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सामूहिक नाकामी है वायु प्रदूषण
जानना जरूरी है कि कितने एक्यूआई तक की हवा जीवन के लिए स्वच्छ स्वस्थ मानी जाती है। 50 एक्यूआई तक ही हवा अच्छी मानी जाती है। उसके बाद 51 से 100 एक्यूआई तक संतोषजनक मानी जाती है, और 101 से 200 एक्यूआई तक मध्यम। हमारी सरकारें तब जागती हैं, जब एक्यूआई 201 पार कर हवा खराब हो जाती है। जैसे-जैसे हवा बहुत खराब (301-400) और गंभीर (401-500) होती जाती है, सरकारी प्रतिबंध बढ़ने लगते हैं Posted on 08 Nov, 2023 12:28 PM

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली देश का दिल है। दिल की सेहत पर ही जीवन निर्भर करता है, लेकिन लगता नहीं कि दिल्लीवासियों की सेहत की किसी को चिंता है। हर साल सर्दियों की आहट के साथ ही दिल्लीवासियों की सांसों पर संकट शुरू होता है। धीरे-धीरे यह संकट पूरे एनसीआर में फैल जाता है, पर इससे निपटने के आधे-अधूरे सरकारी प्रयास भी तभी शुरू होते हैं, जब दम घुटने लगता है। इस संकट से निपटने के सतत प्रयास और दूरगामी नी

सामूहिक नाकामी है वायु प्रदूषण
बाहर से शांत दिखने वाला पहाड़ अंदर से कितना धधक रहा है
हम कोई वैज्ञानिक, भूगर्भवेत्ता नहीं हैं।सामान्य लोग हैं जिनका संपर्क कभी कुछ ऐसे लोगों से हुआ जो धरती और उसमें पनपे जीवन के बारे में बड़ी समझ रखते हैं।उन्होंने हमको बताया कि प्रकृति ने कोयला, लोहा, यूरेनियम, पेट्रोलियम जैसे खनिजों को पृथ्वी के अंदर डाला और तब उसकी ऊपरी सतह पर जीवन का निर्माण संभव हो पाया।" Posted on 08 Nov, 2023 11:17 AM

मनुष्य ने ऐसे खनिजों को धरती से खोदकर बाहर निकाल लिया है, जिसके कारण धरती पर जीवन की संभावना लगातार घट रही है।ऐसे ही जल विज्ञानी ने बताया कि नदी के नीचे तीन हिस्सा और ऊपर एक हिस्सा ही पानी बहता है।नदी की रेत खोदने से नदियां मरने लगती हैं।सरकार ने जब रेत खोदने के लिए प्रारंभिक अनुमति प्रदान की तो उन्होंने चुगान शब्द प्रयोग किया था।खनन आज का काम और लूट का नाम है।जो इतिहास और मानव सभ्यता के जानकर

बाहर से शांत दिखने वाला पहाड़ अंदर से कितना धधक रहा है
कितना सच है- यह मशीनरी या तकनीक भी है खलनायक
तकनीक हमारी जीवन शैली अविभाज्य हिस्सा बन गई है। इसके बिना जीवन की कल्पना असंभव है। उन्नत जीवन शैली, सूचना तंत्र तक त्वरित पहुंच, व्यावसायिक दक्षता में तेजी, शिक्षा संचार और परिवहन से लेकर स्वास्थ्य सेवा और कनेक्टिविटी इत्यादि क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी ने जीवन को बेहतर बनाया है। Posted on 07 Nov, 2023 02:32 PM

मानव विकास के ऐतिहासिक अनुक्रम में तकनीक प्रयोग, विकास और समाधान का प्रतीक है। मानव जीवन की भूत से वर्तमान तक की यात्रा में सर्वाधिक भूमिका प्रौद्योगिकी को रही है, किंतु धीरे-धीरे इसके कुनका प्रभाव जीवन के अनेक पहलुओं की नकारात्मक रूप से प्रभावित करने लगा है, प्रश्न उठना स्वाभाविक हैं कि तकनीक का उत्तरोत्तर विकास कितना उचित है, और कितना हानिकारक?

मशीनरी या तकनीक भी है खलनायक
पर्यावरण की समस्या, राजनैतिक ज्यादा
प्रदूषण की जड़ में हमारी जीवन शैली है, क्योंकि प्रकृति के पास अपने असंतुलन को ठीक कर प्रदूषण को नियंत्रित करने की क्षमता होती है पर उसकी प्रक्रिया को बाधित कर हम उसे अपना काम नहीं करने देते हैं। न ही उससे सीखते हैं कि एक का अपशिष्ट दूसरे के लिए संसाधन हैं। Posted on 07 Nov, 2023 12:58 PM

