भारत में अभी जल संरक्षण के लिये जनता की जागरूकता प्रारम्भिक अवस्था में है। घर खरीदते समय सामान्यतः व्यक्ति भवन निर्माता से पानी के सम्बन्ध में एक शुरुआती जानकारी भर लेता है, इसी प्रकार बिल्डर भी इस मुद्दे पर कभी गम्भीरता से विचार ही नहीं करते तो ग्राहक को कैसे बतायेंगे? इंडिया वाटर पोर्टल (www.indiawaterportal.org) ने इस मुद्दे पर आपके लिये कुछ सवाल एकत्रित किये हैं जिनकी मदद से आप मकान खरीदते समय पानी से सम्बन्धित उसकी भविष्य की योजनाओं और आपकी अन्य परेशानियों से बच सकते हैं… मकान खरीदते समय यह प्रश्न अवश्य पूछें, ताकि आप भी सुरक्षित हों, तथा बाकी लोगों विशेषकर बिल्डरों में जल संरक्षण और पुनर्भरण (Recycling) के प्रति जागरुकता का प्रसार हो…
निर्माणाधीन अपार्टमेंट में जलापूर्ति व्यवस्था1. बिल्डर के अनुमान के अनुसार उस अपार्टमेंट में पानी की कुल खपत कितनी होगी? 2
निर्माणाधीन अपार्टमेंट में जलापूर्ति व्यवस्था1. बिल्डर के अनुमान के अनुसार उस अपार्टमेंट में पानी की कुल खपत कितनी होगी? 2. पानी की मांग और आपूर्ति के बारे में किस आधार पर गणना की गई है? 3. बिल्डिंग में जलापूर्ति किस स्रोत के जरिये होने वाली है? 4. विभिन्न स्रोतों से मिलने वाले पानी की उपलब्धता के बारे में बिल्डर का अनुमान क्या है और वास्तविक स्थिति क्या है? 5. यदि जलापूर्ति की वर्तमान व्यवस्था असफ़ल होती है अथवा उसमें कोई समस्या आती है तब बिल्डर के पास उस समस्या का वैकल्पिक हल क्या है? 6. यदि पानी लेने की योजना नगर निगम या नगर पालिका से है, तो इलाके में उस पानी की उपलब्धता, क्वालिटी और निरन्तरता कैसी है? 7. यदि पानी की आपूर्ति टैंकर से हो रही है, तो वह टैंकर वाला पानी कहाँ से ला रहा है? 8. क्या इस पानी की आपूर्ति लम्बे समय तक चल सकेगी? 9. जो पानी सप्लाय किया जा रहा है, उसकी शुद्धता के बारे में क्या कोई जाँच की गई है? भूजल के बारे में - 1. यदि बिल्डर उस भवन में पानी की आपूर्ति के लिये भूजल पर निर्भर है तब उसके लम्बे समय तक आपूर्ति के बारे में जानते हैं? 2. जिस बिल्डिंग में आप मकान खरीदने वाले हैं, उसके आसपास कितने अपार्टमेंट हैं, कितने कॉम्पलेक्स हैं या कि भविष्य में कितने बनने वाले हैं? यदि आसपास कई बिल्डिंग बनीं तब पानी की आपूर्ति कैसे होगी? क्या उन सारे अपार्टमेंट के बनने से पानी की मांग में अचानक बढ़ोतरी नहीं होगी? 3. आपकी बिल्डिंग में भवन निर्माता जिस बोरवेल से पानी की आपूर्ति करने वाला है, उसकी गहराई कितनी है? उस बोरिंग का व्यास कितना है? उस बोरिंग और आसपास के कुंओं तथा बोरिंग की तुलना की गई है या नहीं? रेनवाटर हार्वेस्टिंग के सम्बन्ध में कुछ सवाल - 1. क्या बिल्डर उस भवन में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने वाला है? 2. क्या उस बिल्डर ने रेनवाटर हार्वेस्टिंग के बारे में कभी सुना है और इसके फ़ायदों के बारे में जानता है? 