सुरेश चंद्र शर्मा

सुरेश चंद्र शर्मा
जल-संसाधनों पर पर्यावरणीय प्रतिघात का मूल्यांकन
Posted on 26 Dec, 2011 12:11 PM आज विश्व के सामने प्रदूषण का खतरा अत्यंत गंभीर समस्या के रूप में सामने आ रहा है। यद्यपि बहुत पुराने समय से (जब से मनुष्य ने आग का उपयोग शुरू किया) प्रदूषण अस्तित्व में था, किन्तु 19वीं सदी की औद्योगिक क्रांति के कारण पूरे विश्व में यह बहुत तेजी से बढ़ा है, हालांकि औद्योगिक क्रांति द्वारा विश्व में तकनीकी प्रगति बहुत तेजी से ही है, किंतु साथ ही साथ मनुष्य द्वारा प्रकृति का दोहन भी बहुत तेजी से किया
जल संसाधन के प्रबंधन में जनभागीदारी का महत्व
Posted on 26 Dec, 2011 10:29 AM

प्रकृति में प्राणी मात्र का अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए जल की आवश्यकता होती है। जीव जन्तु तथा पेड़-पौधे सभी का जीवन जल पर निर्भर है। जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। मानव के अविरल विकास में इसकी आवश्यकता निरंतर बनी रहती है। अतः यह कहना उचित होगा कि जल ही हमारा जीवन है। जल का मुख्य स्रोत वर्षा है। भारत वर्ष में वर्षा वर्ष के कुछ महीनों में ही होती है, इस कारण वर्षा के रूप में प्र

Rainwater
जल गति अभियांत्रिकी संबंधी संरचनाओं/यंत्रों के प्रभावी परिकल्पना में प्रतिरूप अध्ययन की उपयोगिता
Posted on 24 Dec, 2011 04:50 PM किसी भी देश अथवा क्षेत्र के विकास में जल संसाधन के विकास का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। जल संसाधन के समुचित प्रबंधन एवं उपयोग से बाढ़ नियंत्रण, जलविद्युत उत्पादन, पेयजल, कल-कारखानों, ताप व आण्विक ऊर्जा उत्पादन हेतु जलापूर्ति, सिंचाई, आदि में मदद मिलती है। अंततः मानव समाज के आर्थिक व सामाजिक विकास में एक मजबूत कड़ी के रूप में सहायक साबित होती है। जल स्रोतों के विकास व प्रबंधन हेतु विभिन्न द्रव चालित
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