध्य प्रदेश), गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) और बेतिया (बिहार) के छह बड़े कस्बों से होकर गुजरी। प्रत्येक कस्बे में यात्रा के पड़ाव के दौरान एक काफी बड़े मैदान में
निर्मल भारत यात्रा के उद्घाटन पर प्रेस को सम्बोधित करते हुए
निर्मल भारत यात्रा, 2 अक्टूबर से 19 नवम्बर
Posted on 27 Nov, 2012 08:54 AM

एक बहुत ही रोमांचक, मसालेदार और मजेदार अभियान


पर्याप्त साफ-सफाई का अभाव भारत में एक बड़ी समस्या है। 67 करोड़ भारतीयों को अभी भी खुले में शौच जाना पड़ता है। खुले में शौच की वजह से ही प्रतिदिन 1000 बच्चों को जान गंवानी पड़ती है। इस बात को आप ऐसे समझ सकते हैं कि भारत सरकार को देश के कुल बजट में से काफी धन स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करना पड़ रहा है।
निर्मल भारत यात्रा में जयराम रमेश
ਕੁਦਰਤੀ ਖੇਤੀ ਵਿਚ ਗਊ ਦਾ ਮਹੱਤਵ
Posted on 31 Oct, 2012 01:10 PM ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਗਊ ਹਮੇਸ਼ਾ ਤੋਂ ਹੀ ਖੇਤੀ ਦਾ ਧੁਰਾ ਰਹੀ ਹੈ। ਸਾਡੀ ਖੇਤੀ, ਖੇਤੀ ਵਿਚਲੀਆਂ ਕਿਰਿਆਂਵਾਂ ਸਭ ਗਊ ਦੇ ਦੁਆਲੇ ਹੀ ਘੁੰਮਦੀਆਂ ਰਹੀਆਂ ਹਨ। ਗਊ ਦੇ ਗੋਬਰ ਦੀ ਖਾਦ ਸਾਡੀ ਜਮੀਨ ਨੂੰ ਉਪਜਾਊ ਬਣਾਉਂਦੀ ਰਹੀ ਹੈ। ਪਰ ਜਦ ਰਸਾਇਣਿਕ ਖੇਤੀ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਈ ਤਾਂ ਗਊ ਦੇ ਗੋਬਰ ਦੀ ਥਾਂ ਯੂਰੀਆ ਅਤੇ ਡੀ ਏ ਪੀ ਜਹੀਆਂ ਖਾਦਾਂ ਨੇ ਲੈ ਲਈ ਜਿਸਦਾ ਨਤੀਜ਼ਾ ਅੱਜ ਸਾਡੇ ਸਾਹਮਣੇ
पोस्टर : कम पानी की फसलें उगाएं
Posted on 23 Oct, 2012 08:40 PM

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पोस्टर : कम पानी की फसलें उगाएं
पोस्टर : सतही जल संग्रहण टांका
Posted on 23 Oct, 2012 08:29 PM

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पोस्टर : सतही जल संग्रहण टांका
पोस्टर : प्रदूषित पानी
Posted on 23 Oct, 2012 08:49 AM

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पोस्टर : प्रदूषित पानी
पोस्टर : पीने के पानी के स्रोत को गंदा न करें
Posted on 23 Oct, 2012 08:36 AM

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पोस्टर : पीने के पानी के स्रोत को गंदा न करें
प्लास्टिक से हरी-भरी सड़क
Posted on 20 Sep, 2012 05:02 PM आज के समय में प्लास्टिक कचरा एक गहरी चिंता का विषय बना हुआ है। बढ़ते प्लास्टिक कचरे की वजह से पर्यावरण को काफी नुकसान हुआ है। प्लास्टिक कचरे में मौजूद रासायनिक अवयव धरती की उर्वरा शक्ति को खत्म कर देता है। ऐसे में प्लास्टिक कचरे से निपटने के लिए त्यागराज अभियांत्रिकी महाविद्यालय मदुरै के रसायनशास्त्र के प्रोफेसर आर माधवन ने लगभग एक दशक पूर्व बेकार प्लास्टिक से डेढ़ किलोमीटर सड़क बनवाकर भविष्य में बड़े खतरे के खिलाफ लोगों को आश्वस्त किया। केके प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट नामक कंपनी ने अपने नेटवर्क के जरिये देश भर में लगभग आठ हजार किलोमीटर प्लास्टिक की सड़कें बनवायी हैं, बता रहे हैं घनश्याम श्रीवास्तव।

प्लास्टिक कचरे की समस्या से जूझते देश में सड़क निर्माण की इस तकनीक से कई राज्यों को एक नयी राह दिखी है। नगालैंड जैसे छोटे राज्य में लगभग 150 किलोमीटर लंबी सड़क इसी तकनीक से बनायी जा चुकी है। अब ओडिशा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश और पांडिचेरी में भी बेकार प्लास्टिक और बिटुमेन मिश्रित सड़कें जल्द ही बननी शुरू हो जायेंगी। विशेषज्ञों के अनुसार, तकनीकी भाषा में कहें तो इस तकनीक से बनी सड़कों की 'मार्शल स्टैबिलिटी वैल्यू' (सड़क की गुणवत्ता का मानक) बढ़ जाती है। हाल के वर्षों में विश्व बिरादरी के लिए प्लास्टिक कचरा गहरी चिंता का सबब बना है। बेकार का प्लास्टिक काफी समय तक नष्ट नहीं होता। इसमें मौजूद रासायनिक अवयव धरती की उर्वरा शक्ति नष्ट कर देते हैं और कई सूक्ष्म जीवों का अस्तित्व ही इसके कारण खत्म हो चुका है। बेकार प्लास्टिक से बने पॉलिथिन के पैकेट खाकर मर रही गायें और कई शहरों में जल निकास प्रणाली का संकट इसी की देन हैं। लेकिन अब बेकार प्लास्टिक का उपयोग एक उपयोगी काम में हो रहा है।
ਭਾਰਤ ਦੀ ਬਹੁਮੱਲੀ ਬੀਜ ਵਿਰਾਸਤ ਬਹੁਕੌਮੀ ਕੰਪਨੀਆਂ ਨੂੰ ਸੌਂਪਣ ਦੀ ਤਿਆਰੀ
Posted on 10 Sep, 2012 04:04 PM ਆਓ! ਸੰਗਠਿਤ ਹੋ ਕੇ ਇਸ ਨਾਪਾਕ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਦਾ ਵਿਰੋਧ ਕਰੀਏ!
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