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दुष्काल, अकाल, सूखा सबके जिम्मेवार हम ही
Posted on 29 Aug, 2009 09:42 AM

आने वाले 15 वर्षों में भारत के खाद्यान्न का कटोरा अर्थात पंजाब और हरियाणा सूखाग्रस्त हो जाएंगे। वहां की धरती में सिंचाई के लिए पानी नहीं रह जाएगा। केंद्रीय भूमिगत जल बोर्ड की 2007 में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार 2025 में सिंचाई के लिए भूमिगत जल उपलब्धता ऋणात्मक हो जाएगी। उदाहरण के लिए पंजाब में जितना जल जमीन में समाता है उससे 45 प्रतिशत अधिक जल खींच लिया जाता है।
शेखर गुप्ता जी ऐसे तथ्य क्यों भूल जाते हैं?
Posted on 28 Aug, 2009 02:47 PM (शेखर गुप्ता का मूल लेख देखें)

भारतीय पत्रकारिता के क्षेत्र में शेखर गुप्ता एक बड़ा नाम है। अच्छी पत्रकारिता के बुनियादी सिद्धांतों में से एक होता है कि तथ्यों से छेड़खानी ना हो। इसलिए शेखर से एक तो उम्मीद थी कि जब वे अपने बहस में बड़े बांधों और नदी जोड़ योजना के पक्ष में तर्क दे रहे हैं तो वे तथ्यों के प्रति दृढ़ रहें

एक और हरित क्रांति
Posted on 28 Aug, 2009 02:20 PM (लेख पर हिमांशु ठक्कर की प्रतिकिया)

यदि सूखे की आशंका आपको खाए जा रही है तो एक काम कीजिए। दिल्ली से उत्तर में आप जितनी दूर जा सकते हैं, ड्राइव करते हुए चले जाइए। शिमला जाइए, चंडीगढ़ जाइए या फिर अमृतसर, लेकिन सड़क मार्ग से जाइए, उड़कर नहीं। ऐसा इसलिए क्योंकि एक सुखद आश्चर्य आपका इंतजार कर रहा

सबको रोजी-रोटी दे सकती है नरेगा
Posted on 26 Aug, 2009 08:07 PM
हमारे नए बजट में 39,000 करोड रुपए का नरेगा योजना पर सालाना खर्च करना निश्चित हुआ है। सवा करोड बेरोजगारों को रोजगार देना है। इस पूरी धनराशि को हम केवल जल संरक्षण कार्यों हेतु खर्च करे। निजी-साझी-सरकारी भूमि के मालिकाना विचार को भूल कर वर्षा जल सहेज कर भूमि में नमी बढ़ाने या बाढ़ के जल को उपर पहाड पर ही रोक कर कार्य किया जाए। यह कार्य राज-समाज मिलकर, जल से जुडक़र ही करें।
पेयजल की गुणवत्ता हेतु डब्लूएचओ के दिशानिर्देश (तीसरा संस्करण)
Posted on 24 Aug, 2009 02:48 PM

विभिन्न विकसित और विकासशील देशों द्वारा पीने के पानी हेतु डब्लूएचओ के दिशानिर्देशों (पहले और दूसरे संस्करण) का उपयोग, विभिन्न प्रकार के नियमों और मानक तय करने के लिये किया जा रहा है। और अब तो बड़ी संख्या में रासायनिक खतरों को देखते हुए जल की माइक्रोबियल सुरक्षा और दिशानिर्देशों का सही पालन करना बहुत ही आवश्यक हो चला है। हाल ही में जारी डब्लूएचओ के दिशानिर्देशों के तीसरे संस्करण में तेज विकास
देश का पर्यावरण बिगड़ रहा है
Posted on 20 Aug, 2009 09:03 AM

आठ साल बाद भारत सरकार द्वारा जारी स्टेट आफ द इन्वायरमेन्ट रिपोर्ट-2009 में कहा गया है कि देश का पर्यावरण बुरी तरह से बिगड़ रहा है. हवा, पानी और जमीन तीनों ही खतरनाक रूप से प्रदूषित हो रहे हैं.
भीषण सूखा
Posted on 16 Aug, 2009 07:33 AM


नई दिल्ली। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय मंत्रिस्तरीय समूह (जीओएम) के गठन के साथ ही सरकार ने एक तरह से देश में सूखे का ऎलान कर दिया है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक देश दो दशक के सबसे भीषण सूखे से गुजर रहा है। गम्भीर हालात के मद्देनजर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 17 अगस्त सोमवार को मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई है।

 

सूखे की मार
Posted on 14 Aug, 2009 07:39 PM
देश के एक बड़े हिस्से पर सूखे की काली छाया मंडरा रही है। बारिश का मौसम आधा बीतने के बाद ऎसा लग रहा है कि मानसून की समाप्ति सूखे के साथ होगी। समूचे देश में जून में आम तौर पर जितनी बारिश होती है, उसकी आधी ही इस बार हुई। गनीमत रही कि जुलाई में औसत से कुछ ही कम बारिश हुई। अगस्त में अब तक बारिश न के बराबर हुई है। उम्मीद की किरण है कि 15 अगस्त के बाद शायद अच्छी बारिश हो जाए। लेकिन यदि ऎसा नहीं हुआ, तो क
भारत के जल भण्डार तेजी से सिकुड़ रहे हैं…नासा की एक रिपोर्ट
Posted on 14 Aug, 2009 05:51 PM
अमेरिकी संस्था नासा ने चिंताजनक शोध जारी किया है. शोध यह है कि पिछले एक दशक के दौरान समूचे उत्तर भारत में हर साल औसतन भूजल स्तर एक फुट नीचे गिरा है. इस शोध का चिंताजनक पहलू यह तो है कि भूजल स्तर गिरा है लेकिन उससे अधिक चिंताजनक पहलू यह है कि इसके लिए सामान्य मानवीय गतिविधियों को जिम्मेदार बताया जा रहा है.
खाली होती धरती की गागर
Posted on 14 Aug, 2009 09:02 AM
- ग्राउंड वॉटर लेवल में यह कमी हर 3 साल पर एक मीटर या हर साल एक फुट की हो रही है।
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