18 नवम्बर, 2011 को रणनीति बैठक होगी। 9 से 11:00 बजे तक नदी न्याय की जनसुनवाई में भागीदारों से बातचीत 11:00 से 4:00 बजे तक जनसुनवाई और 4:00 बजे से जनसुनवाई में भागीदारों के साथ रणनीति बैठक का कार्यक्रम है।
नदियों को भ्रष्टाचार ने नालों में बदल दिया है। भ्रष्टाचार के नालों को सदाचार द्वारा नदियों में बदलने की मुहिम शुरू करने हेतु रणनीति बैठक 18 नवम्बर, 2011 को गांधी शांति प्रतिष्ठान नई दिल्ली में आयोजित हो रही है।उच्चतम न्यायलय के पूर्व न्यायमूर्ति बी.पी. जीवन रेड्डी, की अध्यक्षता में वरिष्ठ एडवोकेट राजीव धवन व वरिष्ठ एडवोकेट सजंय पारिख जी इनके साथ रहकर नदी न्याय की जन सुनवाई 11:00 बजे शुरू करेंगे। इसमें नदियों को न्याय दिलाने के देश भर में भूधिकार की चेतना जगाने वाले पी.वी.राजगोपाल तथा राष्ट्रीय आन्दोलनों के समन्वय संगठन के साथी नदियों की हत्या पर बात रखेंगे।
देश भर में जल अधिकार और नदी आजादी हेतु संघर्षशील संगठन, ‘जलबिरादरी’ के नदी योद्धा आयेंगे।
‘नदी न्याय’ जनसुनवाई में हम उन सब साथियों को सादर आमंत्रित कर रहे हैं। जो भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने का काम भारत की नदियों को न्याय दिलाने से शुरू करना चाहते हैं। आप जानते हैं कि इस समय सबसे भयानक भ्रष्टाचार नदियों में है। नदियों के नाम पर खरबों की नई योजनायें बन रही हैं। नदियों में जल उपलब्धता के आंकड़ें झूठे प्रस्तुत किये जा रहे हैं। झूठे आंकड़ों के आधार पर नये औद्योगिक कोरीडोर, ‘नदी जोड़’ योजनायें तथा नदी निर्मलता के लिए जल शोधन संयंत्रों की परियोजनायें बनाई जा रही हैं। ये सब परियोजनायें भारत की जनता को धोखा देकर भ्रष्टाचार के नये रास्ते खोलने वाली है।
आज नदियों का प्रदूषण, शोषण और अतिक्रमण नदियों की आजादी और पर्यावरणीय प्रवाह को नष्ट करके हम सबकी सेहत और आर्थिकी को बिगाड़ देगा। अभी भी समय है कि हम अपना ध्यान ‘‘भारत की भूमि और जल हमारे संविधान के अनुसार सबको सम्मानपूर्वक जीने का हक देता है।’’ यह हक हमारे औद्योगिक घराने तथा बलशाली लोग, गरीबों, दलितों और पीड़ितों से छीन रहे हैं। इसी कारण हमारी जी.डी.पी. बढ़ रही है। यह जी.डी.पी. गरीब, दलित और पीड़ितों की संख्या बढ़ाने वाली है।
हम नदियों को आजादी दिलाने की मुहिम शुरू करना चाहते हैं। यह देश के प्राकृतिक संसाधनों का संवर्द्धन करके जी.डी.पी. घटाकर सबको जीने का हक एवं जीवन की समृद्धि बढ़ाना चाहते हैं। इसी उद्देश्य से यह नदी न्याय जन सुनवाई रखी गई है। आप इसमें जरूर शामिल हों। इसका स्थान गांधी शांति प्रतिष्ठान, दीन दयाल उपाध्याय मार्ग, नई दिल्ली-2 है। जन सुनवाई में भाग लेने वाले 18 नवम्बर, 2011 को प्रातः 9:00 बजे गांधी प्रतिष्ठान में अपनी उपस्थिति दर्ज कराके इस सुनवाई में अपनी तथ्यात्मक रपट और कागजात प्रस्तुत करने हेतु बातचीत करके अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित करें। हमें उम्मीद है कि आप जल्द अपनी भागीदारी ई-मेल द्वारा हमें भेजें। जिससे 18 नवम्बर, 2011 को आपकी बात सुनी जा सके।