3. यदि भवन निर्माता छत पर लगने वाला रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की योजना बना रहे हैं तो उनसे पूछिये कि उस पानी को साफ़ रखने और छत के रखरखाव के बारे में उनकी क्या योजना है? 4. बारिश के पानी को हार्वेस्टिंग करने का टैंक तथा नियमित पानी सप्लाय करने वाला टैंक अलग-अलग हैं? 5. रेनवाटर हार्वेस्टिंग के टैंक का आकार किस आधार पर तय किया गया है? 6. क्या साफ़ और उपचारित किया हुआ पानी, बाथरूम अथवा शौचालय के उपयोग में लाया जायेगा अथवा सामान्य उपयोग के लिये? क्या पीने के पानी और सामान्य उपयोग के पानी की पाइप लाइनें अलग-अलग हैं? खराब पानी (Wastewater) के निस्तारण सम्बन्धी सवाल – 1. क्या बिल्डिंग से निकलने वाले वेस्ट वाटर को शहर की सीवेज लाइन से जोड़ा गया है? यदि नहीं तो इस सम्बन्ध में उनकी पूरी योजना क्या है? 2. क्या खराब पानी के उपचार हेतु संयंत्र (Treatment Plant) बिल्डिंग परिसर में ही लगाया जायेगा? 3. यदि यह संयंत्र भवन परिसर में ही लगा हुआ है या लगाने की योजना है तब उपचारित पानी का पुनः उपयोग किस प्रकार से होने वाला है? 4. इस वाटर ट्रीटमेंट प्लाण्ट की डिजाइन में बिजली की आपूर्ति के सम्बन्ध में उनकी क्या योजना है? 5. इस ट्रीटमेंट प्लाण्ट के रखरखाव और संचालन में कितना खर्च आयेगा और इसकी व्यवस्था क्या होगी? भवन के आसपास की डिजाइन के बारे में – 1. भवन के आसपास और परिसर के कितने क्षेत्र में घास, पेड़-पौधे लगाने की योजना है? 2. इस हरियाली को बनाये रखने की बिल्डर की वर्तमान योजना क्या है? पानी बचाने की तकनीक और प्रोत्साहन के बारे में सवाल – 1. क्या प्रत्येक अपार्टमेंट के लिये पानी का अलग-अलग मीटर लगा हुआ है? 2. पानी के संरक्षण हेतु अपार्टमेंट स्तर पर किसी प्रोत्साहन की कोई व्यवस्था है? 3. क्या बिल्डर ने पानी बचाने अथवा पानी की खपत कम रखने के लिये उपकरण लगाये हैं? अन्य सवाल – 1. भवन के घरों से निकलने वाले कूड़े को ऑर्गेनिक (Organic) से अकार्बनिक (Inorganic) बनाने सम्बन्धी कोई योजना अथवा संयंत्र सम्बन्धी प्रस्ताव है? 2. भवन में प्राकृतिक रोशनी, सूर्य किरणों तथा सौर ऊर्जा के लिये किसी योजना पर विचार किया गया है? ताकि भवन में गर्मी और ठण्ड में ऊर्जा की खपत कम से कम हो? शहरी निवासियों के लिये जल-सुरक्षा योजनाएं और टिप्स - S.S Ranganathanविभिन्न अपार्टमेंटों और रहवासी समुदाय में रहने वालों की जल-सुरक्षा सम्बन्धी सवालों के लिये पर्यावरणविद एवं जल-सलाहकार श्री एसएस रंगनाथन द्वारा लिखा गया यह लेख बेहद महत्वपूर्ण है, प्रस्तुत है लेख का संक्षिप्त भाग, विस्तार से इस लेख को http://indiawaterportal.org पर पढ़ा जा सकता है… ===========मुझे अक्सर कई रहवासी संघों, रेजिडेण्ट एसोसियेशनों तथा कॉम्पलेक्स निवासियों द्वारा अक्सर इन