गंगा सम्मेलन (प्रात: 10 बजे, 28-30 जनवरी 2009) गांधी दर्शन सभागार नई दिल्ली
राष्ट्रीय नदी घोषित होने के बाद गंगा के प्रति सम्मान व अनुशासन सुनिश्चित करने को लेकर समाज और सरकार की जिम्मेदारी बढ़ गई है। अब जरूरी हो गया है कि सब बैठकर तय करें कि गंगा को उसका नैसर्गिक स्वरूप कैसे वापस लौटाया जा सकता है। इसी के मददेनजर तरुण भारत संघ........ जलबिरादरी के साथियों के साथ मिलकर 28 से 30 जनवरी तक नई दिल्ली में गंगा सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। उल्लेखनीय है कि गंगा मूल में उसकी धारा के नैसर्गिक प्रवाह को जीवंत बनाये रखने के लिए नामी वैज्ञानिक प्रो. जी.डी.अग्रवाल ने गंगा दशहरा 2008 को उत्तरकाशी में आमरण अनशन किया था। परिणामस्वरूप उत्तराखण्ड सरकार ने राज्य के अन्तर्गत आने वाली दो पनबिजली परियोजनाओं को रोक दिया था। केन्द्र सरकार ने केन्द्रीय परियोजना पर निर्णय के लिए एक उच्चाधिकार समिति गठित जरूर की, लेकिन छ: महीने से अधिक वक्त बीत जाने के बावजूद समिति द्वारा रिपोर्ट न दिये जाने से खफा प्रो. जी. डी. अग्रवाल ने नई दिल्ली में मकर संक्रांति से पुन: अपना आमरण अनशन शुरू कर दिया है। यह कैसा विरोधाभास है कि एक ओर जिस सरकार ने गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करने का गौरवपूर्ण कार्य किया है, वही सरकार राष्ट्रीय नदी संरक्षण के मसले पर अपनी जिंदगी को दांव पर लगाने वाले देश के एक अति प्रतिष्ठित वैज्ञानिक की ओर से बेपरवाह है।
ऐसी विरोधाभासी परिस्थितियों में सभी के साझे संकल्प और साथ की जरूरत है। 1916 में ब्रितानी हुकूमत और पंडित मदन मोहन मालवीय जी के नेतृत्व में भारत के तत्कालीन महाराजाओं के बीच हुआ गंगा समझौता इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल थी। इस सम्मेलन में हमने ऐसे महाराजाओं के उत्तराधिकारियों, सरकार, समाज और सर्वधर्म के विशिष्ठ प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया है।
सम्मेलन के दौरान देश के प्रतिष्ठित गंगा वैज्ञानिकों-प्रतिनिधियों की राय से समाज, सरकार और संतों की भूमिका पर संकल्प पत्र तैयार किया जायेगा। सम्मेलन में देश की नदियों को लेकर भावी रणनीति पर भी विचार होगा। हमें अब तक जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज जोधपुर महाराज गजसिंह, राधा बहन, (गांधी शांति प्रतिष्ठान), शशि त्यागी, (गांधी युवा वाहिनी), पी. वी. राजगोपाल (एकता परिषद), अरविन्द केजरीवाल (परिवर्तन), पर्यावरणीय स्वराज अभियान के घनश्याम (झारखण्ड), विजय प्रताप (दिल्ली), लोक विज्ञान संस्थान के रवि चोपड़ा, मातृ सदन, हरिद्वार के श्री शिवानन्द सरस्वती जी महाराज, गंगा आह्वान से प्रियादर्शनी पटेल आदि के आगमन की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है।
उम्मीद है कि आप इस मौके पर पधार कर राष्ट्रीय नदी के पुनर्जीवन में अपना योगदान करेंगे। सम्मेलन के दौरान हम आपके भोजन एवम् ठहरने की सादी व्यवस्था ही कर सकेंगे। आभार !
