तारीख : 18-19 अप्रैल 2013
स्थान : गांधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली
1. सभी को पेयजल सुरक्षा व जरूरत पूरी करना, जीविकोपार्जन से जूझते जलवायु परिवर्तन की मार से बचाने वाले संसाधन संवर्द्धन में लगा कर समता मूलक, शोषण, प्रदूषण, अतिक्रमण मुक्त समाज निर्माण की तरफ अग्रसर होने वाली परिवर्तन प्रक्रिया शुरू करना है।
1. जीविकोपार्जन से जूझने वालों के परंपरागत जल स्रोतों पर अधिकार दिलाने तथा ताल-पाल झीलों को पुनर्जीवित करने वाली जुम्बिश पैदा करना।
2. भारत के सभी राज्यों में एक आदर्श सामुदायिक जल स्रोतों की स्थानीय सामुदायिक विकेन्द्रित प्रबंधन प्रक्रिया इकाई निर्माण करना।
3. जल साक्षरता, जलाधिकार, सामुदायिक जल प्रबंधन की वकालत करने वाली नीति और नियम निर्माण की सरकारी प्रक्रिया आरम्भ करने वाले प्रत्येक राज्य में जल संदर्भ केन्द्र निर्माण करना।
1. जल जागरूकता हेतु जलसाक्षरता अभियान चलाने हेतु प्रत्येक राज्य में एक से पांच जल नायक तैयार करना।
2. प्रत्येक जल नायक 10 जलकर्मी (W.E.), और 100 जल सेवक (W.V.), 5 जल प्रबंधक (W.M.), 20 योद्धा (W.E.) तैयार करेगा।
“जल नायक पूर्णकालिक होगा’’ यह अपने कार्य को पूर्ण करने में अन्य पूर्णकालिक तैयार करके या तैयार साथियों को जोड़ेगा। जल नायक मूल आधार होगा। यही अपने राज्य की जल और भूसंस्कृति की विविधता का सम्मान करके अपनी कार्यविधि और कार्यकर्ता तय करने हेतु स्वतंत्र रहेगा। सबको प्रशिक्षित करने का कार्य तरुण भरत संघ के परिसर मे चल रही तरुण जल विद्यापीठ (W.U.) में रहेगा।
1. परंपरागत जल संरक्षण संरचनाओं के प्रति समुदाय में जागरूकता पैदा करने के लिए विभिन्न माध्यमों का उपयोग किया जायेगा। जैसे- संदर्भ सामग्री निर्माण, रोलप्ले नाटक, स्लाइड शो, मीटिंग, सम्मेलन, संगोष्ठी कार्यशालाओं एवं प्रशिक्षण एवं अध्ययन भ्रमण कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा।
2. माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को लागू करवाना एवं ड्रेनेज एक्ट के प्रावधानों को लागू करना। जन पैरवी के विभिन्न माध्यमों का उपयोग करना। जैसे- पीआईएल, जन सुनवाई, आपसी संवाद की कार्यशाला, विधायिका के साथ कानून में संशोधन कराना।
3. स्थानीय समुदाय को संगठित करना। जनसहयोग से संरचनाओं को संरक्षित करने के लिए श्रमदान, सरकारी योजनाओं को लागू कराने के लिए कार्ययोजना का निर्माण। संरक्षण के लिए शासकीय योजनाओं का पारदर्शी ढंग से क्रियान्वयन सुनिश्चित करना। स्थानीय स्तर पर संगठन का निर्माण करना एवं आजीविका के अवसर बढ़ाना।
4. प्राकृतिक जल संरक्षण संरचनाओं के ह्रास के कारणों को जानना। जिसके लिए समुदाय और विषय विशेषज्ञों की राय जुटाना। पुराने अध्ययन और साहित्य को पढ़ना। इन संरचनाओं से उत्पन्न होने वाले आर्थिक और सामाजिक एवं जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को जानना। इन सबके कारणों से आजीविका के संसाधनों के ऊपर पड़ने वाले प्रभावों को समझना।