राजेंद्र सिंह
Email:- info@tarunbharatsangh.org
नदियों को भ्रष्टाचार ने नालों में बदल दिया है। भ्रष्टाचार के नालों को सदाचार द्वारा नदियों में बदलने की मुहिम शुरू करने हेतु रणनीति बैठक 18 नवम्बर, 2011 को गांधी शांति प्रतिष्ठान नई दिल्ली में आयोजित हो रही है।उच्चतम न्यायलय के पूर्व न्यायमूर्ति बी.पी. जीवन रेड्डी, की अध्यक्षता में वरिष्ठ एडवोकेट राजीव धवन व वरिष्ठ एडवोकेट सजंय पारिख जी इनके साथ रहकर नदी न्याय की जन सुनवाई 11:00 बजे शुरू करेंगे। इसमें नदियों को न्याय दिलाने के देश भर में भूधिकार की चेतना जगाने वाले पी.वी.राजगोपाल तथा राष्ट्रीय आन्दोलनों के समन्वय संगठन के साथी नदियों की हत्या पर बात रखेंगे।
देश भर में जल अधिकार और नदी आजादी हेतु संघर्षशील संगठन, ‘जलबिरादरी’ के नदी योद्धा आयेंगे।
‘नदी न्याय’ जनसुनवाई में हम उन सब साथियों को सादर आमंत्रित कर रहे हैं। जो भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने का काम भारत की नदियों को न्याय दिलाने से शुरू करना चाहते हैं। आप जानते हैं कि इस समय सबसे भयानक भ्रष्टाचार नदियों में है। नदियों के नाम पर खरबों की नई योजनायें बन रही हैं। नदियों में जल उपलब्धता के आंकड़ें झूठे प्रस्तुत किये जा रहे हैं। झूठे आंकड़ों के आधार पर नये औद्योगिक कोरीडोर, ‘नदी जोड़’ योजनायें तथा नदी निर्मलता के लिए जल शोधन संयंत्रों की परियोजनायें बनाई जा रही हैं। ये सब परियोजनायें भारत की जनता को धोखा देकर भ्रष्टाचार के नये रास्ते खोलने वाली है।
आज नदियों का प्रदूषण, शोषण और अतिक्रमण नदियों की आजादी और पर्यावरणीय प्रवाह को नष्ट करके हम सबकी सेहत और आर्थिकी को बिगाड़ देगा। अभी भी समय है कि हम अपना ध्यान ‘‘भारत की भूमि और जल हमारे संविधान के अनुसार सबको सम्मानपूर्वक जीने का हक देता है।’’ यह हक हमारे औद्योगिक घराने तथा बलशाली लोग, गरीबों, दलितों और पीड़ितों से छीन रहे हैं। इसी कारण हमारी जी.डी.पी. बढ़ रही है। यह जी.डी.पी. गरीब, दलित और पीड़ितों की संख्या बढ़ाने वाली है।
हम नदियों को आजादी दिलाने की मुहिम शुरू करना चाहते हैं। यह देश के प्राकृतिक संसाधनों का संवर्द्धन करके जी.डी.पी. घटाकर सबको जीने का हक एवं जीवन की समृद्धि बढ़ाना चाहते हैं। इसी उद्देश्य से यह नदी न्याय जन सुनवाई रखी गई है। आप इसमें जरूर शामिल हों। इसका स्थान गांधी शांति प्रतिष्ठान, दीन दयाल उपाध्याय मार्ग, नई दिल्ली-2 है। जन सुनवाई में भाग लेने वाले 18 नवम्बर, 2011 को प्रातः 9:00 बजे गांधी प्रतिष्ठान में अपनी उपस्थिति दर्ज कराके इस सुनवाई में अपनी तथ्यात्मक रपट और कागजात प्रस्तुत करने हेतु बातचीत करके अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित करें। हमें उम्मीद है कि आप जल्द अपनी भागीदारी ई-मेल द्वारा हमें भेजें। जिससे 18 नवम्बर, 2011 को आपकी बात सुनी जा सके।
राजेंद्र सिंह
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