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गोकुल का तालाब बना तो बनने लगा आशियाना
Posted on 18 Jan, 2014 09:39 PM तालाब के नए अर्थशास्त्र को गांव के किसानों तक पहुंचाने का प्रयास अप
इन्हें पानी क्या मिला,सजाली पत्थरों में फसल
Posted on 18 Jan, 2014 09:34 PM किसान को पानी में फसल लेने के बहुतेरे अनुभव रहे हैं। इसीलिए उसे इस
पुरखों के दफन खजाने से बेखबर वारिस किसान
Posted on 16 Jan, 2014 07:00 PM 16 जनवरी/2014/बुन्देलखण्ड क्षेत्र उत्तरप्रदेश में जन्में जमीदार परिवार के वारिस किसान को अपने बाबा-परबाबा की अकूत सम्पति और उनकी जमीदारी के गांवों की फेहरिस्त मुंह जबानी याद है। एक जमाने में देश के सुदूर क्षेत्र से आकर इस इलाके के गांव कहरा के जमींदार की सम्पत्ति जमीदारी की देख-रेख बावत नियुक्ति होने का कारण इनके परदादा की शिक्षा-दिक्षा थी। कुछ समय बाद उस जमींदार परिवार के वारिस भी बनने का सौभाग्
सड़क पर अपना हक
Posted on 11 Jan, 2014 03:01 PM सन् 1995 के आसपास हमारी संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायर्नमेंट ने वायु प्रदूषण के खिलाफ अपना आंदोलन शुरू किया था। तब हमने जो कुछ भी किया वह लीक का काम था। इस आंदोलन ने ईंधन की गुणवत्ता को ठीक करने पर दबाव डाला। गाड़ियों से निकलने वाले बेहद जहरीले धुएँ को नियंत्रित करने के लिए नए कड़े नियम बनवाए। उनकी जांच-परख का नया ढांचा खड़ा करवाया और उस अभियान ने ईंधन का प्रकार तक बदलने का काम किया। यह लेख मैं अपने बिस्तरे से लिख रही हूं- एक सड़क दुर्घटना में बुरी तरह से घायल होने के बाद, हड्डियां टूटने के बाद मुझे ठीक होने तक इसी बिस्तर पर रहना है। मैं साइकिल चला रही थी। तेजी से आई एक मोटर गाड़ी ने मुझे अपनी चपेट में ले लिया था। टक्कर मारकर कार भाग गई। खून से लथपथ मैं सड़क पर थी।

ऐसी दुर्घटनाएँ बार-बार होती हैं हमारे यहां। हर शहर में होती हैं, हर सड़क पर होती हैं। यातायात की योजनाएं बनाते समय हमारा ध्यान पैदल चलने वालों और साइकिल चलाने वालों की सुरक्षा पर जाता ही नहीं। सड़क पर उनकी गिनती ही नहीं होती। ये लोग बिना कुछ किए, एकदम साधारण-सी बात में, बस सड़क पार करते हुए अपनी जान गँवा बैठते हैं। मैं इनसे ज्यादा भाग्यशाली थी। दुर्घटना के बाद दो गाड़ियाँ रुकीं, अनजान लोगों ने मुझे अस्पताल पहुंचाया। मेरा इलाज हो रहा है। मैं ठीक होकर फिर वापस इसी लड़ाई में लौटूंगी।
पहिया पानी
Posted on 27 Oct, 2013 04:26 PM

भारत के कई ग्रामीण इलाकों में पानी काफी दूर-दूर से लाना पड़ता है। घड़े, मटके और नए आए प्लास्टिक के घड़े भी महिलाओं को सिर पर उठाकर ही चलना पड़ता है। कई जगहों पर तो महिलाओं को 5-10 किलोमीटर दूर से भी जरूरत का पानी लाना पड़ता है। इस काम में उन्हें रोजमर्रा के कई-कई घंटे लगाने पड़ते हैं। घर की औरतों के अलावा बच्चियों को भी इस काम में लगाया जाता है। बच्चियों की शिक्षा-दिक्षा और स्वास्थ्य काफी प्

water wheel
नारीत्व की प्रतिष्ठा: माहवारी स्वच्छता प्रबंधन
Posted on 12 Apr, 2013 04:33 PM माहवारी स्वच्छता का निम्न स्तर मतलब कई अधिकारों को एक साथ नकारना; ग
MHM
अब स्वजल में डूबेंगे गांव
Posted on 30 Mar, 2013 03:23 PM

