विस्फोट
मरे नहीं मार दिये गये संत निगमानंद
Posted on 15 Jun, 2011 08:57 AMएचआईएचटी अस्पताल में जांच पड़ताल शुरू हुई तो विष देने के लक्षण दिखाई देने लगे। इसलिए अस्पताल ने स्वामी जी का ब्लड सैंपल दिल्ली के डॉ लाल पैथ लैब भी भेजा। चार मई को जारी लैब रिपोर्ट में साफ कहा गया कि ऑर्गोनोफास्फेट कीटनाशक उनके शरीर में उपस्थित है।
हरिद्वार के संत निगमानंद की मौत सत्याग्रह और उपवास से हुई या उन्हें जहर दिया गया जो उनकी मौत का कारण बना? अब जबकि गंगा के लिए अनशन करने वाले मातृसदन के संत निगमानंद इहलोक से विदा हो गये हैं, इस बात की गंभीरता से जांच किये जाने की जरूरत है कि निगमानंद की हत्या के पीछे कौन लोग हैं। हरिद्वार में दर्ज एफआईआर को आधार मानें तो उत्तराखंड प्रशासन की मिलीभगत से संत निगमानंद को जहर दिया गया जिसके कारण पहले वे कोमा में चले गये बाद में करीब सवा महीने बाद उनकी मौत हो गयी। संत निगमानंद मातृसदन से जुड़े थे और मातृसदन का आश्रम 1997 में हरिद्वार में बना। जब से कनखल में आश्रम बना है यहां के संत क्रमिक रूप से पिछले 12 सालों से लगातार अनशन कर रहे हैं। संत निगमानंद 19 फरवरी 2011 से अनशन पर थे। उनके अनशन के 68वें दिन 27 अप्रैल 2011 को अचानक आश्रम में पुलिस पहुंचती है और संत निगमानंद को जबरदस्ती जिला अस्पताल में भर्ती करा देती है।
ताल नहीं सूख रहा है भोपाल
Posted on 08 Mar, 2009 07:39 AMउमाशंकर मिश्र/भोपाल
`जब तक भोपाल ताल में पानी है, तब तक जियो।´ आशीर्वाद देते समय इन शब्दों का प्रयोग बड़े-बूढे करते रहे हैं। क़रीब एक हज़ार साल पुराने `भोपाल ताल´ का जिक्र लोगों की इस मान्यता का गवाह है कि बूढ़ा तालाब कभी सूख नहीं सकता। लेकिन शहर की गंदगी, कचरे और मिट्टी जमाव के कारण बूढ़ा तालाब 31 वर्ग किलोमीटर के विशाल दायरे से सिमटकर महज 7 वर्ग किलोमीटर में रह गया है। आज भोपाल ताल के सूखने से मानों हर भोपाली सूख रहा है।
पढ़ने या सुन भर लेने से किसी बात के मर्म तक नहीं पहुंचा जा सकता, जब तक कि वस्तुस्थिति से स्वयं साक्षात्कार न हो जाये। `ताल तो भोपाल ताल, और सब तलैया।´ भोपाल ताल के बारे में यह कहावत तो बचपन से
मारने नहीं, मरने पर उतारू.
Posted on 22 Jan, 2009 06:29 PM
संजय तिवारी
दिल्ली के पंचकुईयां रोड पर हिन्दू महासभा का भवन कोई ७५ साल पुराना है. लगभग इतने ही साल का एक आदमी आजकल यहां आकर रूका हुआ है. वह हिन्दुओं की पवित्र नदी गंगा को मरते हुए नहीं देख सकता इसलिए फैसला करके दिल्ली आया है कि उसका पार्थिव शरीर ही अब इस भवन से बाहर जाएगा.
नहरों के भरोसे नदियों को जीवनदान
Posted on 22 Sep, 2008 07:46 PMअंबरीश कुमार/ लखनऊ के बगल में सई नदी सूखी तो उसे बचाने के लिए पानी भरा गया। लेकिन नदियों को बहाने के ऐसे औपचारिक प्रयास रारी नदी पर सफल नहीं हुए। नहर से छोड़ा गया पानी कुछ ही घंटों में सूख गया। सिचाईं विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि नदियों से नहरों को पानी मिलता है लेकिन अब सरकारी आदेश है इसलिए काश्तकारों के हिस्से का पानी नदियों में छोड़ा जा रहा है।
जल में बसा देवता
Posted on 21 Sep, 2008 08:47 PMवे पुरोगामी पुरुष हैं। कार्यकर्ता तो आपको बहुत मिलेंगे, परंतु कर्म व ज्ञान का सम्मिश्रण आपको अनुपम मिश्र में ही मिलेगा। ज्ञान, कोरी सूचना भर नहीं, अनुभव की आंच में तपा हुआ अर्जित ज्ञान। उनका समूचा जीवन जल के प्रति एक सच्ची प्रार्थना रहा है। तीन दशकों से भी अधिक समय से वे भारत के लुप्त होते जल संसाधनों को बचा रहे हैं। इसलिये उनका प्रत्येक शब्द एक दस्तावेज बनता है, जहाँ वे जल संकट के विभिन्न पहलु
अनुपम मिश्र की तालाब साधना
Posted on 01 Sep, 2008 07:43 PMबहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी होगी कि सीएसई की स्थापना में अनुपम मिश्र का बहुत योगदान रहा है। इसी तरह नर्मदा पर सबसे पहली आवाज अनुपम मिश्र ने ही उठायी थी।
जहर बुझा पानी
Posted on 22 Sep, 2008 07:16 PMसंजय तिवारी/ उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्से में बहनेवाली हिडंन जब दिल्ली के पास यमुना में आकर मिलती है तो कितनों को तारती है पता नहीं लेकिन बहुतों को मारती जरूर है।