5. समान विचारधारा और एक ही मुद्दे पर काम करने वाले लोगों का सामूहिक गठजोड़ तैयार करना। योग्यता और अनुभव के आधार पर जवाबदेहियों का निर्धारण करना। सामूहिक रुप से काम करने की प्रवृत्ति विकसित करना।
6. देश में पानी के संसाधनों पर निर्धनतम समाज की पहुंच और नियंत्रण स्थापित करने के लिए कानून और जानकारी के माध्यम से सशक्त बनाने के लिए जागरूकता एवं जन पैरवी का आयोजन किया जायेगा।
1. जल नायक निर्माण तरुण आश्रम में 7 प्रशिक्षण एवं भावी कार्यक्रम निर्धारण। प्रत्येक राज्य में जल जोड़ो अभियान की विस्तृत कार्य योजना (D.P.R.) तैयार करना। अप्रैल 2013 राज्यों की अनुकूलतानुसार दिल्ली में 18-19 अप्रैल को तय करना। जल नायक प्रशिक्षण भाषा-क्षेत्र, जल संस्कृतिनुसार तैयार हो सकते है।
2. समुदाय में परंपरागत जल संरक्षण संरचनाओं के संरक्षण के प्रति समुदाय में जागरूकता बढ़ाना।
3. परंपरागत जलसंरक्षण संरचनाओं को बचाने के लिए जन पैरवी करना।
4. सरकार एवं सामुदायिक सहयोग से इन संरचनाओं के संरक्षण के मॉडल निर्माण करना एवं आजीविका के संसाधनों में वृद्धि करना।
5. परंपरागत जल संरक्षण संरचनाओं के संदर्भ में समसामयिक अध्ययन एवं दस्तावेजीकरण करना।
6. प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर काम करने वाले लोगों का गठजोड़ तैयार करना।
7. बिना भेदभाव के लोगों को गरिमापूर्ण ढंग से उनकी आवश्यकता के अनुसार शुद्ध पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
पांच स्तर पर सात इकाई काम करेंगी।
1. केन्द्रीय टीम भारत भर के जल नायक ही केन्द्रीय टीम के सदस्य होंगे।
2. राज्य टीम सभी राज्यों में जलनायकों के साथ केन्द्रीय टीम राज्य टीम 18-19 को तथा उसके बाद बनाएंगे।
3. भूसास्कृतिक क्षेत्रस्तर भारत मे 100 से अधिक भूसंस्कृति क्षेत्र है उन्ही आधार पर भूसंस्कृति के आधार पर टीम बनेंगी। ये जल नायक बनाएंगे।
4. नदी स्तर पर जहाँ जल नायक नदी स्तर पर जल कर्मी, जल योद्धा, जल सेवक तैयार करके सामुदायिक संगठन बना सकेंगे, वहाँ नदी स्तर पर टीम होगी।
5. सामुदायिक अंतिम टीम सामुदायिक, गाँव या नगर स्तर पर बनेगी।
जल, जन, जोड़ो के लिए कोष विश्व स्तर पर जुटाया जायेगा। क्योंकि हम जलवायु परिवर्तन को सुधारने हेतु जीविका जुटाने वाला कार्य करेंगे। इस कार्य को स्थानीय स्तर से शुरू करके वैश्विक हित में किया जायेगा। इसलिए सार्थिक, बौद्विक, सामाजिक संगठनात्मक नैतिक सभी प्रकार का सहयोग करना चाहिए। भारत आर्थिक रूप से शोषित राष्ट्र था, अब नव निर्मित हो रहा है। धन तो यहाँ चंद लोगों के पास बहुत है। जिनके पास नहीं है। वे वचिंत है। उनके लिए कार्य होगा। धर्म-जाति का भेद भूल कर सहायक बनने वालों का ही यह प्रकिया स्वागत करेंगी।
अधिक जानकारी के लिए अटैचमेंट देखें
स्थान : गांधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली
