पानी के विभिन्न वैज्ञानिक और तकनीकी पहलू

पानी के विभिन्न वैज्ञानिक और तकनीकी पहलू,Pc-Wikipedia
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मानव जीवन में पानी का बहुत महत्व है तथा यह मानव जीवन के हर पहलू को प्रभावित करता है। चूँकि पानी प्रकृति की देन है इसलिए इसके साथ विभिन्न तकनीकी और वैज्ञानिक तथ्य जुड़े हुए हैं। इस लेख में पानी के विभिन्न तकनीकी तथ्यों का वर्णन किया गया है।

पृथ्वी के गुरुत्व के कारनामे

पृथ्वी के गुरुत्व के कारण इसका अपना एक वायुमंडल बना रहता है। वायुमंडल का जल वाष्प और कार्बन डाइऑक्साइड एक प्रकार का तापक्रम बफर (ग्रीन हाउस प्रभाव ) पैदा करते हैं जो पृथ्वी के तापमान को सापेक्षतया स्थिर बनाने में मदद करते हैं। अगर पृथ्वी और छोटी होती तो पतले वायुमंडल के कारण भीषण परिस्थितियाँ पैदा होती तथा इससे पानी का ठहराव केवल ध्रुवीय आईस कैंपों में हो पाता पृथ्वी में परिवर्तनीय सौर विकिरण के विभिन्न स्तर पहुँचने के बावजूद इसकी सतह का तापमान भूगर्भीय समय के अनुसार स्थिर रहा है यह इस बात का संकेत देता है कि एक गतिजतापूर्ण प्रक्रिया ग्रीन हाउस गैसों और सतह या वायुमंडलीय एल्वीडो के संयुक्तीकरण से पृथ्वी के तापमान का नियंत्रण करती है। इस प्रस्ताव को गाइया संकल्पना कहते हैं किसी ग्रह में पानी की अवस्था अभीष्ट दाब (एम्बिएन्ट) पर निर्भर करती है जिसका निर्धारण ग्रह के गुरुत्व के द्वारा किया जाता है। यदि ग्रह पर्याप्त रूप से विशाल भार वाला है तो भी इसमें पानी ठोस अवस्था में हो सकता है ( उच्च तापमान पर भी ) । इसका कारण गुरुत्व द्वारा लगने बाला उच्च दाब है। इस प्रकार की प्रक्रिया अतिरिक्त सौर ग्रहों 'ग्लीज 436 बी' और 'जी जे 1214 बी' में भी देखी गई थी।

'पृथ्वी में सब जगह पानी के प्रवाह, वितरण तथा गुणवत्ता के अध्ययन को जल विज्ञान कहते हैं । जल के वितरण के अध्ययन को हाइड्रोग्राफी कहते हैं। ग्राउन्ड वाटर के वितरण और प्रवाहित होने को हाइड्रोज्योलोजी कहते हैं तथा ग्लेशियरों के सन्दर्भ में इसे ग्लैसियोलोजी कहते हैं। पृथ्वी की सतह के संन्दर्भ में इसे लिमोनोलोजी तथा समुद्र के सन्दर्भ में समुद्र विज्ञान कहते हैं'

पृथ्वी में पानी की उत्पत्ति की विभिन्न संकल्पनाएं

पृथ्वी में सब जगह पानी के प्रवाह, वितरण तथा गुणवत्ता के अध्ययन को जलविज्ञान कहते हैं। जल के वितरण के अध्ययन को हाइड्रोग्राफी कहते हैं। ग्राउन्ड वाटर के वितरण और प्रवाहित होने को हाइड्रोज्योलोजी कहते हैं तथा ग्लेशियरों के सन्दर्भ में इसे ग्लैसियोलोजी कहते हैं। पृथ्वी की सतह के संन्दर्भ में इसे लिमोनोलोजी तथा समुद्र कहते हैं।

किसी भी ग्रह की सतह, इसके नीचे तथा इसके ऊपर उपलब्ध सम्पूर्ण पानी की मात्रा को हाइड्रोस्फीयर या जल मंडल कहते हैं। पृथ्वी का लगभग जल आयतन ( अर्थात विश्व की सम्पूर्ण जल आपूर्ति) 1,338,000,000 घन किमी. (321,000,000 घन मील) है। द्रव पानी विभिन्न जल पिन्डों जैसे समुद्र, झील, नदी, नहरों, पोखरों इत्यादि में पाया जाता है। पृथ्वी में अधिकांश पानी समुद्री पानी है।वायुमंडल में भी पानी ठोस द्रव्य और वाष्प रूप में मौजूद है। अनेक भूगर्भीय प्रक्रियाओं में पानी आवश्यक होता है। अधिकांश चट्टानों में ग्राउन्डवॉटर मौजूद होता है तथा इसका दाब भूकम्प प्रक्रिया 'फाल्ट' के पैटर्न को प्रभावित करता है। पृथ्वी में रासायनिक और भौतिक मौसमी प्रक्रियाओं के लिए पानी आवश्यक होता है। पानी तथा बर्फ (यद्यपि कम प्रभाव के साथ) पृथ्वी की सतह में अवसाद (सेडीमेन्ट) के आवागमन के लिए उत्तरदायी होते हैं। इस अवसाद के संचयन के अनेक अवसादी (सेडीमेन्टरी) चट्टानें बनती हैं जो पृथ्वी के अनेक भूगर्भीय रिकार्ड्स को जन्मित करती हैं। जल चक्र का अर्थ होता है जल मंडल, वायुमंडलों के बीच, मृदा पानी, सतह पानी, ग्राउन्ड वॉटर और पौधों के बीच लगातार पानी की अदला बदली (एक्सचेंज)। जल चक्र के अन्तर्गत पानी लगातार निम्नलिखित प्रक्रियाओं द्वारा प्रवाहित होता रहता है:-

