वीना चंदेल

वीना चंदेल
निर्मल गंगा
Posted on 25 Sep, 2014 09:40 AM

शिव की जटा से उत्पन्न, पर्वतों को चूमती हुई,
घाटियों में अठखेलियां करती, दूध की तरह धवल,
अग्नि की तरह पवित्र है जो।

सैकड़ों गुणों की खान है और मासूमियत से भरी है वो।
सबकी आवश्यकताओं को पूरा करती, सर्वत्र अपनी पवित्रता फैलाती।

कभी इठलाती, कभी बलखाती, अपनी ममता को दर्शाती,

Nirmal Ganga
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