सुरेन्द्र बंसल
सुरेन्द्र बंसल
यह विकास जोड़ने के बजाय तोड़ता है
Posted on 29 Apr, 2018 06:38 PMइस बार की थीम नर्मदा और उसकी सहायक नदियों पर आधारित है। दो दिनों तक नर्मदा की
धू-धू जलते पंजाब के सगुण और निर्गुण
Posted on 11 Aug, 2010 12:46 PMपंजाब के प्रत्येक चुनाव में बिजली, पानी, बीज, कीटनाशकों पर सब्सिडी की मांग बढ़ती जाती है। पिछले चुनाव में तो पंजाब पर सबसे अधिक राज करने वाले किसान परिवार के मुख्यमंत्री की पार्टी ने मुफ्त आटे तक की घोषणा कर डाली थी। सोचिए तो जरा कृषि के मॉडल राज्य में किसानों के लिए ही मुफ्त आटे की घोषणा!
पंजाब की धरती को कोयला बनाने के लिए अब पराए हाथों की आवश्यकता नहीं। यह काम अब निरंतर उस धरती के जाये हम लोग ही कर रहे हैं। किसान को सदियों से अपने यहां धरतीपुत्र माना जाता रहा है। लेकिन मान्यताएं तो बाजारी दौर में शायद शो-रूम में लगे जालों सी दिखती हैं, इसलिए जल्दी ही हटा दी जाती हैं। पंजाब का किसान भी अब इन फोकट विचारों से मुक्त हुआ है। वह वर्ष में दो बार अपनी उसी धरती को आग के हवाले कर देता है, जिससे वह साल भर अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए फसल लेता है। अब पंजाब की पूरी कृषि योग्य भूमि