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पुंछ त्रासदी: बरसों तक दुहराई जाएगी यह कथा
Posted on 02 Oct, 2014 11:21 AM

सितंबर के शुरुआत में जब जम्मू कश्मीर में बारिश शुरु हुई तो किसी ने यह अंदाजा भी नहीं लगाया होगा कि चंद दिनों में ही यह पूरा राज्य उस स्थिति का गवाह बनेगा जो पिछले 6 दशकों में किसी भी पीढ़ी ने नहीं देखा। जम्मू कश्मीर में आई बाढ़ अपने साथ तबाही और बर्बादी का वह मजंर लेकर आई है जिसके निशान शायद दशकों तक न तो जमीन से मिटेंगे और न तो लोगों के दिलों से। इस बाढ़ की

Flood
‘स्वच्छ भारत मिशन (2014-19)’ के महाअभियान का शपथपत्र 2, अक्तूबर, 2014
Posted on 02 Oct, 2014 11:02 AM

स्वच्छता शपथ


महात्मा गांधी ने जिस भारत का सपना देखा था उसमें सिर्फ राजनैतिक आजादी ही नहीं थी, बल्कि एक स्वच्छ एवं विकसित देश की कल्पना भी थी। महात्मा गांधी ने गुलामी की जंजीरों को तोड़कर मां भारती को आजाद कराया। अब हमारा कर्त्तव्य है कि गंदगी को दूर करके भारत माता की सेवा करें। मैं शपथ लेता हूं कि मैं स्वयं स्वच्छता के प्रति सजग रहूंगा और उसके लिए समय दूंगा।

हर वर्ष 100 घंटे यानि हर सप्ताह 2 घंटे श्रमदान कर के स्वच्छता के इस संकल्प को चरितार्थ करूंगा। मैं न गंदगी करूंगा न किसी और को करने दूंगा। सबसे पहले मैं स्वयं से, मेरे परिवार से, मेरे मुहल्ले से, मेरे गांव से एवं मेरे कार्यस्थल से शुरुआत करूंगा।
स्वच्छता अभियान के साथ कचरा प्रबंधन भी जरूरी है
Posted on 02 Oct, 2014 10:24 AM

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2 अक्तूबर को गांधी जयंती के मौके पर स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत कर रहे हैं। इस मौके पर वह देशवासियों को स्वच्छता की शपथ भी दिलाएंगे। शपथ की कुछ पंक्तियां इस प्रकार हैं, महात्मा गांधी ने एक ऐसे भारत का सपना देखा था, जो न केवल स्वतंत्र बल्कि साफ सुथरा और विकसित हो, अब यह हमारा कर्तव्य है कि हम देश को साफ सुथरा रखकर भारत माता की सेवा करें.....मैं स्वच्छता के प्रति समर्पित रहूंगा और इसकी खातिर समय दूंगा.......न मैं गंदगी फैलाऊंगा और न किसी को फैलाने दूंगा।

गांधी जी का सफाई पर बहुत जोर था वह इसके लिए किसी का इंतजार नहीं करते थे बल्कि खुद साफ-सफाई के काम में जुट जाते थे। अपने आश्रम में शौचालय भी वह स्वयं ही साफ करते थे। उनका यह वाक्य बहुत मशहूर हुआ था कि ‘‘अगर उन्हें भारत का लाट साहब बना दिया जाए तो वह सबसे पहले वाल्मीकि समुदाय की गंदी बस्तियों को साफ करना पसंद करेंगे।’’ सफाई से उनका यह मतलब बिल्कुल नहीं था कि कचरा एक जगह से दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया जाए। बल्कि उनके लिए सफाई का अर्थ कचरे का निपटान और उसका सही उपयोग था।

