Posted on 08 May, 2015 03:23 PMघोर मानव पूंजी का नाश देखना हो तो हिमालय में बसे नेपाल को इन दिनों निहारा जा सकता है। बीते 25 अप्रैल को नेपाल सहित उत्तर भारत की भूमि भूकम्प से थर्रा गई। नेपाल इस एक सप्ताह में आपदा के कई अनचाहे पहलुओं से भी कहीं न कहीं वाकिफ हुआ होगा। पौने तीन करोड़ की जनसंख्या वाला नेपाल इन दिनों जिस वेदना से गुजर रहा है, उसके दर्द को भारत से बेहतर शायद ही किसी और ने समझा हो। नेपाल की राजधानी काठमाण्डू में हुई तब
Posted on 08 May, 2015 09:39 AMआपदाओं से किसी समाज की कार्यप्रणाली में गम्भीर व्यवधान आता है, जिससे मानव, सामग्री या पर्यावरण को व्यापक क्षति पहुँचती है, जो प्रभावित समाज की स्वयं के संसाधनों से निपटने की क्षमता से अधिक होती है। आपदाएँ आकस्मिक (भूकम्प/सुनामी) अथवा धीरे-धीरे आने वाली (जैसे सूखा) या प्राकृतिक अथवा मानवजन्य हो सकती हैं।
Posted on 03 May, 2015 04:34 PMकृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की हमेशा से ही रीढ़ रही है, पर सबसे अधिक दुश्वारियाँ इसी ने झेली हैं। भारत में अधिकांशत: जीविका और गुजारे की फसल का ही उत्पादन हो रहा है, ऊपर से दैवीय आपदा, ओलावृष्टि और बेमौसम बारिश से खेती झुरमुट हो गई और खेती करने वाला इसका शिकार होता जा रहा है। 65 बरस की कृषि नीति और इतने ही प्रतिशत के आसपास कृषि के कारोबारी तबाही के मंजर से न उबर रहे हैं और न ही कृषक होने का गौरव हासि