(क) समुद्रों और अन्य जल पिन्डों से वाष्पीकरण एवं पृथ्वी के पौधों और जानवरों द्वारा हवा में पारश्वसन ।
(ख) हवा तथा पृथ्वी या समुद्र में गिरने वाले जल वाष्प के संघनन से जनित अवक्षेपण।
(ग) पानी का पृथ्वी से निकलकर समुद्र में पहुँचना ।

समुद्र के ऊपर उपस्थित जलवाष्प पुनः समुद्र में वापस आ जाती है लेकिन हवाएँ जिस पर से जल वाष्प पृथ्वी के ऊपर से ले जाई. जाती है वह उसी गति से वापस समुद्र में भी आती है तथा यह गति 47 टेरा टन प्रतिवर्ष होती है। पृथ्वी में वाष्पीकरण और पराश्वसन 72 टेराटन का योगदान देता है। पृथ्वी पर 119 टेरा टन प्रतिवर्ष के होने वाले अवक्षेपण के कई स्वरूप होते हैं जैसे- वर्षा, बर्फ और ओला वृष्टि तथा इनमें कुहरे से आने वाली ओस भी शामिल है।
ताजे पानी का संचयन बदला हुआ पानी काफी लम्बे समय से कुछ जगहों पर फँस जाता है जैसे झीलें जाड़े के समय अधिक ऊँचाई पर तथा सुदूर उत्तर और दक्षिण में बर्फ का संचयन ग्लेशियर और बर्फ कैपों के रूप में होता है। पानी पृथ्वी के अन्दर भी घुस जाता है तथा इसकी तलहटी तक पहुँच जाता है यह ग्राउन्डवॉटर बाद में झरनों, हाट स्प्रिंग और गीजर के रूप में प्रवाहित होता है।

समुद्र का पानी

समुद्र के पानी में औसत रूप से 3.5% नमक होता है तथा लघु मात्रा में कुछ अन्य चीजें भी पाई जाती हैं। समुद्र के पानी के भौतिक गुण कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों में ताजे पानी के भौतिक गुणों से भिन्न होते हैं। यह निम्न तापमान (लगभग 1.9 डिग्री सेन्टीग्रेड) पर जमता है तथा इसका घनत्व तापमान के घटने के साथ (हिमांक बिन्दु तक) बढ़ता है। प्रमुख समुद्रों में पानी की लवणता परिवर्तित होती है तथा यह बाल्टिक सागर में 0.7% से लाल सागर में 4.0% होती है।

ज्वार भाटा

ज्वार भाटा का अर्थ है स्थानीय समुद्र के जल स्तर में उतार-चढ़ाव जो चन्द्रमा और सूर्य के द्वारा समुद्र में लगाये गये टायडल बलों के द्वारा होता है।

पानी के जीवन पर प्रभाव

जैविक दृष्टि से पानी के अनेक विशिष्ट गुण हैं जो जीवन की वृद्धि के लिए आवश्यक हैं तथा जो इसे अन्य वस्तुओं की तुलना में भिन्न बनाते हैं। अपनी यह भूमिका यह एक भिन्न तरीके से निभाता है जिसके अन्तर्गत यौगिक इस प्रकार रिएक्ट करते हैं जिससे वही प्रक्रिया बार-बार चलती रहती है। पानी विलायक तथा अनेक मेटाबोलिक प्रक्रियाओं के लिए नितान्त आवश्यक है। बिना पानी के ये विशिष्ट मेटाबोलिक प्रक्रियाएँ (जिसका अवशोषण हवा अथवा पानी से किया जाता है) से संयुक्त होकर ग्लूकोज का निर्माण करती है।

