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जैविक खाद का काम,जल की बचत के साथ ही दे पौधों को नई जान
अधिक से अधिक पैदावार हासिल करने के लिए निरंतर प्रयोग किए जा रहे फर्टिलाइजर व रसायन मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरकता को समाप्त कर रहे हैं। Posted on 16 Aug, 2023 06:02 PM

आज के दौर की कृषि पद्धति काफी आधुनिक हो गई है। जिस रफ्तार से कृषि में आधुनिकता का समावेश किया जा रहा है उससे किसानों को त्वरित फायदे प्राप्त हो रहे हैं। लेकिन, इन झटपट फायदे के फेर में वे कई दीर्घकालीन समस्याओं को निमंत्रण दे रहे हैं। अधिक से अधिक पैदावार हासिल करने के लिए निरंतर प्रयोग किए जा रहे फर्टिलाइजर व रसायन मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरकता को समाप्त कर रहे हैं। मिट्टी की उर्वरकता में गिराव

नीम से खाद तैयार,PC-Wikipedia
कलकल, छलछल,बहती गंगा
पूरे विश्व में किसी भी नदी की तुलना में गंगा सर्वाधिक आबादी को प्रभावित करती है। Posted on 16 Aug, 2023 04:00 PM

धरती को प्रकृति ने बहुत कुछ दिया है, उनमें प्रमुख हैं पहाड़, खनिज, नदी और जंगल नदियां बहुत प्रकार की हैं, लेकिन सब में गंगा की अलग पहचान है। पूरे विश्व में किसी भी नदी की तुलना में गंगा सर्वाधिक आबादी को प्रभावित करती है। यह हिमालय के गंगोत्री से 19 किलोमीटर आगे गोमुख से निकलती है और कुल 2525 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर बंगाल की खाड़ी में गिरती है। इसका नाम जगह-जगह बदल जाता है। हिमालय में यह भाग

धार्मिक आस्था का प्रतीक गंगा,PC-Wikipedia
वर्षा जल संग्रहण समय की आवश्यकता
भारत में पानी के प्रबंधन का अभाव है बहुत कम एजेंसियां इसके लिए काम करती हैं। यहाँ पर आबादी का घनत्व ज्यादा है, खेती के तरीके असंवेदनशील हैं और औद्योगीकरण बड़े स्तर पर हो रहा है। जल स्तर दिन-प्रतिदिन गिरता जा रहा है वर्षा का बहुत बड़ा हिस्सा आज भी नालों के जरिए नदी और नदियों के जरिए समुद्र में समाहित हो जाता है Posted on 14 Aug, 2023 03:02 PM

संभावित जल समस्या

भारत में पानी की समस्या ने कई राज्यों को अपनी चपेट में ले रखा है। भूजल का स्तर लगातार नीचे जा रहा है। साल दर साल गर्मी का प्रकोप बढ़ रहा है और देश सूखे की गंभीर स्थिति का सामना कर रहा है आसमान आग उगल रहा है और धरती तप रही है उमस इतनी कि सांस लेने में दिक्कत है पारा पहले के मुकाबले और अधिक बढ़ता जा रहा है और उस पर बिजली भी कम सितम नहीं ढा रही ह

वर्षा जल संग्रहण समय की आवश्यकता,Pc-Wikipedia
बोतलबंद जल : गुणवत्ता, वैशिष्ट्य एवं सुरक्षा की दृष्टि में
अपनी जल दैनिक आवश्यकता का मात्र 40 प्रतिशत भाग ही प्राप्त कर पा रहे हैं। किसी तरह खीच-तान के काम चलाना पड़ रहा है। जल उपभोग तेजी से बढ़ रहा है। इसी बात से अनुमान लगाया जा सकता है कि प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन के हिसाब से लगभग 60 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। औद्योगीकरण के कारण कहीं कहीं यह मात्रा घटकर मात्र 10 से 15 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन रह गई है। Posted on 14 Aug, 2023 02:36 PM

सम्पूर्ण जैव सृष्टि, जैव विविधता एवं अद्यतन सभ्यता के विकास के इतिहास के साथ जुड़ी है - जल की कहानी । जीवन का पर्याय बना यह शीतल, निर्मल, स्वच्छ एवं सुस्वादु जल आखिर किसे नहीं भाता और कौन नहीं अपने कंठ को तरल करता तथा पिपासा को शान्त करता । वैदिक काल में इसे "आप" की संज्ञा दी गई और इसकी व्यापकता एवं सम्मान में वैदिक साहित्य में अनेकों श्लोक एवं ऋचाएं सृजित एवं अलंकृत हुए | उदाहरणार्थ "आपे हिष्ट

