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गंगा की 7,000 करोड़ से होगी सफाई
Posted on 29 Apr, 2011 11:13 AM नई दिल्ली। गंगा नदी की सफाई के लिए 7,000 करोड़ रुपए की परियोजना मंजूर की गई है। इसे राष्ट्रीय गंगा नदी घाटी प्राधिकरण लागू करेगा। इसमें 5,100 करोड़ रुपए केंद्र सरकार और शेष 1,900 करोड़ रुपए उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल की राज्य सरकारें वहन करेंगी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में इसे मंजूरी दी गई। विश्व बैं
जुर्माना भरने का नया कॉरपोरेट पाठ
Posted on 28 Apr, 2011 12:25 PM

लवासा परियोजना के संबंध में पर्यावरण मंत्रालय की हालिया पेशकश कि जुर्माना अदायगी के साथ कंपनी अपने काम को चालू रख सकती है, भारतीय राजनीति के कॉरपोरेट गठजोड़ को नए सिरे से रेखांकित करती है। यह पेशकश अपने में नायाब है। मंत्रालय का स्पष्ट मानना है कि इस परियोजना में नियमों की अनदेखी की गई है और इस बयान से ठीक पहले तक जयराम रमेश कई बार लवासा में तत्काल काम रोकने का फ़रमान सुना चुके थे। हाल के दिनों

महिलायें, पानी और पानी का अधिकार
Posted on 28 Apr, 2011 09:03 AM

पानी की समस्या कोई नई नहीं है। हर साल गर्मियों में काफी मंथन किया जाता है जो आमतौर पर मानसून के भारत में प्रवेश के साथ खत्म हो जाता है। अगर हम परिवार या समाज को एक इकाई मानें तो सबसे अधिक पानी की कमी होने की मार किस पर पड़ती है या कहें कि पानी की कमी होने पर सबसे अधिक प्रभावित कौन होता है? पानी की कमी से सबसे अधिक प्रभावित होने वाला वर्ग है समाज की महिलायें।

यमुना
Posted on 26 Apr, 2011 09:52 AM

कहा जाता है कि पहले यमुना घग्गर की सहायक नदी थी। इसे वैदिक सरस्वती के नाम से भी जाना जाता था। इसे सप्त सिन्धु सात झरने, स्रोत भी कहते थे एक बड़ी प्राकृतिक घटना (टेक्टोनिक) में यमुना ने रास्ता बदला और यह गंगा की सहायक नदी बन गई। आज गंगा-यमुना का व्यापक विशाल क्षेत्र है।

यमुना को यमी नाम से जाना जाता है। यमुना, जमुना, जुमना, जमना आदि नाम से भी इसी पुकारते हैं। कालिंद पर्वत से निकलने के कारण इसको कालिंदी भी कहा जाता है। इसका पानी नीला, श्यामल है जो काला दिखता है। इसलिए भी इसे कालिंदी कहते हैं। यमुना के पिता तेजस्वी सूर्य भगवान तथा माता विश्वकर्मा की पुत्री ‘संजना’ है। यमुना सूर्यवंशी हैं तथा इसका भाई यम मौत का देवता है। यमुना और यम दोनों भाई बहनों में अगाध, प्रगाढ़ प्रेम रहा है। इसका एक कारण यह भी माना जाता है कि माता संजना अपने पति तेजस्वी सूर्य का तेज बर्दाश्त नहीं कर पा सकीं इसलिए अपनी छाया पैदा करके स्वयं दूर चली गई। ऐसे में दोनों भाई-बहनों ने एक दूसरे का खूब ख्याल रखा तथा परस्पर इनका प्रेम और प्रगाढ़ हो गया। यमुना बहन और यम भाई के परस्पर प्रगाढ़ प्रेम की याद में ही“भैया दूज” का पर्व, त्यौहार, उत्सव मनाया जाता है।
पानी के अंदर की प्रकाशिकी
Posted on 25 Apr, 2011 09:32 AM

उद्देश्य : लेंस के बाहर के माध्यम का उसकी फोकस दूरी पर प्रभाव देखना।

उपकरण : दो लेसर टॉर्च, एक लंबी ट्रे ;लगभग 30 सेन्टीमीटरध्द, 10 सेन्टीमीटर या उससे कम फोकस दूरी वाला एक उत्ताल लेंस।