जल आधारित जीवन के विभिन्न स्वरूप

पृथ्वी की सतह पर पानी जीवन का आधार है। प्रारम्भिक जीवन के स्वरूप पानी से प्रारंभ हुए सभी मछलियां पानी में रहती हैं। पानी में रहने वाले अनेक प्रकार के अन्य जानवर हैं जैसे डालफिन्स और व्हेल कुछ अन्य प्रकार के जानवर जैसे एम्फीबियन्स अपने जीवन का कुछ भाग पानी में तथा कुछ भाग जमीन पर बिताते हैं। अल्गी जैसे पौधे पानी में उगते है तथा ये कुछ पानी के अन्दर के इको तंत्र के आधार होते हैं। सामान्यतया प्लॅकटन समुद्री फूड चेन की आधार शिला होता है। पानी में रहने वाले जानवरों के लिए यह आवश्यक है कि वे अपने सरवाइवल के लिए ऑक्सीजन पानी से निकालें तथा यह काम वे विभिन्न तरीकों से करते हैं कुछ जलचर अपनी त्वचा से ऑक्सीजन लेते हैं।

मानव सभ्यता पर पानी के प्रभाव

ऐतिहासिक दृष्टि से मानव सभ्यता का विकास नदियों और जलमार्गों के इर्द-गिर्द हुआ। मानव सभ्यता का प्रमुख केन्द्र मेसोपोटेमिया प्रमुख नदियों के बीच स्थित था तथा मिश्रवासियों का प्राचीन समाज पूर्ण रूप से नील नदी पर आधारित था। विशाल मेट्रोशहर जैसे रोटरडम, लन्दन, मान्ट्रीवाल, पेरिस, न्यूयार्क शहर, ब्यूनसआर्य, शंघाई, टोक्यो, शिकागो और हाँगकाँग की सफलता का राज यह था कि इन शहरों तक जल मार्ग से पहुँचा जा सकता था तथा इससे व्यापार में विकास हुआ।

स्वास्थ्य और प्रदूषण

 मानव उपयोग के लिए उपयुक्त पानी को पीने योग्य पानी कहते हैं जो पानी पीने योग्य नहीं होता है उसे फिल्ट्रेशन अथवा आसवन (डिस्टिलेशन) के द्वारा पीने योग्य बनाया जाता है जो पानी पीने योग्य नहीं होता है तथा मानव के लिए हानिकारक नहीं होता है उसे विभिन्न नामों से सम्बोधित किया जाता है। जैसे "स्नान के लिए उपयुक्त' पानी को नहाने और पीने के लिए सुरक्षित बनाने के लिए इसमें क्लोरीन मिलाते है जिसकी मात्रा पीने योग्य पानी के लिए एक मात्र प्रति मिलियन (1 पी. पी.एम) तथा नहाने वाले पानी के लिए 1-2 भाग प्रति मिलियन होती है।

पानी के औद्योगिक उपयोग

पानी का उपयोग पावर जनन में किया जाता है। जल विद्युत वह विद्युत होती है जो हाइड्रोपॉवर से प्राप्त होती है। जल विद्युत पैदा करने के लिए पानी के द्वारा एक टरबाइन को ड्राइव किया जाता है जो एक जनरेटर से जुड़ी होती है। यह विद्युत सस्ती होती है, प्रदूषण रहित होती है तथा इसे बिजली का नवीनीकृत साधन कहा जाता है। इसमें ऊर्जा पानी की गतिजता के द्वारा प्रदान की जाती है।

जल नियम-जल राजनीति और जल संकट

जल राजनीति वह राजनीति होती है जो जल एवं जल संसाधनों से प्रभावित होती है। इसके लिए पानी विश्व का योजनावद्ध संसाधन होता है तथा अनेक राजनैतिक संकटों का प्रमुख अवयव होता है। यह स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है तथा जैव विविधता को क्षति पहुँचाता है। 1990 तक विश्व की 1.6 बिलियन जनसंख्या को पीने योग्य पानी उपलब्ध था। विकासशील देशों में गणना के अनुसार लोगों को पीने योग्य पानी की उपलब्धता 1970 में 30% से 1990 में 71%, वर्ष 2000 में यह 79% तथा 2004 में यह 84% थी ऐसी आशा है कि यह सिलसिला चालू रहेगा।
धर्म और दर्शन शास्त्र अधिकांश धार्मिक अनुष्ठानों में पानी शुद्धिकारक के रूप में प्रयोग किया जाता है। प्राचीन ग्रीक दर्शनशास्त्रियों के अनुसार अग्नि, पृथ्वी, हवा के साथ पानी चौथा क्लासिकल अवयव अथवा ब्रह्माण्ड का मूल अवयव है पॉपुलर और पारंपरिक एशियाई पानी को रोल मॉडल के रूप में वर्णित किया गया है।

साहित्य में पानी की चर्चा

साहित्य में पानी का प्रयोग शुद्धता के सूचक के रूप में किया जाता है। इसके कुछ उदाहरण है “ऐज आई ले डाईंग" (विलियम फाकनेर के द्वारा) और "हेमलेट" साहित्यिक कृतियाँ।

संपर्क करें:- काली शंकर (रिटायर्ड वरिष्ठ वैज्ञानिक) इसरो K 1058, आशियाना कालोनी, कानपुर रोड़, लखनऊ-226012 (यू.पी.)

स्रोत- जल चेतना | खण्ड 6, अंक 2, जुलाई 2017

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Post By: Shivendra
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