लक्ष्य
1. सभी को पेयजल सुरक्षा व जरूरत पूरी करना, जीविकोपार्जन से जूझते जलवायु परिवर्तन की मार से बचाने वाले संसाधन संवर्द्धन में लगा कर समता मूलक, शोषण, प्रदूषण, अतिक्रमण मुक्त समाज निर्माण की तरफ अग्रसर होने वाली परिवर्तन प्रक्रिया शुरू करना है।
उदे्दश्य
1. जीविकोपार्जन से जूझने वालों के परंपरागत जल स्रोतों पर अधिकार दिलाने तथा ताल-पाल झीलों को पुनर्जीवित करने वाली जुम्बिश पैदा करना।
2. भारत के सभी राज्यों में एक आदर्श सामुदायिक जल स्रोतों की स्थानीय सामुदायिक विकेन्द्रित प्रबंधन प्रक्रिया इकाई निर्माण करना।
3. जल साक्षरता, जलाधिकार, सामुदायिक जल प्रबंधन की वकालत करने वाली नीति और नियम निर्माण की सरकारी प्रक्रिया आरम्भ करने वाले प्रत्येक राज्य में जल संदर्भ केन्द्र निर्माण करना।
कार्यविधि
1. जल जागरूकता हेतु जलसाक्षरता अभियान चलाने हेतु प्रत्येक राज्य में एक से पांच जल नायक तैयार करना।
2. प्रत्येक जल नायक 10 जलकर्मी (W.E.), और 100 जल सेवक (W.V.), 5 जल प्रबंधक (W.M.), 20 योद्धा (W.E.) तैयार करेगा।
“जल नायक पूर्णकालिक होगा’’ यह अपने कार्य को पूर्ण करने में अन्य पूर्णकालिक तैयार करके या तैयार साथियों को जोड़ेगा। जल नायक मूल आधार होगा। यही अपने राज्य की जल और भूसंस्कृति की विविधता का सम्मान करके अपनी कार्यविधि और कार्यकर्ता तय करने हेतु स्वतंत्र रहेगा। सबको प्रशिक्षित करने का कार्य तरुण भरत संघ के परिसर मे चल रही तरुण जल विद्यापीठ (W.U.) में रहेगा।
कार्यनीति
1. परंपरागत जल संरक्षण संरचनाओं के प्रति समुदाय में जागरूकता पैदा करने के लिए विभिन्न माध्यमों का उपयोग किया जायेगा। जैसे- संदर्भ सामग्री निर्माण, रोलप्ले नाटक, स्लाइड शो, मीटिंग, सम्मेलन, संगोष्ठी कार्यशालाओं एवं प्रशिक्षण एवं अध्ययन भ्रमण कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा।
2. माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को लागू करवाना एवं ड्रेनेज एक्ट के प्रावधानों को लागू करना। जन पैरवी के विभिन्न माध्यमों का उपयोग करना। जैसे- पीआईएल, जन सुनवाई, आपसी संवाद की कार्यशाला, विधायिका के साथ कानून में संशोधन कराना।
3. स्थानीय समुदाय को संगठित करना। जनसहयोग से संरचनाओं को संरक्षित करने के लिए श्रमदान, सरकारी योजनाओं को लागू कराने के लिए कार्ययोजना का निर्माण। संरक्षण के लिए शासकीय योजनाओं का पारदर्शी ढंग से क्रियान्वयन सुनिश्चित करना। स्थानीय स्तर पर संगठन का निर्माण करना एवं आजीविका के अवसर बढ़ाना।
4. प्राकृतिक जल संरक्षण संरचनाओं के ह्रास के कारणों को जानना। जिसके लिए समुदाय और विषय विशेषज्ञों की राय जुटाना। पुराने अध्ययन और साहित्य को पढ़ना। इन संरचनाओं से उत्पन्न होने वाले आर्थिक और सामाजिक एवं जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को जानना। इन सबके कारणों से आजीविका के संसाधनों के ऊपर पड़ने वाले प्रभावों को समझना।