दीपावली के मौके पर रस्मी तौर पर वायु प्रदूषण को लेकर चिंतित होने की परंपरा रही है। क्योंकि दीपावली के बाद केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इसको लेकर आंकड़े जारी करता है, जिसमें कोशिश सरकार द्वारा वायु प्रदूषण को रोकने के उपायों को प्रभावी और सफल दिखाए जाने की होती है। आंकड़ों के लिहाज से दक्षिणी राज्यों की स्थिति बेहतर है, पर यह प्रकृति की मेहरबानी से ज्यादा सरकार की वजह से कम है। सरकार है तो जा

पर्यावरण की समस्या, राजनैतिक ज्यादा
जबरदस्त मानव संहारक पर्यावरण प्रदूषण स्मोक + फॉग = स्मॉग
धूल कण और विभिन्न गैसें वायु को प्रदूषित कर रही हैं। ओजोन, सल्फर और नाइट्रोजन के ऑक्साइड, मीठे पानी का प्रदूषण, पारा, नाइट्रोजन, फास्फोरस, प्लास्टिक और पेट्रोलियम अपशिष्ट से समुद्र का प्रदूषण और सीसा, पारा, कीटनाशकों, औद्योगिक रसायनों, इलेक्ट्रॉनिक कचरे और रेडियोधर्मी कचरे से भूमि जहरीली हो रही है। वास्तव में हम जिस वातावरण में रहते हैं, उसका हमारे स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है। घरेलू, कार्यस्थल और बाहरी वातावरण अलग-अलग तरह से स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा कर सकता है। Posted on 07 Nov, 2023 12:42 PM

दुनिया भर में विभिन्न कारणों से प्रदूषण का कहर बढ़ता जा रहा है। इनमें मानवीय कारण भी हैं, तो प्राकृतिक कारण भी हैं। विश्व की सबसे पुरानी स्वास्थ्य पत्रिकाओं में से एक 'द लैसेंट' की एक रिपोर्ट के अनुसार व सर्वाधिक आबादी वाले चीन और भारत प्रदूषण के कहर से सर्वाधिक प्रभावित हैं। चूंकि जनसंख्या के मामले में भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया है, तो प्रदूषण के काल ने भी चीन को पीछे छोड़ कर भारत को निशाने

स्मोक + फॉग = स्मॉग
प्रदूषण से मौतों का आंकड़ा भयावह
मनुष्य दिन भर में जो कुछ लेता है उसका 80 प्रतिशत भाग वायु है। प्रति दिन मनुष्य 22000 बार सांस लेता है। इस प्रकार प्रत्येक दिन वह 16 किलोग्राम या 35 गैलन वायु ग्रहण करता है। वायु विभिन्न गैसों का मिश्रण होती है, जिसमें नाइट्रोजन की मात्रा सर्वाधिक 78 प्रतिशत) होती है, जबकि 21 प्रतिशत ऑक्सीजन और 003 प्रतिशत कार्बन डाईऑक्साइड होता है त Posted on 07 Nov, 2023 12:25 PM

घरेलू और बाहरी प्रदूषण से भारत में हर साल 24 लाख लोगों की मौत होती है, जो दुनिया भर में होने वाली कुल मौतों का 30 प्रतिशत है। दरअसल, डब्ल्यूएचओ की ग्लोबल अर्बन एयर पॉल्यूशन रिपोर्ट में 108 देशों के 4300 शहरों से पीएम 10 और पीएम 2.5 के महीन कणों का डाटा तैयार किया गया है। इसके मुताबिक 2016 में पूरी दुनिया में सिर्फ वायु प्रदूषण से 42 लाख लोगों को मौत हुई है। वहीं खाना बनाने, फ्यूल और घरेलू उपकरण

प्रदूषण से मौतों का आंकड़ा भयावह
नदियों को बाजार की वस्तु बनाने की साजिश
भारतीय संस्कृति तो नदियों को पोषणकारी मां मानकर व्यवहार करती रही है। आज की शोषणकारी सभ्यता नदियों का इस्तेमाल उद्योगों के लिए मालगाड़ी की तरह करती है। नदियों को बाजार की बस्तु बनाने की साजिश दिखती है। इस साजिश को रोकना हमारे समय का सबसे जरूरी काम है। नदियों का अतिक्रमण, प्रदूषण और शोषण रोकने वाली नीतियां कभी नहीं बनीं। हमने नदी नीति तैयार की है। नदियों के लिए अगर कोई नीति हो, तो ऐसी होनी चाहिए Posted on 04 Nov, 2023 01:57 PM

भूमिका :

नदी सिर्फ बहते स्वच्छ जल की धारा नहीं है। यह एक परिपूर्ण जलतंत्र, भूआकृति, पारिस्थितिकी तंत्र और जैव-विविधता संपन्न व्यवस्था होती है। यह न केवल स्वच्छ जल का प्रवाह बनाए रखने में एक अहम भूमिका अदा करती है, बल्कि वृष्टिपात (वर्षा या हिमपात के जरिए), हिम संपदा (जिसमें ग्लेशियर भी शामिल हैं), सतही पानी और भूमिगत जल-भंडारों के बीच एक आवश्यक संतुलन बनाने का