जो सरकार विश्व बैंक से कर्ज लेकर गांव को स्वावलंबी बनाना चाहती हैं उसमें इतना साहस भी नहीं कि अपने दस्तावेज़ों म

ਪੁਤਲੇ ਹਮ ਮਾਟੀ ਕੇ
Posted on 18 Feb, 2013 11:23 AM ਜੀਵ ਸ਼ਬਦ ਤੋਂ ਅਸੀਂ ਸਭ ਪਰਿਚਿਤ ਹਾਂ। ਅਣੂ ਤੋਂ ਵੀ ਅਸੀ ਸਾਰੇ ਨਹੀਂ ਤਾਂ ਸਾਡੇ ਵਿੱਚੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਪਰਿਚਿਤ ਹਾਂ ਹੀ। ਪਰ ਜਦ ਇਹ ਦੋਵੇਂ ਜੁੜ ਕੇ ਜੀਵਾਣੂ ਬਣਦੇ ਹਨ ਤਾਂ ਉਹਨਾਂ ਦੇ ਬਾਰੇ ਵਿੱਚ ਸਾਡੇ ਵਿੱਚੋਂ ਮੁੱਠੀ ਭਰ ਲੋਕ ਵੀ ਕੁੱਝ ਜ਼ਿਆਦਾ ਨਹੀਂ ਜਾਣਦੇ।
धरती चुकाती है बोतलबंद पानी की कीमत
Posted on 26 Jan, 2013 10:27 AM

पानी के क्षेत्र में और आर्थिक रूप से संपन्न इलाकों में बोतलबंद पानी की शुरूआत विलासिता के रूप में हुई थी जो कि स

ਜੈਵਿਕ ਖਾਦ- ਜ਼ਰੂਰਤ ਅਤੇ ਤਕਨੀਕ
Posted on 21 Jan, 2013 11:18 AM ਸਾਡੀ ਪ੍ਰਾਪੰਰਿਕ ਖੇਤੀ ਵਿੱਚ ਕਚਰਾ, ਗੋਬਰ, ਜਾਨਵਰਾਂ ਦਾ ਮਲਮੂਤਰ ਅਤੇ ਹੋਰ ਬਨਸਪਤੀ ਕਚਰੇ ਨੂੰ ਇਕੱਠਾ ਕਰਕੇ ਖਾਦ ਬਣਾਉਣ ਦੀ ਪ੍ਰਥਾ ਪ੍ਰਚੱਲਿਤ ਸੀ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਸਾਰੇ ਪੋਸ਼ਕ ਤੱਤ ਅਤੇ ਮਿੱਟੀ ਵਿੱਚ ਜੈਵਿਕ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਵਿਘਟਨ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਸਾਰੇ ਤਰ੍ਹਾ ਦੇ ਸੂਖ਼ਮਜੀਵੀ ਪ੍ਰਚੂਰ ਮਾਰਤਰਾ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਜੈਵਿਕ ਖਾਦ ਦੇ ਇਸਤੇਮਾਲ ਨਾਲ ਮਿੱਟੀ ਦੀ ਕੁਦਰਤੀ ਉਪਜਾਊ ਸ਼ਕਤੀ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਹੁੰਦਾ ਸੀ ਅਤੇ ਮਿੱਟੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਸਮੇਂ ਤੱਕ ਚੰਗੀ ਫ਼ਸਲ ਦੇਣ ਦੇ ਯੋਗ ਰਹਿੰਦੀ ਸੀ। ਖ
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