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आस्था और गंगा स्वच्छता के बीच नए रास्ते की खोज
Posted on 26 May, 2015 12:36 PM गंगा में प्रदूषण का एक बड़ा हिस्सा अन्तिम संस्कार भी है। उत्तर प्रदेश और बिहार के वे गाँव जो गंगा के किनारे या आस-पास बसे हैं उनके द्वारा किये जाने वाले प्रदूषण का बड़ा हिस्सा अन्तिम संस्कार से होता है। हिन्दू धर्म में अन्तिम संस्कार की अपनी रीति और नीति है। उसमें उन लोगों के साथ मिलजुल कर कुछ बदलाव ज़रूर किया जा सकता है। सिर्फ यह कह देने से कि गंगा में अन्तिम
यमुना के स्वाभाविक प्रवाह को बनाए रखना होगा : मनोज मिश्र
Posted on 26 May, 2015 11:53 AM मनोज मिश्र पर्यावरण से सम्बन्धित मामलों के विशेषज्ञ हैं। वे भारतीय वन सेवा से भी जुड़े रहे। वर्तमान में यमुना जिये अभियान चला रहे हैं। यमुना के मौजुदा हाल पर ‘मनोज मिश्र’ से यथावत के संवाददाता ‘जितेन्द्र चतुर्वेदी’ ने बातचीत की। उसके प्रमुख अंश :

‘यमुना बचाओ अभियान’ आप बहुत दिनों से चला रहे हैं। इस दौरान आपका क्या अनुभव रहा है?

दिल्ली में बेहाल यमुना
Posted on 26 May, 2015 10:46 AM शहरी सभ्यता से नदियों के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। भारत में गंगा एवं यमुना नदी की उपयोगिता को देखते हुए इसे माँ की संज्ञा दी गई है। गंगा-यमुना को यदि अलग कर दिया जाए तो उत्तर भारत की कृषि और संस्कृति निष्प्राण हो जाएगी। करोड़ों लोगों के जीवन और आस्था की प्रतीक गंगा एवं यमुना इस समय प्रदूषण से जूझ रही है। केन्द्र सरकार गंगा एवं यमुना की सफाई के लिए दशकों
polluted yamuna
विनाशकारी भूकम्प और बचाव ( Earthquakes and Rescue )
Posted on 25 May, 2015 05:01 PM

भूकम्प आने की स्थिति में तुरन्त खुले स्थान की ओर भागना चाहिए। यदि घर के भीतर फंस गये हों तो दरव

लोक जीवन की माता गंगा
Posted on 25 May, 2015 01:48 PM भारत का लोक जीवन गंगा को जीवन देने वाली माता के रूप में देखता है। हिन्दी भाषी इलाके में प्रचलित लोक गीतों और लोक कथाओं में उनका मुक्ति प्रदान करने वाला रूप उभर कर आता है। कजरी, चैती और होली-जैसे मौसमी गीतों, जन्म, मुंडन, विवाह और मृत्यु से जुड़े संस्कार गीतों, पराती, भजन- सभी में गंगा की मौजूदगी इसी रूप में देखी जा सकती है। दैनिक धार्मिक कृत्यों और पूजनोत्सवो
गंगा का लोकतन्त्र
Posted on 24 May, 2015 03:43 PM हिन्दी के प्रसिद्ध कवि निलय उपाध्याय ने गंगोत्री से गंगा सागर तक की 2500 किलोमीटर की यात्रा पैदल और साइकिल से की। इस यात्रा के दौरान उन्होंने गंगा के ‘माँ’ होने और गंगा के ‘जल संसाधन’ होने की समझ के बीच की दूरी को देखा और महसूस किया। प्रस्तुत है उनके यात्रा-वृत्तांत का एक अंश-
ग्रीन ट्रिब्यूनल क्या है (What is National Green Tribunal - NGT)
Posted on 24 May, 2015 12:08 PM 02 जून 2010 को भारत नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल कानून अस्तित्व में आया। 1992 में रियो में हुई ग्लोबल यूनाइटेड नेशंस कॉन्फ्रेंस ऑन एन्वॉयरनमेंट एण्ड डेवलपमेन्ट में अन्तरराष्ट्रीय सहमती बनने के बाद से ही देश में इस कानून का निर्माण जरूरी हो गया था। भारत की कई संवैधानिक संस्थाओं ने भी इसकी संस्तुती की थी। नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल एक संवैधानिक संस्था है। इसके दायरे में देश में लागू पर्यावरण, जल, जंगल, वाय
जुल्मों के खारे निशान
Posted on 24 May, 2015 11:36 AM नमक कर जैसे भयानक कर को वसूलने के लिए बनाई गई एक विशाल बागड़ पर लिखी गई पुस्तक का एक अंश प्रस्तुत है। यह बताता है कि कर के कारण एकदम महँगा हो गया नमक देश की एक बड़ी आबादी के भोजन सेे, थाली से बाहर हो गया था और इस कर की वास्तविक कीमत तो कोई पचास लाख लोगों ने अपनी जान गँवाकर चुकाई थी। नमक की कमी ने मृत्युपथ पर आने वालों की संख्या और गति एकदम बढ़ा दी थी।
ब्राजील: सौर ऊर्जा बनेगी तारणहार
Posted on 24 May, 2015 10:15 AM

परिस्थितियाँ किसी परिकल्पना को वास्तविकता में परिवर्तित कर देने को मजबूर कर देती हैं। ब्राजील म

एनसीआर का पानी, नदी और ग्रीन ट्रिब्युनल
Posted on 23 May, 2015 04:17 PM

दिल्ली में प्रदूषित यमुनाराष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का दायरा फैला; आबादी बढी; साथ-साथ पर्यावरण की चिन्ता की लकीरें भी। कहना न होगा कि पानी और नदी के मोर्चे पर र

polluted river
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