बोतलबंद जल,Pc-Wikipedia
पानी के विभिन्न वैज्ञानिक और तकनीकी पहलू
वायुमंडल का जल वाष्प और कार्बन डाइऑक्साइड एक प्रकार का तापक्रम बफर (ग्रीन हाउस प्रभाव ) पैदा करते हैं जो पृथ्वी के तापमान को सापेक्षतया स्थिर बनाने में मदद करते हैं। अगर पृथ्वी और छोटी होती तो पतले वायुमंडल के कारण भीषण परिस्थितियाँ पैदा होती तथा इससे पानी का ठहराव केवल ध्रुवीय आईस कैंपों में हो पाता पृथ्वी में परिवर्तनीय सौर विकिरण के विभिन्न स्तर पहुँचने के बावजूद इसकी सतह का तापमान भूगर्भीय समय के अनुसार स्थिर रहा है Posted on 14 Aug, 2023 02:06 PM

मानव जीवन में पानी का बहुत महत्व है तथा यह मानव जीवन के हर पहलू को प्रभावित करता है। चूँकि पानी प्रकृति की देन है इसलिए इसके साथ विभिन्न तकनीकी और वैज्ञानिक तथ्य जुड़े हुए हैं। इस लेख में पानी के विभिन्न तकनीकी तथ्यों का वर्णन किया गया है।

पानी के विभिन्न वैज्ञानिक और तकनीकी पहलू,Pc-Wikipedia
जल-भूजल अनोखे गुण एवं भविष्य की चुनौतियाँ
पानी के कुछ विशेष गुण वैज्ञानिकों के सतत् प्रयासों के बाद आज भी समझ से परे हैं। उदाहरण के तौर पर पानी का घनत्व 4°C से ऊपर तथा नीचे कम होना शुरू हो जाता है तथा पानी का ठोस रूप में आयतन बढ़ जाता है। इसके अतिरिक्त पानी की विशिष्ट ऊष्मा समान तरह के द्रव्यों में सबसे अधिक होती है Posted on 12 Aug, 2023 02:20 PM

यह सर्वविदित और अकाट्य सत्य है कि हवा के बाद पानी ही मनुष्य की सर्वाधिक महत्वपूर्ण आवश्यकता है लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि पानी की जानकारी मनुष्य को हवा से पहले हुई। इसका कारण यह है कि हवा तो स्वतः ही शरीर में आती जाती रहती है तथा सर्व विद्यमान है लेकिन पानी को प्राप्त करने के लिए हमें प्रयास करना पड़ता हैं लेकिन यह बड़े ही आश्चर्य की बात है कि सबसे पहले जानकारी में आने वाला पानी आज भी

जल-भूजल अनोखे गुण,Pc-Wikipedia
नदियों में पर्यावरणीय प्रवाह प्रबंधन द्वारा नदी जल का इष्टतम उपयोग
नदियों का पारिस्थितिक तंत्र पर पड़ने वाला कुप्रभाव क्षेत्र के आर्थिक एवं सामाजिक विकास को प्रभावित करता है। जैसा कि सर्वविदित है कि किसी क्षेत्र के आर्थिक एवं सामाजिक विकास के लिए यह आवश्यक है कि क्षेत्र में प्रवाहित होने वाली नदियों में न्यूनतम जल उपलब्धता पूरे वर्ष बनी रहे। जिसका प्रभाव क्षेत्र में निवास करने वाले जलजीवों, वनों, वनस्पतियों पर पड़ता है। इसके अतिरिक्त नदियों से अनियंत्रित जल निकासी में वृद्धि नदियों के पारिस्थितिक तंत्र के लिए हानिकारक है। Posted on 11 Aug, 2023 04:37 PM

स्वच्छ जल हमारी दैनिक मूलभूत आवश्यकता है, जीवन के प्रत्येक क्षेत्र, उदाहरणतः घरेलू उपयोगों, खाद्यान्न उत्पादन, औद्योगिक एवं आर्थिक विकास एवं अन्य सामान्य अनुप्रयोग हेतु जल एक अत्यंत महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में दृष्टिगोचर होता है, जिसके बिना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। भारतवर्ष में उपलब्ध जल हमें मुख्यतः वर्षा एवं हिमपात से वर्षा ऋतु के चार महीनों, जून से सितंबर के मध्य प्राप्त ह

