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गर्मी में पानी को बनाएँ अपना फेवरेट दोस्त
Posted on 12 May, 2015 12:02 PM गर्मियों की शुरुआत के साथ ही पानी में सबसे ज्यादा परेशान करने वाला और साथ ही साथ राहत देने वाला एक ही नाम है - ‘पानी’। गर्मियों के दिनों में पानी को कैसे अपना फेवरेट दोस्त बनाएँ। इसी विषय पर शरीर और सेहत से जुड़ी कोशिश।

क्यों पीते हैं हम पानी

भूले नहीं कि एक माँ गंगा भी है
Posted on 11 May, 2015 12:03 PM

लोग कहते हैं कि भारतीय संस्कृति, अप्रतिम है। किन्तु क्या इसके वर्तमान को हम अप्रतिम कह सकते हैं? माँ और सन्तान का रिश्ता, हर पल स्नेह और सुरक्षा के साथ जिया जाने वाला रिश्ता है। क्या आज हम इस रिश्ते को हर पल स्नेह और साझी सुरक्षा के साथ जी रहे हैं?

इस स्नेहिल रिश्ते के बीच के अनौपचारिक बन्धन को प्रगाढ़ करना तो दूर, हम इस रिश्ते के औपचारिक दायित्व की पूर्ति से भी भागते हुए दिखाई नहीं दे रहे? बेटियों के पास तो माँ के लिये हर पल समय है; किन्तु हम बेटों के पास दायित्व से दूर भागने के लिये लाख बहाने हैं।

कभी-कभी मुझे खुद अपराध बोध होता है कि माँ, मेरी भी प्राथमिकता सूची में ही नहीं है; न जन्म देने वाली माँ और न पालने-पोषने में सहायक बनने वाली हमारी अन्य माताएँ।

maa ganga
पानी, पुण्य और बाजार
Posted on 11 May, 2015 10:07 AM पानी और उसके भविष्य के संकट को जिस दूर-दृष्टि से रहीम दास ने देखा, उतना तो आज की व्यवस्था और समाज भी नहीं देख पा रहा है। रहीम की इस पंक्ति का एहसास गर्मी के इस मौसम में कुछ ज्यादा ही होता है- ‘रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून..।’ जो पानी कल तक धार्मिक और सामाजिक सरोकार का विषय हुआ करता था, आज वह बाजार के मुनाफे का सरोकार बन गया है। नि:शुल्क स्वच्छ प
दुख की नदियाँ
Posted on 10 May, 2015 03:54 PM उत्तराखण्ड की नदियों में जैसे-जैसे पानी कम हो रहा है, उनकी विनाशकारी क्षमता बढ़ती जा रही है। यह एक विरोधाभासी और दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। नदी-घाटियों से सटकर सड़कें बनाए जाने और दूसरे निर्माणों से होने वाले कटान की मिट्टी आमतौर पर दोनों तरफ से नदियों में गिरती है, उन्हें उथला और सँकरा बनाती है। इसके नतीजे में जरा सी बरसात होते ही नदियाँ उफनने लगती हैं, दोनों
सवाल अविरल गंगा का
Posted on 10 May, 2015 12:28 PM

भारतीय राजनेता अंग्रेजों से भी चालाक निकले। जो काम अंग्रेज नहीं कर पाए, वह किया स्वतन्त्र भारत

आखिर क्यों जान दी किसान ने
Posted on 10 May, 2015 10:48 AM पिछले कुछ सालों से ग्लोबल वार्मिंग ने किसानों के संकट को और बढ़ा द
farmers in crisis
आईओएस पर वीडियो एडिटिंग
Posted on 10 May, 2015 10:31 AM एप्पल के मोबाइल फोन प्लेटफॉर्म आईओएस पर वीडियो एडिटिंग के कई टूल्स उपलब्ध हैं। इनकी मदद से आप बेस्ट फिल्म तैयार कर सकते हैं। जानते हैं आईओएस पर वीडियो एडिटिंग के टूल्स के बारे में और गहराई से।
क्यों विफल हुआ गंगा एक्शन प्लान
Posted on 10 May, 2015 10:02 AM दो दशक पहले तक गंगा पानी से लबालब रहने वाली बारहमासी नदी थी। 2,525 किलोमीटर लम्बी इस नदी का उद्गम स्थल पश्चिमी हिमालय है। इसका कुल जलग्रहण क्षेत्र लगभग 10,80,000 वर्ग किलोमीटर है। इनमें से 8,61,000 वर्ग किलोमीटर भारत में है और शेष बांग्लादेश में। गंगा का औसत वार्षिक बहाव लगभग 38,000 घनमीटर प्रति सेकेंड (अधिकतम 70,000 घनमीटर और न्यूनतम 180 घनमीटर प्रति सेकेण्ड) है।
जलवायु परिवर्तन से बढ़ रहा धरती पर संकट
Posted on 10 May, 2015 09:30 AM आज जीवनदायिनी प्रकृति और उसके द्वारा प्रदत्त प्राकृतिक संसाधनों के बेतहाशा उपयोग और भौतिक सुख-संसाधनों की चाहत की अंधी दौड़ के चलते न केवल प्रदूषण बढ़ा है बल्कि अन्धाधुन्ध प्रदूषण के कारण जलवायु में बदलाव आने से धरती तप रही है। इसका सबसे बड़ा कारण है मानवीय स्वार्थ जो प्रदूषण का जनक है।
earth
बेहतर जल पाने की उम्मीद मूर्खता
Posted on 09 May, 2015 03:38 PM पानी के वेग कम करते ही क्या असर पड़ता है, इसे साफ-साफ कई रूपों में देख सकते हैं। तीन दशक पहले तक गंगा किनारे बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डीमाण्ड (बीओडी) दो से तीन पार्ट प्रति मिलियन हुआ करता था। अब 10 से 12 पार्ट प्रति मिलियन तक है। तीन दशक पहले बनारस के अस्सी घाट पर नदी की चौड़ाई 360 मीटर थी, जो अब यह 260 मीटर में सिमट गयी है। घाट पर नदी की गहराई 9.6 मीटर थी लेकिन अब
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