पानी को ठंडा करते हुए उबालना
Posted on 25 Apr, 2011 09:22 AM

उद्देश्य : द्रव की सतह के ऊपर घटते दबाव के साथ क्वथनांक; बॉयलिंग प्वाइंट के घट जाने के तथ्य का प्रदर्शन।

उपकरण : एक हीटर, कसकर डाट लगने वाला एक शंक्वाकार फ्लास्क।

पानी पर तैरे पानी
Posted on 25 Apr, 2011 09:20 AM

भूमिका हम तरह-तरह की घटनाएँ रसोईघर में देखते हैं । जैसे कि तेल का पानी पर तैरना व एक ही प्रकार के द्रवों का एक दूसरे में मिल जाना । पानी में थोड़ा सा दूध डालने पर दूध पूरे पानी में मिश्रित हो जाता है और पूरे पानी को सफेद कर देता है । इसी प्रकार पानी से भरे गिलास में स्याही की कुछ बूँद डालने पर वह पूरे पानी को रंगीन कर देती है । लेकिन क्या ऐसा हो सकता है कि स्याही की कुछ बूँदें पानी के सि

भोजन में मीठा जहर
Posted on 23 Apr, 2011 01:00 PM

फसलों में कीटनाशकों के इस्तेमाल की एक निश्चित मात्रा तय कर देनी चाहिए, जो स्वास्थ्य पर विपरीत असर न डालती हो। मगर सवाल यह भी है कि क्या किसान इस पर अमल करेंगे। 2005 में सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) ने केंद्रीय प्रदूषण निगरानी प्रयोगशाला के साथ मिलकर एक अध्ययन किया था। इसकी रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी स्टैंडर्ड (सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन) के मुकाबले पंजाब में उगाई गई फसलों में कीटनाशकों की मात्रा 15 से लेकर 605 गुना ज्यादा पाई गई।

देश की एक बड़ी आबादी धीमा जहर खाने को मजबूर है, क्योंकि उसके पास इसके अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है। हम बात कर रहे हैं भोजन के साथ लिए जा रहे उस धीमे जहर की, जो सिंचाई जल और कीटनाशकों के जरिए अनाज, सब्जियों और फलों में शामिल हो चुका है। देश के उत्तर-पूर्वी राज्यों में आर्सेनिक सिंचाई जल के माध्यम से फसलों को जहरीला बना रहा है। यहां भू-जल से सिंचित खेतों में पैदा होने वाले धान में आर्सेनिक की इतनी मात्रा पाई गई है, जो मानव शरीर को नुकसान पहुंचाने के लिए काफी है। इतना ही नहीं, देश में नदियों के किनारे उगाई जाने वाली फसलों में भी जहरीले रसायन पाए गए हैं। यह किसी से छुपा नहीं है कि हमारे देश की नदियां कितनी प्रदूषित हैं। कारखानों से निकलने वाले कचरे और शहरों की गंदगी को नदियों में बहा दिया जाता है, जिससे इनका पानी अत्यंत प्रदूषित हो गया है।

यमुना में पानी छोड़े जाने तक धरना चलता रहेगा
Posted on 23 Apr, 2011 11:28 AM आज 22 अप्रैल 2011 तक भी जंतर-मंतर (नई दिल्ली) में यमुना में जल छोड़े जाने की मांग को लेकर भाकियू (भानू) तथा साधू-संतों का धरना चालू है। धरना स्थल पर पंचायत में घोषणा की गई कि प्रदेश के विभिन्न जनपदों के किसानों को तुरंत दिल्ली आने की अपील की गई है। उल्लेखनीय है कि कल शाम जंतर-मंतर पर ग्रामीण राज्य मंत्री श्री प्रदीप जैन के लिखित आश्वासन पर पानी छोड़ने की प्रक्रिया के वास्ते यमुना आन्दोलन के प्रतिन
रासायनिक खेती: पैरों से व्हीलचेयर तक का सफर
Posted on 22 Apr, 2011 01:22 PM

‘लोक लहर फाउन्डेशन’ ने गांवों के बच्चों को चण्डीगढ़ प्रेस क्लब के सामने प्रस्तुत किया था। यह ब

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