दो समस्याओं के समाधान हेतु आमंत्रित किया जाता है - 1. भवन निर्माता ने इन रहवासी संघों को एक वर्ष की देखरेख और रखरखाव के बाद भवन की जिम्मेदारी सौंप दी है (एक साल तक रखरखाव करना भवन निर्माता की कानूनी मजबूरी है)। इसके बाद एक समिति बनाकर भवन निर्माता ने पानी, प्रकाश तथा अन्य संसाधनों के रखरखाव और संचालन की जिम्मेदारी उन पर डाल दी है। इन रहवासी संघों को यह पता नहीं होता कि असल में बिल्डर से किस प्रकार की जिम्मेदारी ले रहे हैं, उन्हें क्या-क्या और कैसे इन संसाधनों का रखरखाव करना है, ज़ाहिर है कि उन्हें इस बारे में एक विशेषज्ञ की सलाह और मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है, ताकि भविष्य में उन्हें कोई तकलीफ़ न हो, और यह विशेषज्ञ उन्हें बता सके कि उन लोगों ने अपार्टमेंट खरीदते समय उन्होंने जिन बातों के लिये भुगतान किया था उसका पूरा मूल्य बिल्डर द्वारा दिया जा रहा है अथवा नहीं? इसी प्रकार पानी, बिजली और सफ़ाई सम्बन्धी बिल्डर की और उनकी जिम्मेदारियाँ क्या हैं, क्या होनी चाहिये, और भविष्य में इसके कानूनी प्रावधान क्या-क्या हैं? इन्हें कैसे निभाया जाये, इत्यादि। 2. रेजिडेण्ट असोसियेशन ने बिल्डर से उस परिसर की सभी जिम्मेदारियाँ स्वीकार कर ली हैं लेकिन उन्होंने पाया कि सभी बातें और सुविधायें ठीक से काम नहीं कर रहीं, तब उन्हें एक विशेषज्ञ की सलाह चाहिये होती है जो कि परिस्थिति का आकलन करके एसोसियेशन को सही सलाह दे सके कि उन्हें क्या करना चाहिये। रंगनाथन के अनुसार, अधिकतर शिकायतें सीवेज ट्रीटमेंट प्लाण्ट को लेकर आती हैं, जो कि ठीक से काम नहीं कर रहे होते, कुछ शिकायतें वाटर ट्रीटमेंट प्लाण्ट की होती हैं, जबकि कुछ स्वीमिंग पूल के पानी की नियमित सफ़ाई और क्लोरीनेशन से संबंधित होती हैं। विभिन्न सोसायटियों और रेजिडेण्ट वेल्फ़ेयर एसोसियेशनों के दौरों तथा सलाहकार बनने के दौरान निम्न बिन्दुओं पर विचार होना आवश्यक है - पेयजल और शुद्धजल के स्रोत - अधिकतर मामलों में मैंने पाया है कि सोसायटियों और भवनों में पानी की आपूर्ति के लिये वे लोग बोरवेल पर निर्भर हैं। कई मामलों में मैंने पाया कि बोरवेल का पानी अधिक मांग की वजह से भूमि में गहरा जा चुका है और अब समूची बिल्डिंग अपनी पानी की 50% ज़रूरतों के लिये टैंकरों पर निर्भर है। किसी भी भवन में पानी की खपत और आवश्यकता मापने के लिये CPHEEO (Central Public Health and Environment Engineering Organization) की सिफ़ारिशों और नियमों को ध्यान में रखा जाता है, जो कि “प्रति व्यक्ति खपत” के आधार पर यह तय करता है कि बिल्डिंग की पानी की ज़रूरत कितनी है, 150 लीटर पानी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन का साधारण पैमाना माना जाता है। लेकिन मैंने देखा है कि अधिकतर बिल्डिंगों में “इनलेट” (पानी आने) अथवा “आउटलेट” (पानी उपयोग) की