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स्वच्छ वातावरण के लिए एन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग
Posted on 22 Jul, 2013 03:19 PM एक प्रशिक्षित एन्वायरमेंटल इंजीनियर से यह अपेक्षा की जाती है कि वह बेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम को इस तरह डिजाइन, कन्सट्रक्ट और मेंटेन करे, ताकि ग्रामीण और शहरी इलाकों में रहने वाले लोग स्वस्थ्य जीवन जी सकें।
निशीथ नदी
Posted on 22 Jul, 2013 12:17 PM विमल व्योम में तारा-पुंज प्रकट हो करके
नीरव अभिनय कहो कर रहे हैं ये कैसा
प्रेमी के दृगतारा से ये निर्निमेष हैं
देख रहे से रूप अलौकिक सुंदर किसका
दिशा, धरा, तरु-राजि सभी ये चिंतित से हैं।
शांत पवन स्वर्गीय स्पर्श से सुख देता है
दुखी हृदय में प्रिय-प्रतीति की विमल विभा सी
तारा-ज्योति मिली है तम में, कुछ प्रकाश है
कूल युगल में देखो कैसी यह सरिता है
कुंज कुटीरे यमुना तीरे
Posted on 22 Jul, 2013 12:14 PM पगली तेरा ठाट! किया है रतनांबर परिधान,
अपने काबू नहीं, और यह सत्याचरण विधान!

उन्मादक मीठे सपने ये, ये न अधिक अब ठहरें,
साक्षी न हों, न्याय-मंदिर में कालिंदी की लहरें।

डोर खींच, मत शोर मचा, मत बहक, लगा मत जोर,
माँझी, थाह देखकर आ तू मानस तट की ओर।

कौन गा उठा? अरे! करे क्यों ये पुतलियाँ अधीर?
इसी कैद के बंदी हैं वे श्यामल-गौर-शरीर।
इकोमार्क
Posted on 21 Jul, 2013 12:18 PM इकोमार्कसरकारी स्तर पर ‘एगमार्क’ और ‘आईएसआई’ के मार्का लगे उत्पाद वस्तु की उत्कृष्टता और प्रामाणिकता का मानक होते हैं। वस्तुओं और उत्पादनों पर एक नया चिन्ह इकोमार्क भी जरूरी हो गया
कैसा भोजन पसंद करेंगे जनाब
Posted on 21 Jul, 2013 08:31 AM भोजन के माध्यम से कीटनाशकों से संपर्क कई जीर्ण बीमारियों को जन्म देता है। सबसे बढ़िया तरीका तो यह होगा कि हम अपनी थाली को देखें- यह हिसाब लगाएं कि हम क्या और कितना खा रहे हैं- ताकि यह पक्का कर सकें कि कीटनाशकों की सुरक्षित सीमा निर्धारित की जा सके। पोषण प्राप्त करने के लिए हमें थोड़ा जहर तो निगलना होगा मगर इसे स्वीकार्य सीमा में कैसे रखा जा सकता है? इसका मतलब है कि सारे खाद्य पदार्थों के लिए कीटनाशकों के सुरक्षित स्तर के मानक तय करने होंगे। मेरा स्थानीय सब्जीवाला पॉलीथीन की थैलियों में नींबू पैक करके बेचता है। मैं सोचने लगी कि क्या यह खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता के बेहतर मानकों का द्योतक है। आखिर हम जब प्रोसेस्ड फूड की अमीर दुनिया के किसी सुपर मार्केट में जाते हैं, तो नजर आता है कि सारे खाद्य पदार्थ सफाई से पैक किए गए हैं ताकि मनुष्य के हाथ लगने से कोई गंदगी न हो। फिर खाद्य निरीक्षकों की पूरी फौज होती है, जो प्रोसेसिंग कारखाने से लेकर रेस्टोरेंट में परोसे जाने तक हर चीज की जांच करती है। उसूल साफ है: खाद्य सुरक्षा के प्रति जितनी ज्यादा चिंता होगी, क्वालिटी भी उतनी ही अच्छी होगी और परिणाम यह होगा कि इसे लागू करने की कीमत भी उतनी ही ज्यादा होगी। धीरे-धीरे, मगर निश्चित रूप से छोटे उत्पादक बाहर धकेल दिए जाते हैं। भोजन का कारोबार ऐसे ही चलता है। मगर क्या सुरक्षित भोजन का यह मॉडल भारत के लिए ठीक है? यह तो पक्की बात है कि हमें सुरक्षित भोजन चाहिए।
भारतीय लोक-साहित्य और मानसून
Posted on 20 Jul, 2013 02:35 PM बादललोक-साहित्य ‘लोक’ और ‘साहित्य’ दो शब्दों से मिलाकर बना है जिसका शाब्दिक अर्थ लोक का साहित्य है।
बारिश में आपदाओं से बचाव
Posted on 20 Jul, 2013 10:24 AM अमरीका में तड़ित झंझा की घटनाएं अधिक होती है। यहां के फ्लोरिडा शहर को ‘विश्व की तड़ित झंझा राजधानी के नाम से भी जाना जाता है। हमा
ये नदियाँ कुछ गातीं
Posted on 19 Jul, 2013 11:58 AM गिरि, मैदान, नगर, निर्जन में एक भाव में मातीं।
सरल कुटिल अति तरल मृदुल गति से बहु रूप दिखातीं।
अस्थिर समय समान प्रवाहितये नदियाँ कुछ गातीं।
चली कहाँ से, कहाँ जा रहीं, क्यों आईं, क्यों जातीं?

इन्हें देखकर क्यों न लोग आश्चर्य प्रकट करते हैं।
इनके दर्शन से निज मन का कष्ट न क्यों हरते हैं?
जहाँ लता तृण में हैं केवल झाग प्रतिष्ठा पाते।
महानदी -2
Posted on 19 Jul, 2013 11:52 AM कर रहे महानदी! इस भाँति करुण-क्रंदन क्यों तेरे प्राण?
देख तव कातरता यह आज, दया होती है मुझे महान्।
विगत-वैभव की अपने आज, हुई क्या तुझे अचानक याद?
दीनता पर या अपनी तुझे, हो रहा है आंतरिक विषाद?

सोचकर या प्रभुत्व-मद-जात, कुटिलता-मय निज कार्य-कलाप।
धर्म-भय से कंपित-हृदय, कर रही है क्यों परिताप?
न कहती तू अपना कुछ हाल, ठहरती नहीं जरा तू आज।
महानदी-1
Posted on 19 Jul, 2013 11:49 AM कितना सुंदर और मनोहर, महानदी यह तेरा रूप
कलकल मय निर्मल जलधारा; लहरों की है छटा अनूप
तुझे देखकर शैशव की हैं स्मृतियाँ उर में उठती जाग
लेता है कैशोर काल का, अँगड़ाई अल्हड़ अनुराग
सिकता मय अंचल में तेरे बाल सखाओं सहित समोद
मुक्तहास परिहास युक्त कलक्रीड़ा कौतुक विविध विनोद
नीर-तीर वानीर निकट वह सैकत सौधों का निर्माण
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