न्यूनतम पर्यावरणीय प्रवाह तथा विकास के बीच संतुलन आवश्यक है। Pc-जल चेतना
शुद्ध पेय जल और प्रदूषण की समस्या
तालाबों के किनारे प्रायः पेड़ लगाने की परम्परा है। यह अच्छी परम्परा है। लेकिन तालाब किनारे पेड़ लगाते समय पूरब या पश्चिम दिशा खुली छोड़ देनी चाहिये; ताकि तालाब के पानी को धूप मिल सके। तालाब का घेरान करना भी आवश्यक है। घेरान से बाहरी कचरा हवा के साथ उड़ कर उसके अंदर नहीं आता है और अचानक दौड़ कर आने वाले जानवरों या आदमी के लिये भी वह खतरनाक साबित होने से बच जाता है। कुएं या तालाब के जल के शुद्धीकरण के लिये उसमें मछली पालना आवश्यक है। Posted on 11 Aug, 2023 04:10 PM

जिस तरह वायु हमारे जीवन के लिये आवश्यक है, उसी तरह जल भी जीवन के अस्तित्व के लिये अति महत्वपूर्ण है। लेकिन आज वायु और जल दोनों बुरी तरह प्रदूषित हो चुके हैं। बदले हुए मौसम जैसे बाढ़ और सुखाड़ का हमारे पेय जल पर असर पड़ता है। पीने के पानी में विषैले रसायन जैसे आर्सेनिक, फ्लोराइड, सीसा, पेस्टिसाइड्स आदि घुले हो सकते हैं। जल में जंग और रंग भी मिला हो सकता है। प्रदूषणमुक्त पेय जल की उपलब्धता हमारे

प्रदूषण की मार झेलती यमुना नदी,Pc-wikipedia
मिले-जुले प्रयास, पूरी जल की आस
प्राकृतिक कोप के कारण सूखे के हालात बने रहते हैं। कम वर्षा के कारण जल संचय और जल के सदुपयोग हेतु सुध लेने की पहल इस वाक्य के साथ ही गयी जहां चाह वहां राह इस मूल मंत्र को समझकर ललितपुर के सहरिया आदिवासियों वनवासियों की जीवन रेखा बंडई नदी के सूख जाने पर मातम मनाते चेहरों के आंसू पोंछ कर उनके जीवन में खुशियां लौटाने की सौगात दी गई। Posted on 10 Aug, 2023 12:48 PM

स्वाधीनता के दशकों बाद भी बुंदेलखण्ड कितना पिछड़ा है, कितना साधनहीन है यह देख कर आश्चर्य होता है। बुन्देलखण्ड वह अभागा क्षेत्र है जहां अनेक वर्षों  से प्राकृतिक कोप के कारण सूखे के हालात बने रहते हैं। कम वर्षा के कारण जल संचय और जल के सउपयोग हेतु सुध लेने की पहल इस वाक्य के साथ ही गयी जहां चाह वहां राह । इस मूल मंत्र को समझकर ललितपुर के सहरिया आदिवासियों वनवासियों की जीवन रेखा बंडई नदी के सूख ज

प्राकृतिक कोप के कारण नदियां सूख रही है ,फोटो क्रेडिट-Wikipedia
अथर्ववेदः पृथ्वीमाता, प्रकृति, पर्यावरण और जीवन
अथर्ववेद में जीवाणु विज्ञान का उल्लेख है। इसमें मानव काया रचना और चिकित्सा उपचार व औषधियों से सम्बन्धित सूचनाएँ प्राप्त होती है। आयुर्वेद के मूल उल्लेख, दूसरे शब्दों में आयुर्वेद की उत्पत्ति के कारण, अथर्ववेद भैषज्यवेद अथवा भिषग्वेद कहलाता है। ब्रह्मज्ञान अथर्ववेद का, जैसा कि उल्लेख किया है. एक श्रेष्ठ पक्ष है इसी के साथ 'आनन्द', जिसकी अन्तिम अवस्था परमानन्द है, जो स्वयं परमात्मा स्वरूप है. अथर्ववेद में अध्ययन व ज्ञान का एक मुख्य विषय है। Posted on 07 Aug, 2023 12:49 PM

बीस काण्डों के सात सौ इकतीस सूक्तों में पाँच हजार नौ सी सतहत्तर मंत्रों से सम्पन्न चतुर्थ वेद, अर्थात् अथर्ववेदी की शोभा और महत्ता कई रूपों में है। अथर्ववेद को छन्दवेद कहा जाता है। छन्द अर्थात् आनन्द: इस प्रकार, अथर्ववेद आनन्द ज्ञान व अध्ययन का मार्ग प्रशस्तकर्ता है। अथर्ववेद के मंत्रों में प्रकट ब्रा संवाद के कारण इसे ब्रह्मवेद भी कहते हैं। अथर्ववेद चूंकि प्रमुखतः अंगिरा अथवा अंगिरस ऋषिबद्ध है

अथर्ववेदः पृथ्वीमाता, प्रकृति, पर्यावरण और जीवन,Pc-wikipedia
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