Sanitation
वन्यजीवन और सामाजिक संघर्षों का अंतर्संबंध
Posted on 27 Sep, 2014 09:43 AM वनों व जलस्रोतों में घटती जैवविविधता अब सामाजिक संघर्ष का कारण बनती जा रही है। मानव आबादी का बड़ा हिस्सा समुद्रों, नदियों अन्य जलस्रोतों व वनों पर न केवल अपनी आजीविका के लिए बल्कि पोषण के लिए भी निर्भर है। भारत की स्थिति भी इससे पृथक नहीं है। प्रस्तुत आलेख यूं तो दक्षिण-पूर्व एशिया एवं अफ्रीका पर केन्द्रित है लेकिन हमारे यहां की परिस्थितियां भी इतनी ही बदतर हैं। आधुनिक विकास के पैरोकार प्रत्येक
ड्रैगन जैसा न हो भारत का विकास
Posted on 26 Sep, 2014 03:58 PM निवेशक हमेशा मुनाफे के लिए ही निवेश करता है, वह चाहे अमेरिका हो या चीन। वैसे ही इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि निवेशकों में होड़ तभी होती है, जब निवेश करना सुरक्षित हो और पर्याप्त मुनाफे की गारंटी। संभवतः इस दृष्टि से दुनिया आज भारत केे सबसे मुफीद देशों में से एक है। निर्णय लेने और उसे लागू कराने में सक्षम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की छवि, निस्संदेह निवेशकों को आकर्षित करने में सक्षम है। यह होड़ इसीलिए मची हुई है। हम चूंकि निवेश के भूखे राष्ट्र हैं इसलिए इस होड़ को लेकर हम अंदर-बाहर तक गदगद होते रहते हैं। हमारे प्रधानमंत्री हमारी इस भूख के इंतजाम करने में सफल भी दिखाई दे रहे हैं।

द्विपक्षीय शर्तों पर सहमति बनें


हम खुश हों कि अगले पांच साल में 100 अरब डॉलर के चीनी निवेश से सुविधा संपन्न रेलवे स्टेशन, रेलवे ट्रैक के विस्तार, तीव्र गति रेलगाड़ियों और अधिक औद्योगिक पार्क की हमारी भूख मिटेगी।
<i>तिब्बत में परमाणु कचरा</i>
बाढ़ की उल्टी गंगा
Posted on 26 Sep, 2014 03:50 PM
.बिहार, आसाम, बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश ये मुख्यतः बाढ़ के इलाके जाने जाते हैं। परंतु पिछले कुछ वर्षों से प्रकृति ने बाढ़ के संदर्भ में ‘उल्टी गंगा बहना’ मुहावरे को साकार कर दिया है। इस वर्ष राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में हुई बारिश ने तबाही मचा दी है। आश्चर्य तो यह है कि कुछ दिनों पहले इन इलाकों से पानी की कमी की खबरें आ रहीं थीं।

महाराष्ट्र को तो इस बार बाढ़ की प्राकृतिक विपदा रह-रहकर झेलनी पड़ी। राजस्थान में प्रत्येक साल जहां बूंद-बूंद के लिए लोग तरसते रहते हैं, वहीं इस बार प्रकृति ने उसे भी एक नए तरह की या यूं कहिये पारिस्थितिकी तंत्र में आ रहे जबरदस्त बदलाव से अनायास आए इस तरह की विपदा को झेलने की तैयारी की चेतावनी दे दी है।
<i>राजस्थान में बाढ़</i>
सिंचाई में नहीं होगा पीने का पानी बर्बाद
Posted on 25 Sep, 2014 10:32 AM

दिल्ली जल बोर्ड ने सिंचाई, बागवानी, बिजली संयंत्रों व निर्माण के काम में उपचारित पानी का उपयोग बढ़ा कर पीने के पानी की मांग और आपूर्ति के अंतर को कम करने का फैसला किया है। इसके लिए छह मुख्य केंद्रों को उपचारित पानी मुहैया कराने की पहल की गई है।

Water
निर्मल गंगा
Posted on 25 Sep, 2014 09:40 AM

शिव की जटा से उत्पन्न, पर्वतों को चूमती हुई,
घाटियों में अठखेलियां करती, दूध की तरह धवल,
अग्नि की तरह पवित्र है जो।

सैकड़ों गुणों की खान है और मासूमियत से भरी है वो।
सबकी आवश्यकताओं को पूरा करती, सर्वत्र अपनी पवित्रता फैलाती।

कभी इठलाती, कभी बलखाती, अपनी ममता को दर्शाती,

Nirmal Ganga
बुराइयां भी मिटाइए और इनाम भी पाइए
Posted on 23 Sep, 2014 04:43 PM दिल्ली महानगर को साफ-सुथरा रखने के लिए एनडीएमसी की नई पहल
खुले में शौच पर करोड़ों खर्च पर नतीजा सिफर
Posted on 23 Sep, 2014 09:41 AM
भारत में आज 50 फीसदी से ज्यादा भारतीय लोगों के पास शौचालय नहीं है, विश्व में खुले में शौच जाने वाले सभी लोगों में 60 फीसदी लोग भारत में रहते हैं। भारत की यह समस्या खासकर ग्रामीण इलाकों में केंद्रित है, क्योंकि वहां की 60 फीसदी आबादी खुले में शौच करती है। इतनी संख्या में लोगों के खुले में शौच जाने से वातावरण में रोगाणु मिल जाते हैं, इससे बढ़ रहे और विक
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