आपका
(राजेन्द्र सिंह)
अध्यक्ष
jalpurushtbs@gmail.com
Tags-Rajendra Singh, Ganga in Hindi, National River in Hindi, Sammelan in Hindi
राष्ट्रीय नदी घोषित होने के बाद गंगा के प्रति सम्मान व अनुशासन सुनिश्चित करने को लेकर समाज और सरकार की जिम्मेदारी बढ़ गई है। अब जरूरी हो गया है कि सब बैठकर तय करें कि गंगा को उसका नैसर्गिक स्वरूप कैसे वापस लौटाया जा सकता है। इसी के मददेनजर तरुण भारत संघ........ जलबिरादरी के साथियों के साथ मिलकर 28 से 30 जनवरी तक नई दिल्ली में गंगा सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। उल्लेखनीय है कि गंगा मूल में उसकी धारा के नैसर्गिक प्रवाह को जीवंत बनाये रखने के लिए नामी वैज्ञानिक प्रो. जी.डी.अग्रवाल ने गंगा दशहरा 2008 को उत्तरकाशी में आमरण अनशन किया था। परिणामस्वरूप उत्तराखण्ड सरकार ने राज्य के अन्तर्गत आने वाली दो पनबिजली परियोजनाओं को रोक दिया था। केन्द्र सरकार ने केन्द्रीय परियोजना पर निर्णय के लिए एक उच्चाधिकार समिति गठित जरूर की, लेकिन छ: महीने से अधिक वक्त बीत जाने के बावजूद समिति द्वारा रिपोर्ट न दिये जाने से खफा प्रो. जी. डी. अग्रवाल ने नई दिल्ली में मकर संक्रांति से पुन: अपना आमरण अनशन शुरू कर दिया है। यह कैसा विरोधाभास है कि एक ओर जिस सरकार ने गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करने का गौरवपूर्ण कार्य किया है, वही सरकार राष्ट्रीय नदी संरक्षण के मसले पर अपनी जिंदगी को दांव पर लगाने वाले देश के एक अति प्रतिष्ठित वैज्ञानिक की ओर से बेपरवाह है।
ऐसी विरोधाभासी परिस्थितियों में सभी के साझे संकल्प और साथ की जरूरत है। 1916 में ब्रितानी हुकूमत और पंडित मदन मोहन मालवीय जी के नेतृत्व में भारत के तत्कालीन महाराजाओं के बीच हुआ गंगा समझौता इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल थी। इस सम्मेलन में हमने ऐसे महाराजाओं के उत्तराधिकारियों, सरकार, समाज और सर्वधर्म के विशिष्ठ प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया है।
सम्मेलन के दौरान देश के प्रतिष्ठित गंगा वैज्ञानिकों-प्रतिनिधियों की राय से समाज, सरकार और संतों की भूमिका पर संकल्प पत्र तैयार किया जायेगा। सम्मेलन में देश की नदियों को लेकर भावी रणनीति पर भी विचार होगा। हमें अब तक जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज जोधपुर महाराज गजसिंह, राधा बहन, (गांधी शांति प्रतिष्ठान), शशि त्यागी, (गांधी युवा वाहिनी), पी. वी. राजगोपाल (एकता परिषद), अरविन्द केजरीवाल (परिवर्तन), पर्यावरणीय स्वराज अभियान के घनश्याम (झारखण्ड), विजय प्रताप (दिल्ली), लोक विज्ञान संस्थान के रवि चोपड़ा, मातृ सदन, हरिद्वार के श्री शिवानन्द सरस्वती जी महाराज, गंगा आह्वान से प्रियादर्शनी पटेल आदि के आगमन की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है।
उम्मीद है कि आप इस मौके पर पधार कर राष्ट्रीय नदी के पुनर्जीवन में अपना योगदान करेंगे। सम्मेलन के दौरान हम आपके भोजन एवम् ठहरने की सादी व्यवस्था ही कर सकेंगे। आभार !
आपका
(राजेन्द्र सिंह)
अध्यक्ष
jalpurushtbs@gmail.com
Tags-Rajendra Singh, Ganga in Hindi, National River in Hindi, Sammelan in Hindi
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