टंकियों में पानी का मीटर लगा हुआ नहीं है, न ही इस बात का कोई हिसाब रखा जाता है कि टंकी में रोज़ाना कितना पानी भरा जाता है और कितना उपयोग किया जाता है। इसी प्रकार टैंकरों से आने वाले पानी की कभी कोई जाँच नहीं की जाती, टैंकर भी अलग-अलग जगह से पानी लेकर आते हैं जबकि भवन के बोरवेल से मिलने वाले पानी से इसकी गुणवत्ता बेहद खराब पाई गई। भूजल दोहन की अनदेखी और लापरवाही अधिकतर भवन संपत्तियों में मैंने पाया कि रेजिडेण्ट एसोसियेशन के पास उनके बोरवेल की क्षमता सम्बन्धी रिपोर्ट तो होती है, लेकिन उस रिपोर्ट पर किसी प्रकार का गम्भीर अमल नहीं पाया जाता। अधिकतर रिपोर्टों में स्पष्ट रूप से यह बताया जाता है कि, उसकी कितनी क्षमता है, कितना पानी है अथवा उसे रेनवाटर हार्वेस्टिंग द्वारा रीचार्ज करना आवश्यक है। दुर्भाग्य से लगभग सभी जगह बोरवेलों का दुरुपयोग ही पाया गया है, उन बोरिंग का, उनकी मोटर, पानी की पाइप लाइनों का रखरखाव बेहद खराब तरीके से किया जा रहा होता है। बोरवेल के समय दी गई रिपोर्ट पर सख्ती से तो दूर, गम्भीर अमल भी नहीं होता। अपने दौरों में मैंने देखा है कि बोरवेल अथवा कुंओं से लगातार 8 से 10 घन्टे तक पानी खींचा जाता है, और जब तक उनमें पानी खत्म नहीं हो जाता, तब तक जिन बोरवेल में पानी की मात्रा कम हो उससे पानी नहीं निकाला जाता। इसीलिये ज़ाहिर तौर पर बोरवेल के सूखने की रफ़्तार बढ़ जाती है। सामान्यतः प्रत्येक भवन में बोरवेल को लगभग 600 फ़ुट गहराई तक खोदा जाता है। इससे भी गहरा खोदने पर पानी मिलने की सम्भावना कम ही होती है, जब तक कि इसे 1000 फ़ुट तक न पहुँचा दिया जाये। इतनी गहराई से मिलने वाला पानी मनुष्य के उपयोग के लिये तब तक उचित नहीं होता जब तक कि उसका पूरी तरह से ट्रीटमेंट न कर दिया जाये (सामान्यतः Reverse Osmosis तकनीक)। इस ट्रीटमेंट के खर्चों में बिजली की उपलब्धता, बिजली का खर्च, पम्प का रखरखाव आदि शामिल कर लें तो प्रति व्यक्ति, प्रति लीटर पानी, की कीमत बहुत ज्यादा होती है। रेनवाटर हारवेस्टिंग सम्बन्धी अमूमन सभी जगहों पर जहाँ मैं गया, बिल्डरों ने रहवासियों को छत से उतरता हुआ एक पाइप दिखाया था और कहा कि इसके द्वारा बारिश का पानी ज़मीन में उतरेगा, और रहवासियों को बता दिया कि इस विधि से उनका भूजल स्तर रीचार्ज हो जायेगा। अधिकतर रहवासियों और एसोसियेशनों ने इस बात को मान भी लिया, क्योंकि वे इससे ज्यादा कुछ जानते भी नहीं थे। एक बिल्डिंग में मैंने देखा कि बिल्डर ने बारिश के पानी के पाइप को सीवेज ट्रीटमेंट प्लाण्ट से जोड़ रखा था, रहवासियों की शिकायत थी कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लाण्ट बारिश के दिनों में ठीक से काम नहीं करता। इस प्रकार की गलतबयानी और धोखाधड़ी बिल्डरों द्वारा आमतौर पर की जाती है।
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