रमेश शर्मा

रमेश शर्मा
सभ्यता और संघर्ष की कहानी है नर्मदा
Posted on 28 Jul, 2011 07:26 PM
मध्यप्रदेश की जीवन रेखा मानी जाने वाली नर्मदा गंगा से भी प्राचीन नदी है। भारतीय पुराण परंपरा में विषयों का वर्णन करने की एक शैली है। यह नर्मदा की महत्ता और उसके स्थायी भाव की ही विशेषता है कि नर्मदा का वर्णन न केवल पुराण में है, बल्कि अलग से ‘नर्मदा पुराण’ उपलब्ध है। भारत की किसी भी नदी पर अलग से पुराण रचना नहीं हुई। पुराण परंपरा में पवित्र या पवित्रतम स्वरूप नर्मदा का शास्त्रीय या आध्यात्म
नर्मदा नदी
यमुना
Posted on 26 Apr, 2011 09:52 AM

कहा जाता है कि पहले यमुना घग्गर की सहायक नदी थी। इसे वैदिक सरस्वती के नाम से भी जाना जाता था। इसे सप्त सिन्धु सात झरने, स्रोत भी कहते थे एक बड़ी प्राकृतिक घटना (टेक्टोनिक) में यमुना ने रास्ता बदला और यह गंगा की सहायक नदी बन गई। आज गंगा-यमुना का व्यापक विशाल क्षेत्र है।

यमुना को यमी नाम से जाना जाता है। यमुना, जमुना, जुमना, जमना आदि नाम से भी इसी पुकारते हैं। कालिंद पर्वत से निकलने के कारण इसको कालिंदी भी कहा जाता है। इसका पानी नीला, श्यामल है जो काला दिखता है। इसलिए भी इसे कालिंदी कहते हैं। यमुना के पिता तेजस्वी सूर्य भगवान तथा माता विश्वकर्मा की पुत्री ‘संजना’ है। यमुना सूर्यवंशी हैं तथा इसका भाई यम मौत का देवता है। यमुना और यम दोनों भाई बहनों में अगाध, प्रगाढ़ प्रेम रहा है। इसका एक कारण यह भी माना जाता है कि माता संजना अपने पति तेजस्वी सूर्य का तेज बर्दाश्त नहीं कर पा सकीं इसलिए अपनी छाया पैदा करके स्वयं दूर चली गई। ऐसे में दोनों भाई-बहनों ने एक दूसरे का खूब ख्याल रखा तथा परस्पर इनका प्रेम और प्रगाढ़ हो गया। यमुना बहन और यम भाई के परस्पर प्रगाढ़ प्रेम की याद में ही“भैया दूज” का पर्व, त्यौहार, उत्सव मनाया जाता है।
कालाहाण्डी की एक रानी बचाती पानी
Posted on 10 May, 2010 09:22 AM

मुझे हमेशा यह बात चुभती थी कि क्षेत्र के किसान सिर्फ एक फसल ही ले पाते हैं जबकि दूसरे इलाकों में दोहरी फसल ली जाती है। फिर इधर भुखमरी और बदहाली की निरंतर उठती खबरों ने भी मुझे काफी परेशान किया। मुझे लगा कि इस समस्या का समाधान खेतों में ही निकलेगा।

पश्चिमी उड़ीसा के कालाहांडी अंचल में भुखमरी की एक अहम वजह पानी की किल्लत भी मानी जाती है। इलाके के राजपरिवार ने अब इस दिशा में कुछ सार्थक प्रयास शुरू किये हैं जिनकी कामयाबी साबित करती है कि इस तरह की देसी तकनीक को सरकारी स्तर पर बढ़ावा दिया जाए तो कभी अनावृष्टि और कभी अतिवृष्टि का कोपभाजन बनने वाले इलाकाई किसानों को दोहरी फसल का भी लाभ मिल सकता है।

कालाहांडी क्षेत्र का एक कस्बा राजाखरियार है। यहां एक राजपरिवार का प्राचीन महल है। जिसकी महारानी राजश्री देवी महल से बाहर निकल कर अपनी रियाया की तकलीफों का स्थानीय समाधान ढूंढने में जुटी हैं।

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