नदियों को बाजार की वस्तु बनाने की साजिश
नमामि गंगे को संयुक्त राष्ट्र द्वारा शीर्ष 10 परियोजनाओं में रखने से जल विशेषज्ञ असहमत
संयुक्त राष्ट्र ने गंगा नदी को साफ करने के लिए नमामि गंगे परियोजना को दुनिया की दस अग्रणी पहलों में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया है, जो प्रकृति संरक्षण का काम कर रहे हैं। लेकिन जल विशेषज्ञ संयुक्त राष्ट्र की इस मान्यता से प्रभावित नहीं हैं, उनका कहना है कि एजेंसी ने इस परियोजना को इस सूची में रखने के लिए आवश्यक मानदंडों के बारे में विवरण नहीं दिया है। इसके अलावा, पिछले कुछ वर्षों में किए गए कई अध्ययनों से पता चला है कि इस तरह की कई परियोजनाओं के बावजूद गंगा में पानी की गुणवत्ता खराब बनी हुई है। Posted on 04 Nov, 2023 01:47 PM

संयुक्त राष्ट्र ने 13 दिसंबर को भारत की राष्ट्रीय नदी गंगा का प्रदूषण साफ़ करने वाली भारत सरकार की नमामि गंगे परियोजना को दुनिया की दस ऐसी अग्रणी पहलों में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया है, जो प्रकृति के संरक्षण के काम में लगी हुई हैं।यह मान्यता ऐसे समय में आई है, जब पिछले कुछ वर्षों में किए गए कई अध्ययनों से पता चला है कि गंगा में पानी की गुणवत्ता अभी भी खराब है और इस मुद्दे से निपटने के लिए

नमामि गंगे को संयुक्त राष्ट्र द्वारा शीर्ष 10 परियोजनाओं में रखने से जल विशेषज्ञ असहमत,Pc-सर्वोदय जगत
ई-मोबिलिटी क्षेत्र में करियर (E-Mobility Jobs In Hindi)
 विकसित हो रहे मोबिलिटी क्षेत्र में कुशल लोगों की कमी को देखते हुए कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय के अधीन कार्यरत ईएसएससीआई विभिन्न ट्रेनिंग पार्टनर्स के जरिये युवाओं को प्रशिक्षित कर इंडस्ट्री के लिए तैयार कर रहा है। विभिन्न इंडस्ट्री पार्टनर्स के साथ मिलकर ई-मोबिलिटी सेक्टर के लिए करिकुलम डिजाइन किए गए हैं.. Posted on 01 Nov, 2023 04:07 PM

सतत विकास और नवाचार के युग में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में ई-मोबिलिटी सेक्टर एक बदलाव लेकर आया है। अब पुराने डीजल/पेट्रोल इंजन की जगह अब इलेक्ट्रिक वाहन इस्तेमाल होने लगे हैं। पर्यावरण को लेकर जागरूकता और सस्ते होते इलेक्ट्रिक वाहनों की वजह से अब इस क्षेत्र में करियर के नए अवसर खुले हैं। इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए उचित प्रशिक्षण की आवश्यकता है। भारत सरकार के कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय

ई-मोबिलिटी क्षेत्र में करियर
भूकंप इंजीनियरिंग से बनाएं अपना सुनहरा कल(Earthquake Engineering Jobs in Hindi)
भूकंप वैज्ञानिकों का काम भूकंपीय घटनाओं की उत्पत्ति, प्रकार और माप को जानने का होता है ताकि उनका उपयोग विभिन्न संस्थाओं द्वारा किया जा सके। भूकंप विज्ञान और भूकंप इंजीनियरिंग परस्पर सम्बद्ध क्षेत्र हैं, जिनमें भूकंप वैज्ञानिकों के अलावा कंप्यूटर, भौतिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार और सिविल और संरचना इंजीनियरिंग में पेशेवर तकनीकी कर्मी भी होते हैं। भूकंपों के प्रभावों से सुरक्षा प्रदान करने के मुद्दे पर काम करने वाले लोगों में से एक हैं भूकंप इंजीनियर, जिनका काम है कि वे नए इमारतों का निर्माण करते समय भूकंप प्रतिरोधी सुविधाओं का होना सुनिश्चित करें। उनका काम दो पहलुओं से सम्बन्धित है Posted on 01 Nov, 2023 02:14 PM

भूकंप विज्ञान एक नया वैज्ञानिक विषय है जो धरती के कंपनों का अध्ययन करती है। लोगों का भूकंपों से जुड़ा ज्ञान प्राचीन काल से ही है, परंतु अध्ययन विषय पर भूकंप विज्ञान का इतिहास 100 वर्ष पुराना है  भूकंप तरंगों का मापन करने के लिए सिस्मोमीटर का आविष्कार इसका प्रारंभिक चरण माना जाता है। 20वीं सदी में भूकंप विज्ञान में काफी प्रगति हुई और इसमें धरती के गहराई में होने वाले प्रक्रियाओं का समावेश हुआ। भ

भूकंप इंजीनियरिंग से बनाएं अपना सुनहरा कल
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