उर्मिला तिवारी

उर्मिला तिवारी
वृक्ष विछोह : एक सामाजिक समस्या
Posted on 05 Dec, 2016 12:15 PM

आमने-सामने दो बड़े-बड़े बंगले हैं। लेकिन मुझे इन्हें 'घर' कहना अच्छा लगता है। मेरी समझ से घरौंदे से ही घर का स्वरूप आया होगा। 'घर' दो शब्द है 'घ' और 'र'। उसी तरह पति-पत्नी एक पुरुष, एक नारी, दोनों होते हैं एक। दोनों के सहयोग से ही बनता है एक घर। और इसी श्रेणी में आमने-सामने के दोनों 'घर' आते हैं। दोनों परिवारों ने बड़े प्रेम-सहयोग से एक साथ आमने-सामने घर बनवाया था। बीच में मात्र सड़क, आपस में अच
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