5. समान विचारधारा और एक ही मुद्दे पर काम करने वाले लोगों का सामूहिक गठजोड़ तैयार करना। योग्यता और अनुभव के आधार पर जवाबदेहियों का निर्धारण करना। सामूहिक रुप से काम करने की प्रवृत्ति विकसित करना।
6. देश में पानी के संसाधनों पर निर्धनतम समाज की पहुंच और नियंत्रण स्थापित करने के लिए कानून और जानकारी के माध्यम से सशक्त बनाने के लिए जागरूकता एवं जन पैरवी का आयोजन किया जायेगा।
कार्यक्रम
1. जल नायक निर्माण तरुण आश्रम में 7 प्रशिक्षण एवं भावी कार्यक्रम निर्धारण। प्रत्येक राज्य में जल जोड़ो अभियान की विस्तृत कार्य योजना (D.P.R.) तैयार करना। अप्रैल 2013 राज्यों की अनुकूलतानुसार दिल्ली में 18-19 अप्रैल को तय करना। जल नायक प्रशिक्षण भाषा-क्षेत्र, जल संस्कृतिनुसार तैयार हो सकते है।
2. समुदाय में परंपरागत जल संरक्षण संरचनाओं के संरक्षण के प्रति समुदाय में जागरूकता बढ़ाना।
3. परंपरागत जलसंरक्षण संरचनाओं को बचाने के लिए जन पैरवी करना।
4. सरकार एवं सामुदायिक सहयोग से इन संरचनाओं के संरक्षण के मॉडल निर्माण करना एवं आजीविका के संसाधनों में वृद्धि करना।
5. परंपरागत जल संरक्षण संरचनाओं के संदर्भ में समसामयिक अध्ययन एवं दस्तावेजीकरण करना।
6. प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर काम करने वाले लोगों का गठजोड़ तैयार करना।
7. बिना भेदभाव के लोगों को गरिमापूर्ण ढंग से उनकी आवश्यकता के अनुसार शुद्ध पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
कार्यकारी टीम
पांच स्तर पर सात इकाई काम करेंगी।
1. केन्द्रीय टीम भारत भर के जल नायक ही केन्द्रीय टीम के सदस्य होंगे।
2. राज्य टीम सभी राज्यों में जलनायकों के साथ केन्द्रीय टीम राज्य टीम 18-19 को तथा उसके बाद बनाएंगे।
3. भूसास्कृतिक क्षेत्रस्तर भारत मे 100 से अधिक भूसंस्कृति क्षेत्र है उन्ही आधार पर भूसंस्कृति के आधार पर टीम बनेंगी। ये जल नायक बनाएंगे।
4. नदी स्तर पर जहाँ जल नायक नदी स्तर पर जल कर्मी, जल योद्धा, जल सेवक तैयार करके सामुदायिक संगठन बना सकेंगे, वहाँ नदी स्तर पर टीम होगी।
5. सामुदायिक अंतिम टीम सामुदायिक, गाँव या नगर स्तर पर बनेगी।
कोष
जल, जन, जोड़ो के लिए कोष विश्व स्तर पर जुटाया जायेगा। क्योंकि हम जलवायु परिवर्तन को सुधारने हेतु जीविका जुटाने वाला कार्य करेंगे। इस कार्य को स्थानीय स्तर से शुरू करके वैश्विक हित में किया जायेगा। इसलिए सार्थिक, बौद्विक, सामाजिक संगठनात्मक नैतिक सभी प्रकार का सहयोग करना चाहिए। भारत आर्थिक रूप से शोषित राष्ट्र था, अब नव निर्मित हो रहा है। धन तो यहाँ चंद लोगों के पास बहुत है। जिनके पास नहीं है। वे वचिंत है। उनके लिए कार्य होगा। धर्म-जाति का भेद भूल कर सहायक बनने वालों का ही यह प्रकिया स्वागत करेंगी।
अधिक जानकारी के लिए अटैचमेंट देखें
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